जरूरी दवाएं बाजार से गायब, मेडिकल किट का भी अता पता नहीं

मरीजों के इलाज में मुश्किलें बाजार में प्रिंट रेट से अधिक में बिकने लगीं दवाएं

By JagranEdited By: Publish:Tue, 27 Apr 2021 05:10 AM (IST) Updated:Tue, 27 Apr 2021 05:10 AM (IST)
जरूरी दवाएं बाजार से गायब, मेडिकल किट का भी अता पता नहीं
जरूरी दवाएं बाजार से गायब, मेडिकल किट का भी अता पता नहीं

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना संक्रमण के तेजी से हो रहे प्रसार को देखते हुए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को होम आइसोलेशन में रह रहे मरीजों को कम से कम एक सप्ताह का मेडिकल किट उपलब्ध कराने को कहा है। साथ ही गंभीर मरीजों की सहूलियत के लिए 108 एम्बुलेंस की आधी संख्या केवल कोविड के लिए आरक्षित किए जाने के भी निर्देश दिए हैं, लेकिन वास्तव में ताजनगरी में न तो जांच में पाजिटिव आने के बाद होम आइसोलेशन में रह रहे अधिकांश लोगों से किसी तरह का संपर्क किया जा रहा है और न ही उन्हें मेडिकल किट या अन्य कोई सुविधा मुहैया कराई जा रही है। बाजार से जरूरी दवाएं गायब होने लगी हैं। जुकाम, बुखार व बदन दर्द की दवाओं की बाजार में कमी होने लगी है। अधिकांश दवाई ऐसी हैं, जिनकी कालाबाजारी का खेल बडे़ पैमाने पर चल रहा है। कई दुकानों पर प्रिंट रेट एवं इससे अधिक पर भी मरीजों के तीमारदारों को दवा बिक्री की जा रही है।

जनपद मुख्यालय पर फव्वारा बाजार व हींग की मंडी में थोक दवा बाजार है। इनके साथ-साथ पूरे शहर व जिला में कोरोना के गंभीर मरीजों के इलाज में इस्तेमाल की जा रही रेमडेसिविर के बाद अब टोसिलिजुमैब इंजेक्शन व फैबीफ्लू टेबलेट जैसी आवश्यक दवाएं बाजार से गायब हो गई हैं। 200 से लेकर 800 मिलीग्राम की ये टैबलेट दवा दुकानों पर कुछ दिन पहले तक मौजूद थी। इसके लिए ग्राहकों का टोटा माना जाता था। 400 मिलीग्राम की इस टैबलेट की एक स्ट्रिप का रेट करीब 2700 रुपए बताया जाता है। टोसिलिजुमैब इंजेक्शन एंटीबाडी बढ़ाने के काम आता है। इसकी कीमत 45000 रुपये है। डाक्टर दवा के पर्चे में लिख रहे हैं। लोग मेडिकल स्टोर पहुंच रहे हैं, लेकिन कहीं नहीं मिल रहा है। इसी तरह बुखार के लिए फैबीफ्लू भी नहीं मिल रही है। जिक के लिए जिकोविट टेबलेट, आइवरमेक्टिन टेबलेट, विटामिन सी की टेबलेट लिम्सी, एजिथ्रोमाइसिन 500 एमजी टेबलेट का टोटा पड़ गया है। बमुश्किल मिल रही हैं। पैरासिटामोल 500 एमजी की टेबलेट की कमी आ गई है।

कई मेडिकल स्टोर संचालकों ने भी मनमानी शुरू कर दी है। 50 से 100 रुपये की दवाई पर प्रिंट रेट के आधार पर 200 से 250 रुपये तक वसूले जा रहे हैं। सर्जिकल उपकरण में पल्स आक्सीमीटर, आक्सीजन सिलिंडर में लगने वाला फ्लोमीटर, आक्सीजन मास्क की किल्लत है। दवा बाजार में खोजना पड़ रहा है। दवा कारोबारियों का कहना है कि अधिकांश दवा व सर्जिकल सामग्री दिल्ली व गुजरात से आती है। लाकडाउन होने से एक तो सप्लाई नहीं हो पा रही है, दूसरा कारण इन दवाओं व सर्जिकल उपकरणों की मांग पहले 10 फीसद थी, अब 1000 गुना बढ़ गई है। इससे कंपनियां आपूर्ति भी नहीं कर पा रही हैं।

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