Fake Website: आरटीओ टैक्स की फर्जी वेबसाइट चला रहा था गिराेह, दो सदस्य गिरफ्तार
अंतरराज्यीय गिरोह में शामिल 50 से ज्यादा सदस्य कर चुके हैं करोड़ों की ठगी। फर्जी वेबसाइट बनाकर आनलाइन टैक्स की देते थे फर्जी रसीदें। शिकायत पर हुआ पर्दाफाश। गिरोह के लोग समानांतर आरटीओ कार्यालय चलाते थे। वह राज्य से लगी सीमा पर बूथ लगाकर बैठते थे।
आगरा, जागरण संवाददाता। आरटीओ टैक्स की फर्जी वेबसाइट बनाकर आनलाइन टैक्स जमा करने के नाम पर ठगी करने वाले गिरोह के दो सदस्यों को रेंज साइबर सेल ने गिरफ्तार कर लिया। आरोपितों से पूछताछ में पुलिस को पता चला कि अंतरराज्यीय गैंग में 50 से ज्यादा लोग शामिल हैं। गैंग अब तक करोड़ों की ठगी कर चुका है।
रेंज साइबर थाना प्रभारी विनोद कुमार ने बताया कि गिरोह के सरगना बलवीर सिंह उर्फ बल्लो समेत छह सदस्यों को जुलाई में पकड़कर जेल भेजा जा चुका है। गिरोह के लोग समानांतर आरटीओ कार्यालय चलाते थे। वह राज्य से लगी सीमा पर बूथ लगाकर बैठते थे। जिस पर वह आनलाइन आरटीओ टैक्स जमा करने का बैनर लगा लेते थे, जिसके चलते दूसरे राज्यों से आने वाले वाहन चालक धोखा खा जाते थे। वह इन बूथों पर टैक्स जमा करा देते थे। शातिर परिवहन विभाग की फर्जी वेबसाइट से मिलती-जुलती रसीद टैक्स जमा कराने वाले को देते थे। टैक्स देने वाले के मोबाइल पर एक मैसेज भी आता था, जिससे वाहन चालक को यकीन हो जाता था कि उसका टैक्स जमा हो गया है। शातिरों ने इसी तरह की ठगी आवास विकास कालोनी निवासी पुनीत पाराशर के साथ भी की थी। उन्होंने रेंज साइबर थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। गिरोह के बारे में जानकारी मिलने के बाद एडीजी साइबर इसकी लखनऊ से समीक्षा कर रहे हैं। उनके निर्देश पर रेंज साइबर सेल द्वारा लगातार छापा मारने की कार्रवाई की जा रही है।
रेंज साइबर सेल प्रभारी विनोद कुमार पांडेय ने बताया कि टीम ने वृंदावन में दबिश देकर दो आरोपितों को गिरफ्तार किया है। आरोपितों के नाम राहुल निवासी भुलवाना थाना होडल मथुरा और प्रवीन सिंह निवासी रायपुर खादर सेक्टर 126 थाना एक्सप्रेस-वे नोएडा हैं। आरोपितों से एक लैपटाप, एक कार, नौ डेबिट व क्रेडिट कार्ड, छह सिम कार्ड, सरकारी आरटीओ टैक्स में प्रयुक्त की गईं पांच फर्जी वेबसाइट के अलावा बड़ी संख्या में दस्तावेज बरामद किए हैं, जिनकी जांच की जा रही है।
गैंग का इन राज्यों में फैला है जाल
रेंज साइबर थाने काे पूछताछ में आरोपितों ने बताया कि उनका नेटवर्क कई राज्यों में है। इनमें उत्तर प्रदेश के अलावा उत्तराखंड, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, राजस्थान, बिहार प्रमुख हैं।
हर राज्य के लिए अलग रसीद और मुहर
आरोपितों ने पुलिस को पूछताछ में बताया कि वह हर राज्य की अलग-अलग रसीद और मुहर बनाते थे। रसीद संबंधित राज्य की हूबहू होती थी, जिससे किसी को उसके फर्जी होने का शक न हो।