CoronaVirus in Agra: न्यायिक अधिकारी समेत पांच कोरोना संक्रमित, 26 को खुलेगी अदालतें

CoronaVirus in Agra दीवानी अदालतों में आज रहेगा अवकाश। जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव की सूचना के अनुसार एक न्यायिक अधिकारी एक न्यायिक अधिकारी के स्वजन एक कर्मचारी व एक सुरक्षाकर्मी सैनिटाइजेशन किया जाएगा। शनिवार और रविवार को लाकडाउन के चलते अदालतें अब सोमवार को खुलेंगी।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Fri, 23 Apr 2021 12:10 PM (IST) Updated:Fri, 23 Apr 2021 12:10 PM (IST)
CoronaVirus in Agra: न्यायिक अधिकारी समेत पांच कोरोना संक्रमित, 26 को खुलेगी अदालतें
शनिवार और रविवार को लाकडाउन के चलते अदालतें अब सोमवार को खुलेंगी।

आगरा, जागरण संवाददाता। दीवानी अदालत में एक न्यायिक अधिकारी समेत पांच कर्मचारियों के कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। उनकी जांच रिपोर्ट पाजीटिव आने के बाद शुक्रवार को अदालतें बंद रहेंगी। दीवानी परिसर में सैनिटाइजेशन का कार्य कराया जाएगा। अदालतें अब 26 अप्रैल से खुलेंगी।

जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के सचिव की सूचना के अनुसार एक न्यायिक अधिकारी, एक न्यायिक अधिकारी के स्वजन, एक कर्मचारी व एक सुरक्षाकर्मी सैनिटाइजेशन किया जाएगा। इसके मद्देनजर शुक्रवार को दीवानी परिसर में सैनिटाइजेशन कराया जाएगा। वहीं, कोरोना संक्रमित न्यायिक अधिकारी और कर्मचारियों को आइसोलेट किया गया है। वहीं, उनके संपर्क में आए कर्मचारी समेत अन्य लोगों को भी कोरोना जांच कराने की कहा गया है। वहीं शनिवार और रविवार को लाकडाउन के चलते अदालतें अब सोमवार को खुलेंगी।

हत्या के प्रयास के दो आरोपित बरी

अदालत ने हत्या के प्रयास के दो आरोपितों को साक्ष्य के अभाव में बरी कर दिया। घटना 17 दिसंबर 2015 की है। वृंदावन के मथुरा गेट निवासी रूप किशोर ने न्यू आगरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। रूप किशाेर के अनुसार उन्होंने अपनी जमीन भाई जीवन दत्त के माध्यम से चंद्र प्रकाश को बेची थी। उस पर 15 लाख रुपये बकाया थे। रूप किशोर का आरोप है कि 17 दिसंबर को चंद्र प्रकाश ने उन्हें रुपये देने के बहाने न्यू आगरा कालोनी में बुलाया था। वह भाई के साथ पहुंचे तो चंद्र प्रकाश और उसके साथी लोकेश आदि ने उन पर फायरिंग कर दी। इसमें वह घायल हो गए। मुकदमे के विचारण के दौरान रूप किशोर और उनके भाई जीवन दत्त के बयानों में विरोधाभास मिला। अपर जिला जज ज्ञानेंद्र त्रिपाठी ने बचाव पक्ष के अधिवक्ता विजय आहूजा के तर्क व साक्ष्यों के अभाव में आरोपितों को बरी करने के आदेश दिए। 

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