बेलनगंज के लोगों ने खड़े होकर किया आगरा के गांधी चिम्मनलाल जैन को अंतिम प्रणाम Agra News
11 गारद की दी गई सलामी। विद्युत शवदाह गृह में हुआ अंतिम संस्कार। जूस पीने के बाद ली थी अंतिम सांस।
आगरा, जागरण संवाददाता। आगरा, जागरण संवाददाता। गांधी के अहिंसा सिद्धांत के परम अनुयायाी एवं आचार्य बिनोवा भावे के प्रति सर्वोदय के पथ ताजीवन अपनाकर रहने वाले चिम्मनलाल जैन का शनिवार सुबह पांच बजे चिरनिद्रा में लीन हो गए। दोपहर 12 बजे उनके आवास पर 11 गारद की सलामी दी गई। बेलनगंज के लोगों ने खड़े होकर अंतिम विदाई दी। आगरा के गांधी कहे जाने वाले चिम्मनलाल की अंतिम यात्रा में करीब 800 लोग शामिल हुए। भरा पूरा परिवार पीछे छोड़ जाने और जीवन का शतक देखने के कारण उनका विमान निकाला गया। अंतिम यात्रा में विधायक योगेंद्र उपाध्याय, विधायक पुरुषोत्तम खंडेलवाल, भाजपा महानग अध्यक्ष्ा भानु महाजन, एसीएम द्वितीय, तहसीलदार आदि सहित शहर के तमाम समाजसेवी मौजूद रहे। विद्युत शवदाह गृह में उनके पुत्र राजेंद्र प्रसाद ने अंतिम संस्कार किया। स्वजनों के अनुसार उन्होंने प्रतिदिन की तरह ही सुबह पांच बजे स्वयं फलों का जूस निकालकर पीया था। इसके बाद ही उन्होंने अंतिम सांस ली।
चिम्मनलाल जैन उन चंद सेनानियों में सेे थे जिन्हाेंने स्वतंत्रता आंदोलन के साथ साथ इमरजेंसी लागू किये जाने के खिलाफ भी लड़ाई लड़ी। अपने जीवन के सौ से अधिक बसंत देख चुके चिम्मनलाल जैन ने आगरा में शराब बंदी के लिए लंबा आंदोलन भी लड़ा। कई बार आत्मदाह की चेतावनी दी। उनकी चेतावनी से प्रशासन इतना भयभीत हो जाता था कि उन्हें नजरबंद तक कर दिया जाता था। दीवानी चौराहा पर भारत माता की क्षतिग्रस्त प्रतिमा को बदलने के लिए भी उन्होंने अनशन किया था। लोकस्वर संस्था के राजीव गुप्ता ने उनके निधन पर दुख जताते हुए कहा है कि हमने एक योद्धा को खोया है। 22 जनवरी को वे 101 वर्ष के हुए थे। 11 बजे उनके आवास पर जिला प्रशासन द्वारा उन्हें सलामी दी जाएगी। इसके बाद उन्हें अंतिम यात्रा के लिए ले जाया जाएगा। 1919 में गोपीचंद यहां कीठम में हुआ था। वर्तमान में वे पथवारी बेलनगंज में रहते थे।
स्वतंत्रता संग्राम में योगदान
चिम्मनलाल जैन 1942 से राष्ट्रीय आंदोलन से जुड़ गए थे। सितंबर 1942 तारा सिंह धाकरे के हाथों से हरीपर्वत थाने के सामने अचानक बम विस्फोट हुआ था। इस साजिश में वे भी शामिल थे। उन्होंने सिटी स्टेशन पुलिस, रेलवे स्टेशन में फटने वाले बमों की आपूर्ति, किरावली फतेहपुर सीकरी के बीच और अछनेरा के बीच टेलीफोन के तार काटे थे। नौ नवंबर 1942 को आगरा कॉलेज के प्रधानाचार्य की मेज के पास हुए बम विस्फोट, 26 जनवरी 1943 को पुरानी कोतवाली सिटी पोस्ट ऑफिस के फर्नीचर को उड़ाने वाले पार्सल द्वारा बम विस्फोट आदि घटनाओं में उनकी मुख्य भूमिका रही। इसके अलावा शहर कांग्रेस कमेटी द्वारा निर्धारित प्रत्येक माह की 9 तारीख को शहर में सत्याग्रह का आयोजन करते थे। वे जुलूस का नेतृत्व भी करते थे।
लगा था मीसा
चिम्मनलाल जैन आजादी के संघर्ष स्वाधीनता सेनानी थे। 1942 में हुई अगस्त क्रांति में पौने तीन साल जेल में रहे। आपातकाल में नौ माह मीसा में बंद रहे। आचार्य बिनोवा भावे अनुयायी थे। उनके साथ 13 साल तक पूरे देश में पदयात्राएं कीं। कई वर्ष तक शहर में शराबबंदी आंदोलन चलाया। उनके प्रयास के कारण कई लोगों ने शराब पीना भी छोड़ा।