खेत की रखवाली को नाव से दूरी तय कर रहे लोग
मेहरा नाहरगंज घाट का पुल निर्माण अधर में लटका नाव का ही है सहारा
जागरण टीम, आगरा। जिला मुख्यालय से 22 किलोमीटर दूर स्थित यमुना नदी का बरौली अहीर ब्लाक का मेहरा नाहरगंज घाट का पुल निर्माण अधर में लटका हुआ है। पिछले 50 वर्ष से आसपास के दर्जनों गांवों के ग्रामीण पुल की मांग उठा चुके हैं, लेकिन सुनवाई नहीं हुई। अब तो वे भी इसी को अपनी किस्मत मान चुके हैं। यमुना पार करने के लिए उनके पास नाव ही एक मात्र विकल्प है। मेहरा नाहरगंज में घर और अनवारे में खेती है। खेत पर जाने के लिए हर रोज नाव का सहारा लेना पड़ता है। दो किलोमीटर की दूरी को तय करने के लिए दो घंटे लगते हैं। वहीं किसी के बीमार होने की परिस्थिति में तो समस्या और भी गंभीर हो जाती है। तीन पीढि़यों से चला रहे नाव
लोकेंद्र लोगों को नाव से यमुना नदी पार कराते हैं। वे बताते हैं कि लोगों को नाव से नहीं पार कराना हमारा काम है। उनकी तीन पीढि़यां हो गई नाव चलाते चलाते । एक बार के पार कराने के 10 रुपये लेते हैं। उन्होंने बताया कि बरसात के दिनों में जलस्तर बढ़ने पर तीन माह खाली रहना पड़ता है। पांच हजार से अधिक लोग हैं प्रभावित
यमुना नदी के इस पार मेहरानाहरगंज गांव है उस पार अनवारा ,गढी थानी ,जटपुरा ,मैरी ,बाग अछरु,छारी,बजहेरा आदि गांव है। इस पार पहुंचने के लिए नाव का सहारा लेना पडता है। मेहरा नाहर गंज, नूरपुर, तनौरा के अधिकांश लोगों के खेती, ससुराल और महिलाओं का मायका यमुना नदी के दूसरी तरफ है। इससे लगभग पांच हजार से अधिक आबादी प्रभावित है। मेहरा नाहरगंज के तीन बच्चों की मौत नदी पार करते समय डूबने से हो गई थी। नाव से नहीं पार करने में भी डर लगता है पर मजबूर नाव की सवारी करनी पड़ती है।
सुनील कुमार मेहरा नाहरगंज में ससुराल और बाग अक्षरों गांव में मायका है। इधर से उधर जाने के लिए नाव का सहारा लेना पड़ता है। बच्चों को साथ होने से डर भी लगता है।
शारदा देवी मेहरा नाहरगंज में घर और नदी पार खेती है। इसके लिए हर रोज नाव में बैठकर यमुना नदी पार करनी पड़ती है। इसके लिए समय और पैसा दोनों खर्च होते हैं।
रवीकुमार अगर पुल का निर्माण हो जाए तो लोगों की सारी परेशानियों का समाधान हो जाए, यहां इधर से उधर जाने के लिए जान जोखिम में डालनी पड़ती है।
निबोरी लाल