चंबल में बढ़ रहा घड़ियालों का कुनबा, लेकिन 90 फीसद नहीं देख पाते युवावस्था भी
राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी परियोजना में हेचिंग के बाद खत्म होते हैं घड़ियालों के बच्चे। एडल्ट होने तक रह जाते हैं दस फीसद। बाकि घड़ियाल युवावस्था पहुंचने से पहले ही बन जाते हैं शिकार। घडि़यालों के बच्चों को नदी किनारे रहने वाले पक्षी बनाते हैं अपना भाेजन।
आगरा, जागरण संवाददाता। चंबल में घड़ियालों की संख्या हजारों में बढ़ती है, लेकिन हकीकत में हर साल करीब तीन सौ ही घड़ियाल बच पाते हैं। बाकी घड़ियाल एडल्ट होने तक जीवों का शिकार बन जाते हैं। राष्ट्रीय चंबल सेंचुरी परियोजना में वर्ष 2019-20 की गणना में 3170 घड़ियाल नजर आए थे। जो 2018-19 की गणना में 2900 थे। यह गणना दिसंबर और जनवरी के मध्य हुई थी। चंबल नदी में हजारों की संख्या में घड़ियालों की हेचिंग होती हैं, लेकिन एडल्ट होने तक ज्यादातर खत्म हो जाते हैं। इन बच्चों को पानी में मगरमच्छ और नदी किनारों पर पक्षी अपना शिकार बनाकर भोजन बना लेते हैं। ये दस वर्ष में तीन मीटर लंबे होकर एडल्ट की श्रेणी में आते हैं। तब तक महज तीन सौ ही रह जाते हैं। इस वर्ष डॉल्फिन की संख्या में सात का इजाफा हुआ है। दोनों रेंज में 40 तेंदुए सेंचुरी की बाह और इटावा रेंज में लगभग 40 तेंदुए हैं। इनको देखकर ग्रामीणों ने वन विभाग को सूचित किया हैं। बाह रेंज में चार जोड़े अपने शावकों के साथ घूमते देखे गए हैं। अब ग्रामीण भी इनसे सतर्क हो गए हैं।
इनकी होती है गणना
वन विभाग सबसे पहले हेचिंग (0-70 सेंटीमीटर लंबा), इयरली (71 से 100 सेंटीमीटर लंबा), जुनाइल (एक से दो मीटर लंबाई तक), सब एडल्ट (दो से तीन मीटर लंबा) की श्रेणी के हिसाब से गणना होती है।
ये हैं आंकड़ा
घड़ियाल- 3170मगरमच्छ- 576डॉल्फिन- 168
एडल्ट- 393 (तीन मीटर से ज्यादा लंबे) घड़े के चिन्ह वाले घड़ियाल- 96
चंबल सेंचुरी में घड़ियालों की संख्या हर वर्ष बढ़ती है, लेकिन एडल्ट होने तक यह संख्या कम हो जाती है। इसके अलावा सेंचुरी में तेंदुओं की संख्या बढ़ रही है। लगभग 40 तेंदुए हैं।
दिवाकर श्रीवास्तव, चीफ वार्डन, वाइल्डलाइफ आगरा जोन