Frozen semen: अब UP में भी सुधरेगी बकरियों की नस्ल, दूसरे राज्‍य भी दे रहे आर्डर

Frozen semen बकरियों पर हिमीकृत सीमन का प्रयोग करने वाला राज्य बनेगा उप्र। वेटेरिनरी की हिमीकृत वीर्य उत्पादन इकाई में एक लाख डोज तैयार।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sun, 12 Jul 2020 12:52 PM (IST) Updated:Sun, 12 Jul 2020 12:52 PM (IST)
Frozen semen: अब UP में भी सुधरेगी बकरियों की नस्ल, दूसरे राज्‍य भी दे रहे आर्डर
Frozen semen: अब UP में भी सुधरेगी बकरियों की नस्ल, दूसरे राज्‍य भी दे रहे आर्डर

आगरा, मनोज चौधरी। केरल और महाराष्ट्र के बाद उत्तर प्रदेश भी हिमीकृत सीमन का प्रयोग करने वाला राज्य बनने जा रहा है। बकरी की आधा दर्जन प्रजातियों को इससे सुधारा जाएगा। पंडित दीनदयाल उपाध्याय पशु चिकित्सा विज्ञान विश्वविद्यालय एवं गो अनुसंस्थान संस्थान की हिमीकृत वीर्य उत्पादन इकाई में हिमीकृत सीमन की करीब एक लाख डोज तैयार कर ली गई हैं। कई राज्यों से संस्थान को इसके ऑर्डर भी मिले हैैं।

अभी तक हिमीकृत सीमन गाय और भैंस के लिए ही प्रयोग किया जा रहा है अब उत्तर प्रदेश में बकरियों के लिए भी हिमीकृत सीमन तैयार किया जाएगा। इकाई प्रभारी डॉ. मुकुल आनंद ने बताया कि सेंट्रल सीड ब्रीङ्क्षडग फार्म हिसार को इसकी डोज उपलब्ध कराई जा चुकी है और प्रयोग भी सफल रहा है।

इन राज्यों ने मांगा

पश्चिमी बंगाल, छत्तीसगढ़, राजस्थान, उत्तराखंड और हरियाणा से इसके ऑर्डर इकाई को प्राप्त हुए हैं। कुछ एनजीओ भी मांग कर रहे हैं, जो विभिन्न राज्यों में इसका प्रयोग करेंगे।

ये भी होगा लाभ

- बकरियों में संक्रमण का खतरा कम होगा।

- नस्ल में सुधार के साथ उनकी बच्चे देने की क्षमता में भी बढ़ोतरी होगी। -बकरियों की मृत्युदर में कमी आएगी। -अभी बकरी सात-आठ सौ मिली लीटर दूध देती हैं, लेकिन नस्ल सुधार के बाद दो से तीन लीटर तक दूध देगी।

बढ़ेगी गरीबों की आमदनी

लघु सीमांत और भूमिहीनों का एक बड़ा तबका बकरी पालन से जुड़ा है। डॉ. आनंद ने बताया कि चार बकरियों के समूह को लेकर एक अध्ययन भी किया गया। कम दूध देने के कारण पालक बकरियों को मीट के लिए पाल रहे हैं। मगर, बकरियों की दुग्ध उत्पादन क्षमता में बढ़ोतरी होने पर देखा गया कि चार बकरियों का समूह पालक को आठ लीटर तक दूध उपलब्ध करा रहा है। एक-दो लीटर दूध पालक अपने लिए रखकर शेष दूध बेच रहा है। जिससे करीब सवा सौ रुपये रोज की उसकी आय हो रही है। इसके बाद बकरी को जब वह बेचता है, तो उसकी कीमत उतनी ही मिलती है, जितनी मीट के लिए बेचने पर पहले उसको मिल रही थी। इस बीच में उसको अच्छी नस्ल के बच्चे भी मिल रहे हैं।

बकरी का पनीर भी आएगा बाजार में

बकरी के दूध और उससे निर्मित उत्पादों की मांग देश से अधिक विदेशों में है। इसके लिए इकाई पर एक प्रोसेङ्क्षसग प्लांट भी स्थापित किया गया है। इससे बकरी के दूध का पनीर और अन्य उत्पाद भी तैयार किए जाएंगे। यह भी योजना है कि पालकों के यहां पहले अच्छी नस्ल की बकरी तैयार कराई जाएं, फिर उनसे सीधे दूध खरीद कर उसके उत्पाद बनाकर बाजार में उतारे जाएं।

एक नजर

- 06-07 माह की मेहनत कर संस्थान की हिमीकृत वीर्य उत्पादन इकाई में माइनस 196 डिग्री सेल्सियस तापमान पर जखराना, बरबरी, जमुनापारी, ब्लैक बंगाल, सिरोही बीटल नस्ल के बकरों का हिमीकृत सीमन तैयार किया

गया है।

- 01 करोड़ के आसपास शुक्राणु वाले इस वीर्य की दस-दस लाख के शुक्राणु की डोज बनाई गई है।

- 50 पशु चिकित्सकों को भी प्रशिक्षित किया गया है। इनमें कई राज्यों के चिकित्सक शामिल

- 40 रुपये निर्धारित की है इसकी एक डोज की कीमत

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