School At Home: हर घर बना किंडर गार्टन, खेल-खेल में बच्‍चे सीख रहे A, B, C, D

कोरोना वायरस संक्रमण को देखतेे हुए लगाए गए लॉकडाउन ने जिंदगानी बदल दी है। अनलॉक होने के बाद स्‍कूल नहीं खोले गए हैं। प्‍ले ग्रुप स्‍कूल में एडमिशन कराकर बच्‍चों को जो सिखाने की तैयारी थी वह सब अब घर पर ही सिखाया जा रहा है।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Fri, 25 Sep 2020 07:36 PM (IST) Updated:Fri, 25 Sep 2020 07:36 PM (IST)
School At Home: हर घर बना किंडर गार्टन, खेल-खेल में बच्‍चे सीख रहे A, B, C, D
गपशप के साथ घर में ऐसे पढ़ाया जा रहा है बच्‍चों को। प्रतीकात्‍मक फोटो

आगरा, संदीप शर्मा। ताजनगरी निवासी कोमल धूपर शुक्ला ने बेटी सान्वी को घर पर ही अॉनलाइन राइम्स और लर्निंग विडियो से पढ़ाना शुरू किया। खेल-खेल में सीखने के लिए खिलौने व ब्लॉक मंगाकर घर पर ही किंडर-गार्टन जैसा माहौल देने की कोशिश की, ताकि पढ़ाई चलती रही।

केस टू

प्रतापपुरा निवासी कीर्ति शर्मा बेटी अदीशा को घर पर ही पढ़ाने के लिए राइम्स डाउनलोड कर उन्हें टीवी पर चलाकर पढ़ाना शुरू किया। खेल-खेल में सीखने वाले खिलौने लाकर उसे खेलते हुए पढ़ाने की कोशिश कर रही हैं, जिसमें अन्य स्वजन भी मदद करते हैं।

दोनों मामले महज बानगी भर हैं। जिस घर में छोटे बच्चे हैं, वहां अमूमन यही हाल है। ऐसा होना लाजमी भी है क्योंकि कोरोना वायरस संक्रमण काल में लॉकडाउन के बाद शुरू हुई अनलॉक प्रक्रिया में धीरे-धीरे भले ही सब कुछ खुलने लगा, लेकिन स्कूल फिलहाल बंद ही हैं। बड़े बच्चे तो, अॉनलाइन क्लासेज और अन्य माध्यमों से पढ़ रहे हैं, लेकिन सबसे ज्यादा परेशानी उन बच्चों की है, जिन्हें इस साल प्ले ग्रुप या किंडर-गार्टन में प्रवेश लेना था।

ऐसे बच्चों के अभिभावकों की परेशानी सबसे ज्यादा बड़ी हैं क्योंकि बढ़ते संक्रमण में बच्चे स्कूल गए, तो जान का जोखिम है, और घर पर रहे, तो पढाई में पिछड़ने की चिंता है। ऐसे में माता-पिता ने बीच का रास्ता निकालते हुए शिक्षकों की भी भूमिका संभाल ली है। मां बच्चों को लिखना, बोलना व समझाना सिखा रही हैं, तो वहीं पिता उन्हें खेल-खेल में सीखने की ट्रेनिंग दे रहे हैं। बच्चों वाला हर घर किंडर-गार्टन स्कूल बना नजर आने लगा है।

संयुक्त परिवार में सब ने संभाली जिम्मेदारी

एकाकी परिवारों में हालांकि जिम्मेदारी सिर्फ माता-पिता के सिर है, क्योंकि विकल्प नहीं, लेकिन संयुक्त परिवारों में दादा-दादी जहां बच्चों को प्रेरक कहानियां सुना रहे हैं, तो बड़े भाई-बहन समेत अन्य स्वजन खेल-खेल में बच्चों की उत्सुकता दूर कर मदद कर रहा है।

घर पर ऐसे पढ़ाएं

चाइल्ड एजूकेशन एक्सपर्ट रूचि सचदेवा ने बताया कि स्कूलों में हालांकि अॉनलाइन कक्षाएं चल रही हैं, जिसमें सिर्फ 30-40 मिनट ही रोजाना कक्षा लगती है और शनिवार को एक्टिविटी कराई जाती हैं। फिर भी जो लोग घर पर ही बच्चों को पढ़ाना और सिखाना चाहते हैं, वह शेप, अल्फाबेट आदि से जुड़े ब्लॉक का सहारा ले सकते हैं। बड़े चार्ट में चीजों और रंगों की फोटो दिखाकर भी बच्चों को समझाएं और सिखाएं। कलर-शेप और अल्फाबेट से जुड़ी साउंड्स वीडियो भी बेहतर विकल्प हो सकती हैं, लेकिन उच्चारण पर विशेष ध्यान देंस खराब उच्चारण से नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।

यह भी हैं तरीके

- एक ट्रे में रेत लेकर बच्चे को लकड़ी से लाइन बनाना व लिखना सिखाएं, 10 बार लिखने से शब्द दिमाग में बैठने लगेंगे।

- खाने की चीजे और फलों से स्वस्थ भोजना की सीख दें, नाम सिखाएं।

- घर में चीजें छुपाकर खेल-खेल में खोजकर लाने को बोलें, ताकि चीजों और कलर को वह पहचान पाएं।

- अंग्रेजी में छोटे छोटे शब्द उनके सामने बोलें व उन्हें दोहराने के लिए प्रेरित करें।

- आटे में फूड कलर डालकर उसे क्ले के रूप में खेलने को दें। चुकंदर, पालक और आटा गूंथकर, तीन अलग रंगों की जानकारी दे सकते हैं।

- गानों से बच्चे बेहतर तरीके से समझते हैं, इसलिए बैठाकर पढ़ाने की जगह खेलते-खेलते सिखाएं।

- बाहर जाएं, तो चीजों को देखकर सवाल करें, उनसे पूछे। उनकी सोचने-समझने और सीखने की क्षमता बढ़ेगी।

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