Ekadashi Vrat 2021: उत्पन्ना एकादशी कल, जानिए महत्व और पूजन विधि

Ekadashi Vrat 2021 उत्पन्ना एकादशी 30 नवंबर 2021 मंगलवार प्रात 0413 बजे से शुरु होकर एक दिसंबर को मध्यरात्रि 02 13 बजे तक रहेगी। जबकि द्वादशी व्रत पारण समय एक दिसंबर को 0734 बजे से 09 01 मिनट तक होगा।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Mon, 29 Nov 2021 03:22 PM (IST) Updated:Mon, 29 Nov 2021 03:22 PM (IST)
Ekadashi Vrat 2021: उत्पन्ना एकादशी कल, जानिए महत्व और पूजन विधि
हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है।

आगरा, जागरण संवाददाता। हिंदू धर्म में एकादशी के व्रत का विशेष महत्व है। भगवान विष्णु की कृपा पाने के लिए एकादशी का व्रत रखा जाता है। हर माह पड़ने वाली एकादशी को अलग-अलग नाम से जाना जाता है। मार्गशीर्ष माह की कृष्ण पक्ष की एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के नाम से जाना जाता है, जो 30 नवंबर, मंगलवार के दिन पड़ रही है। कहते हैं कि एकादशी का व्रत रखने से मृत्यु के बाद सद्गति प्राप्त होती है और इस जन्म में सभी पापों का नाश होता है।

ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार उत्पन्ना एकादशी 30 नवंबर 2021, मंगलवार प्रात: 04:13 बजे से शुरु होकर एक दिसंबर को मध्यरात्रि 02: 13 बजे तक रहेगी। जबकि, द्वादशी व्रत पारण समय : एक दिसंबर को 07:34 बजे से 09: 01 मिनट तक होगा। डॉ शाेनू के मुताबिक सभी व्रतों में एकादशी का व्रत कठिन व्रतों में से एक है। जो कि दशमी तिथि की शाम सूर्यास्त के बाद से ही शुरु हो जाता है और एकादशी का व्रत द्वादशी तिथि पर समाप्त होता है। इस दिन तामसिक भोजन से परहेज करें और सात्विक और हल्का आहार लें। कहा जाता है कि जो भी व्यक्ति एकादशी के व्रत शुरू करना चाहता है, वे उत्पन्ना एकादशी के व्रत से शुरू कर सकते हैं। जिसका जीवन में पुण्य फल मिलता है।

उत्पन्ना एकादशी व्रत विधि 

- उत्पन्ना एकादशी व्रत के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान आदि करके व्रत का संकल्प लें।

- फिर मंदिर में भगवान विष्णु जी के आगे घी का दीपक जलाएं। फल-फूल आदि से पूजन करें।

- उत्पन्ना एकादशी पर पूरे दिन उपवास रखकर श्रीहरि का स्मरण करें। इस दिन दिन में सोना नहीं चाहिए।

- द्वादशी तिथि को प्रात: जल्दी उठकर स्नान करने के बाद फिर से पूजन करें। 

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