जिप्सम के इंतजार में ‘बांझ’ हो रही मैनपुरी में खेती, जानिए क्या हैं इसके फायदे

सरकारी गोदामों में नहीं रहा जिप्सम। अन्नदाता बेबस। विभाग ने शासन को एक सप्ताह पहले भेजी है मांग। जिप्सम कैल्शियम का एक मुख्य स्रोत है जो कार्बनिक पदार्थो को मृदा के क्ले कणों से बांधता है जिससे मृदा कणों में स्थिरता प्रदान होती है।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Mon, 02 Aug 2021 04:24 PM (IST) Updated:Mon, 02 Aug 2021 04:24 PM (IST)
जिप्सम के इंतजार में ‘बांझ’ हो रही मैनपुरी में खेती, जानिए क्या हैं इसके फायदे
जिप्सम कैल्शियम का एक मुख्य स्रोत है!

आगरा, श्रवण शर्मा। मैनपुरी जिले में अंधाधुंध पैदावार और रासायनिक खादों की वजह से उपजाऊ जमीन से पोषक तत्व कम होते जा रहे हैं। खेती को संजीवनी देने वाली जिप्सम खाद की उपलब्धता शून्य होने से जमीन को पोषक तत्व नहीं मिल पा रहे हैं। किसानोंं को सरकारी बीज गोदामों से जिप्सम नहीं मिल पा रहा है। ऐसे में किसानों की आय दोगुनी करने का ख्वाब भी हकीकत में नहीं बदल रहा है। खेती की जमीन को उपजाऊ और बेहतर बनाने के लिए जिप्सम रामबाण औषधि का काम करती है। यह खाद कैल्शियम और सल्फर की कमी को पूरी करता, जिससें खेतों में फसल उत्पादन की क्षमता में इजाफा होता है।

हकीकत में जिले का किसान अंधाधुंध पैदावार के लेने के फेर में खेतों का दम निचोड़ रहा है। फसल उगाने के लिए किसान नाइट्रोजन, फास्फोरस और पोटेशियम का इस्तेमाल करते हैं, जिससे खेत बंजर होने के कगार पर आते हैं। ऐसे में जिप्सम खेतों में कम हाेने वाले इन अवयवों की पूर्ति करता है। लेकिन, जिप्सम का जिले में दो माह से अभाव है, नौ सरकारी बीज गोदाम में यह उपलब्ध नहीं है।

जिप्सम की ताकत

रासायनिक रूप से जिप्सम कैल्शियम सल्फेट है। इसमें 23.3 प्रतिशत कैल्शियम और 18.5 प्रतिशत सल्फर होता है। पानी में घुलने के बाद जिप्सम खेतों को कैल्शियम और सल्फेट मुहैया कराता है। तुलनात्मक रूप से कुछ अधिक धनात्मक होने के कारण कैल्शियम के आयन मृदा में विद्यमान विनिमय सोडियम के आयनों को हटाकर उनका स्थान ग्रहण कर लेते है। आयनों का मटियार कणों पर यह परिर्वतन मृदा की रासायनिक और भौतिक अवस्था मे सुधार कर देता है। इसके बाद मृदा फसलोत्पादन के लिए उपयुक्त हो जाती हैं। वहीं, जिप्सम भूमि में सूक्ष्म पोषक तत्वों का अनुपात बनाने में सहायता करता है।

जिप्सम के लाभ

--फसलों में जड़ों की सामान्य वृद्धि और विकास में सहायता देता है।

-फसल संरक्षण में भी उपयोग, इसमें सल्फर उचित मात्रा में होता है।

-तिलहनी फसलों में जिप्सम डालने से सल्फर की पूर्ति होती है, जो बीज उत्पादन, पौधे, तेल से आने वाली विशेष गंध के लिए उत्तरदायी होता है।

-जिप्सम कैल्शियम का एक मुख्य स्रोत है, जो कार्बनिक पदार्थो को मृदा के क्ले कणों से बांधता है जिससे मृदा कणों में स्थिरता प्रदान होती है। मृदा में वायु का आवागमन सुगम बना रहता है।

-मृदा में कठोर परत बनने से रोकता है, मृदा में जल प्रवेश को बढ़ाता है।

जल्द होगी उपलब्ध-शासन ने जिप्सम के लिए पूल टेंडर किया है। जिले से इसके लिए मांग भेजी गई है, जल्द ही यह उपलब्ध होगी।

- डीवी सिंह, उप निदेशक कृषि।

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