वट सावित्री पर हर साल पूजा करती हैं 30 साल पुराने पेड़ की

प्रताप नगर स्थित केशव कुंज के अष्ठभुजा दुर्गा मंदिर में है पेड़ वट सावित्री पर लगाएंगे बरगद का पौधा महिलाओं ने लिया संकल्प

By JagranEdited By: Publish:Tue, 08 Jun 2021 05:05 PM (IST) Updated:Tue, 08 Jun 2021 05:05 PM (IST)
वट सावित्री पर हर साल पूजा करती हैं 30 साल पुराने पेड़ की
वट सावित्री पर हर साल पूजा करती हैं 30 साल पुराने पेड़ की

आगरा,जागरण संवाददाता। बरगद का पेड़ जितना विशाल होता है, उसका बीज उतना ही छोटा होता है। बुजुर्ग कहते हैं कि बरगद के बीज अगर ऐसे ही मिट्टी में लगाए जाएं तो नहीं पनपते। कौवे व अन्य पक्षी इसके फल खाते हैं, उसकी विष्ठा जहां-जहां गिरती है, वहां-वहां इसके पौधे निकलते हैं। ताजनगरी में भी कई क्षेत्रों में बरगद के पेड़ हैं। कुछ लगाए गए हैं और कुछ अपने-आप ही लगे हैं। ऐसा ही एक पेड़ प्रताप नगर के केशव कुंज में अष्ठभुजा दुर्गा मंदिर में है। इसकी उम्र 30 साल से ज्यादा बताई जाती है। हर साल आसपास की कालोनियों की सैकड़ों महिलाएं वट सावित्री की पूजा करने यहां आती हैं।10 जून को वट सावित्री की पूजा के बाद शहर की महिलाएं वटवृक्ष रोपने का संकल्प ले रही हैं। प्रकृति के प्रति अपने दायित्व को समझने के लिए वे दूसरों को भी प्रेरित कर रही हैं।

वट सावित्री पर होती है भीड़

मंदिर के महंत जगदीश बाबू शर्मा ने बताया कि 90 के दशक से यह पेड़ यहां देख रहे हैं।वट सावित्री की पूजा के लिए आसपास की कालोनियों से हर साल सैकड़ों महिलाएं यहां आती हैं।पिछले साल भी कोरोना के कारण यहां काफी कम महिलाएं आई थीं। इस साल भी यही कारण रहेगा।महंत ने कहा कि वे सभी की सलामती के लिए रोज प्रार्थना करते हैं। बरगद की तरह ही सबके स्वजन दीर्घायु हों। पूर्व दिशा में न लगाएं बरगद

ज्योतिषाचार्य डा. शोनू मेहरोत्रा बताती हैं कि घर की पूर्व दिशा की ओर पीपल और बरगद के वृक्ष लगाने शुभ नहीं होते। इनसे स्वास्थ्य हानि, प्रतिष्ठा में कमी एवं अपकीर्ति के संकेत मिलते हैं।धनु या मीन राशि वाले केले या बरगद का पेड़ लगाएं तो लाभ होगा।

बरगद के कुछ तथ्य

बरगद जीनस फाइकस के परिवार से संबंधित है। भारतीय बरगद का पेड़ फाइकस बैंगालेंसिस, जिसकी शाखाएं और जड़ें एक बड़े हिस्से में एक नए पेड़ के समान लगने लगती हैं। जड़ों से और अधिक तने और शाखाएं बनती हैं।यह राष्ट्रीय वृक्ष भी है।इसे बर, बट या बनियन ट्री भी कहा जाता है। संस्कृत में इसे न्यग्रोध, वट वृक्ष कहते हैं। वर्जन

मैं इस साल बरगद का पौधा जरूर लगाऊंगी।महिलाओं को इस वट सावित्री व्रत के पर बरगद लगाने के लिए भी प्रेरित कर रही हूं।कोरोना काल में हमने आक्सीजन के महत्व को स मझा है- अंजली स्वरूप,पंचकुइयां

पर्यावरण के लिए बरगद काफी उपयोगी पेड़ है। पूरा दिन में 20 से 22 घंटे यह आक्सीजन छोड़ता है।मुझे भी प्रेरणा मिली है कि मैं इस साल वट पूजा वाले दिन बरगद का पौधा लगाऊंगी।

-अनुराधा शर्मा,अवधपुरी बरगद को काफी जगह चाहिए होती है।मेरे घर के पास अगर मुझे जगह नहीं मिली तो मैं फिलहाल घर में ही गमले में पौधा लगाऊंगी, बाद में उसे जमीन में रोपित करूंगी

- गरिमा कुलश्रेष्ठ,अर्जुन नगर

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