World Environment Day: लाॅकडाउन में प्रकृति ने खुद शुरू किया अपना इलाज, यकीन न हो तो देखें ये Data
World Environment Day जोधपुर झाल व सेवला वेटलैंड ग्वालियर रोड जैसे छोटे वेटलैंड्स पर लाॅकडाउन का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इन वेटलैंड पर मानव गतिविधिया सीमित हो जाने के फलस्वरूप पक्षियों को अधिक और लंबे समय तक भोजन उपलब्ध हो सका।
आगरा, जागरण संवाददाता। लाॅकडाउन से आगरा पर्यावरण में प्रदूषण के साथ-साथ वन्य जीव जन्तुओं के अनुकूल पर्यावरण में सुधार के संकेत मिल रहे हैं। पर्यावरण में वायु एवं जल प्रदूषण से ही भारत में लगभग 15 लाख मौतें प्रति वर्ष होती हैं।
अंधाधुंध पेड़ो का कटना, नदियों में प्रदूषण, बालू का खनन, पहाडों का खनन, प्लास्टिक कचरा, अनावश्यक प्रजाति का वृक्षारोपण, तालाबों पर अतिक्रमण, कारखानों व वाहनों से उगलता धुआं, नदियों में गिरते नाले व अपशिष्ट हमारे पर्यावरण के लिए गंभीर खतरा हैं। लेकिन लाॅकडाउन ने हमें यह तो सिखा ही दिया है कि पर्यावरण संरक्षण कठिन जरूर है लेकिन नामुमकिन नहीं। वर्तमान में पर्यावरण पर चिंता के साथ निदान की सख्त जरूरत है। लाॅकडाउन में प्रकृति ने इंसान को संरक्षण के तौर तरीके सिखा दिए हैं।
लाॅकडाउन के अध्ययन में निकली उत्साहित करने वाली खबर
बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी द्वारा आगरा में लाॅकडाउन के प्रभाव का पर्यावरण व पक्षियों पर किये गए अध्ययन में महत्वपूर्ण जानकारियां निकल कर आई हैं जो पर्यावरण के दृष्टिकोण से उत्साहित करने वाली हैं।
- पक्षियों के भोजन काल का समय सुबह जल्दी प्रारंभ होना शुरू हुआ है।
- सुरक्षित व स्वच्छ पर्यावरण से पक्षियों की जनसंख्या वृद्धि दर्ज की गई।
- प्रवासी पक्षियों की संख्या वृद्धि हुई एवं नई प्रजातियां देखी गई।
- सामान्यत मार्च तक वापस लौटने वाले प्रवासी पक्षियों की ठहरने के समय में वृद्धी हुई और मई के महिने तक प्रवासी पक्षी ठहरे हुए हैं।
वेटलैंड्स में सुधार के परिणाम आए सामने
पक्षी विशेषज्ञ डॉ के पी सिंह के अनुसार जोधपुर झाल व सेवला वेटलैंड ग्वालियर रोड जैसे छोटे वेटलैंड्स पर लाॅकडाउन का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। इन वेटलैंड पर मानव गतिविधिया सीमित हो जाने के फलस्वरूप पक्षियों को अधिक और लंबे समय तक भोजन उपलब्ध हो सका। इस कारण इन वेटलैंड पर अधिक समय तक प्रवासी पक्षी ठहरे और नई प्रजातियों का आगमन हुआ। सेवला वेटलैंड ग्वालियर रोड पर पर्यावरण सुधार के फलस्वरूप नये प्रवासी पक्षी गार्गेनी व नोर्दन शोवलर अच्छी संख्या में रिकार्ड किए गए। इस वेटलैंड पर नाब-बिल्ड डक और लेशर विशलिंग डक मई माह तक रुकी रहीं ।
आगरा मथुरा की सीमा पर स्थित जोधपुर झाल वेटलैंड पर कई नयी प्रवासी प्रजातियां देखी गई जिनमे मलार्ड व रूडी शेल्डक मुख्य रही। आश्चर्यजनक रूप से प्रवासी काॅमन टील अभी तक दिखाई दे रही है जो सामान्यत मार्च तक वापस चली जाती है। इस साल जोधपुर झाल पर ग्रेटर फ्लेमिंगो अभी तक रुका हुआ है और इनकी संख्या विगत वर्षों से अधिक रिकार्ड की गई है। जोधपुर झाल पर इस साल जलीय पक्षियों की प्रजनन दर में वृद्धी दर्ज की गई है। स्थानीय प्रवासी पक्षी फिजेन्ट टेल्ड जेकाना अच्छी संख्या में पहुंचकर प्रजनन कर रहा है यह लाॅकडाउन के फलस्वरूप ईको सिस्टम के दुरूस्त होने के संकेत हैं।
पारिस्थितिकीय तंत्र को सुधारने के लिए उठाने होंगे लाॅकडाउन जैसे कदम
डॉ केपी सिंह के अनुसार पृथ्वी के लिए ईको-सिस्टम शरीर, जंगल फेफड़े, नदियां रक्तवाहिनियां, वेटलैंड किडनी, फूड-चैन पाचन तंत्र की तरह कार्य करते हैं। लाॅकडाउन के नियमों का पालन सामान्य परिस्थितियों में करके ईको सिस्टम रूपी पृथ्वी के शरीर को बचा सकते हैं।
आगरा में विगत तीन वर्ष की यमुना नदी में प्रदूषण की स्थिति
सेम्पल स्थल : ताजमहल , आगरा
डीओ व बीओडी ( मि.ग्रा प्रति लीटर)
टोटल काॅलिफार्म ( एमपीएन प्रति 100 मि.ग्रा)
वर्ष डीओ बीओडी टोटल काॅलिफार्म
अप्रैल 19 : 5.1 16.4 120000
अप्रैल 20 : 5.4 11.2 89000
अप्रैल 21 : 5.8 14.0 90000
अप्रैल 19 : कोई लाॅकडाउन नहीं
अप्रैल 20 : संपूर्ण लाॅकडाउन
अप्रैल 21 : आंशिक लाॅकडाउन
डाटा टेबल से ज्ञात हो रहा है कि अप्रैल 2020 में संपूर्ण लाॅकडाउन की अवधि में विगत वर्ष 2019 की तुलना में यमुना नदी के जल प्रदूषण में सुधार हुआ है। अप्रैल 21 में आंशिक लाॅकडाउन में तुलनात्मक रूप से स्थिति में ज्यादा सुधार नहीं है।
लाॅकडाउन ने लगाई आगरा के वायु प्रदूषण पर लगाम
सेंपल स्थल : नुनिहाई , आगरा
वर्ष 2020 में एक्यूआई की स्थिति
फरवरी - 164, मार्च - 99, अप्रैल - 75 रिकार्ड किया गया । इसमें अप्रैल माह में संपूर्ण लाॅकडाउन था और एक्यूआई सबसे कम ।
वर्ष 2021 में एक्यूआई की स्थिति
फरवरी - 219, मार्च - 246,
अप्रैल - 249 रिकार्ड किया गया । इस वर्ष आंशिक लाॅकडाउन लगाया गया फलस्वरूप हवा की स्थिति संतोषजनक नही रही।
दोनो वर्ष के आंकड़ों के आधार पर यह कह सकते हैं कि हवा की सेहत में संपूर्ण लाॅकडाउन में सुधार अधिक दर्ज किया गया।