खारे पानी में जागीं मीठी उम्मीदें, खोज निकाला ऐसा हल, किसान भी मुस्कुराएंगे

मत्स्य विभाग कराएगा झींगा मछली का पालन, चयनित किसानों को मिलेगा अनुदान। जिले के 37 गांव हैं खारे पानी की चपेट में, हाथरस में सफल हुआ प्रयोग।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Thu, 21 Feb 2019 11:45 AM (IST) Updated:Thu, 21 Feb 2019 11:45 AM (IST)
खारे पानी में जागीं मीठी उम्मीदें, खोज निकाला ऐसा हल, किसान भी मुस्कुराएंगे
खारे पानी में जागीं मीठी उम्मीदें, खोज निकाला ऐसा हल, किसान भी मुस्कुराएंगे

आगरा, जेएनएन। बंजर होती जमीन और जवानी में ही बुढ़ापा लाने के लिए जिम्मेदार खारे पानी वाले गांवों में अब मछली पालन ने मीठी उम्मीदें जागी हैं। यहां पर झींगा मछली पालन कराया जाएगा। सामान्य पानी के बजाए खारे पानी में झींगा मछली जल्दी बढ़ती और पलती है।

फीरोजाबाद जिले में टूंडला, नारखी, हाथवंत क्षेत्र के लगभग तीन दर्जन गांव खारे पानी से प्रभावित हैं। इन गांवों में खारे पानी के कारण लोगों के दांत जल्दी गिर जाते हैं। इन गांवों में साल में एक फसल ही हो पाती है। इन गांवों में मीठे पानी की पाइप लाइन तो बिछाई गई हैं, मगर खेतीबाड़ी में सुधार नहीं हो पा रहा है।

जिला मत्स्य अधिकारी श्रीकिशन शर्मा बताते हैं कि हाथरस के मढावली जिले में प्रायोगिक तौर पर झींगा मछली का उत्पादन किया गया। इसके परिणाम उत्साहजनक आए। इसी तर्ज पर जिले के इन गांवों में झींगा मछली पालन कराया जाएगा।

रामगढ़-उमरगढ़ में पांच किसान चयनित

जिला मत्स्य अधिकारी ने बताया कि इस प्रोजेक्ट के लिए टूंडला ब्लॉक के रामगढ़-उमरगढ़ के पांच किसानों का चयन किया गया है। एक एकड़ में आठ लाख का प्रोजेक्ट है, इसमें 40 फीसद छूट दी जाएगी। इसके लिए फीड, सीड और बाजार विभाग उपलब्ध कराएगा। प्रति यूनिट के लिए किसानों को बैंक से लोन भी दिलाया जाएगा। आगरा में इन्हें प्रशिक्षण दिलाया जाएगा।

खारे पानी में जल्दी बढ़ती है झींगा मछली

शर्मा बताते हैं कि खारे पानी में झींगा मछली 110 दिन में 40 से 50 ग्राम वजनी हो जाती है। जबकि मीठे पानी में इसका वजन 10 से 15 ग्राम ही हो पाता है। इस आधार पर प्रतिवर्ष एक एकड़ दायरे वाले तालाब में आठ लाख रुपये तक की आय होगी।

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