ताजनगरी के किसान कर रहे नये प्रयोग, एक बार पूंजी निवेश, सालों कमाई
खेत का वह हिस्सा जो किसी उपयोग में नहीं आ रहा था उस पर नीबू टमाटर बैंगन की पौध लगाकर एक खेत से दोगुनी आमदनी करने की तैयारी है। इरादतनगर में युवा नौकरी छूटने के बाद घर आ गए तो यूट्यूब पर वीडियो देखकर मशरूम की खेती करना सीख गए।
आगरा, जागरण संवाददाता। कृषि भी प्रयोगधर्मी क्षेत्र हो गया है। एक बार पूंजी निवेश और सालों तक आमदनी। जी हां, ऐसा ही कर रहे हैं ताजनगरी के युवा किसान। फसल के साथ खेत के किनारे बागवानी कर आमदनी का एक और जरिया विकसित किया है। खेत का वह हिस्सा जो किसी उपयोग में नहीं आ रहा था, उस पर नीबू, टमाटर, बैंगन की पौध लगाकर एक खेत से दोगुनी आमदनी करने की तैयारी है।
पनवारी के युवा किसान बहादुर सिंह को ले लीजिए। वह परंपरागत गेहूं और आलू की फसल तो करते ही हैं। उन्होंने दो बीघा जमीन पर नीबू की फसल भी तैयार की है। तीन साल पहले उन्होंने दो बीघा खेत के साथ ही आसपास के अपने दूसरे खेतों के किनारे पर नीबू की पौध लगाई। इससे अब आमदनी शुरू हो गई है। बहादुर सिंह बताते हैं कि दो बीघा जमीन पर नीबू के लगभग 500 पौधे लगाने पर 35 हजार रुपये की लागत आई। दस हजार रुपये टपक सिंचाई विधि पर खर्च हुए। इस लागत के बाद प्रत्येक पौधे से दो साल बाद पांच किलो, तीसरे साल 20 किलो नीबू आने लगा है। उनका कहना है कि चौथे साल 40 किलो, पांचवें साल 50 किलो नीबू आने लगता है। मंडी में 40 रुपये प्रति किलो का भाव मिल जाता है। उनका कहना है कि एक बार पूंजी निवेश के बाद सालों तक आमदनी का एक नया माध्यम बन जाता है। खेत में गेहूं, आलू या दूसरी कोई फसल इसके साथ की जा सकती है। बाह, मुकुंदीपुरा निवासी महेंद्र कुमार कुमार कहना है कि उन्होंने अपने खेत के किनारों पर बैंगन, मिर्च और टमाटर की पौध विकसित की। इसके इससे फसल को भी कोई नुकसान नहीं होता। कुछ ही महीनों में बैंगन, टमाटर तैयार हो जाते हैं। मंडी में इनके ठीकठाक दाम मिल जाते हैं। थोड़ी मेहनत जरूर होती है लेकिन उसी एक खेत से आमदनी दोगुनी हो जाती है।
इरादतनगर मेंं हो रही मशरूम की खेती
कोरोना वायरस संक्रमण काल में लगे लॉकडाउन ने भी किसानों को नए प्रयोग करने की राह दिखाई। आगरा के पास इरादतनगर में युवा नौकरी छूटने के बाद घर आ गए तो यूट्यूब पर वीडियो देखकर मशरूम की खेती करना सीख गए। अब यहां चार किसान मशरूम की पैदावार कर रहे हैं और इनकी होटलों तथा अन्य जगहों से अच्छी डिमांड आ रही है। वहीं फतेहाबाद में भी एक किसान ने टपक सिंचाई विधि का प्रयोग कर अपने खेत में लागत को कम किया है।