बुखार से तप रही ब्रज भूमि में बदली डोज की मात्रा
पैरासीटामोल की नई डोज 650 एमजी की। 14 महीने की दवा 50 दिन में बिकी। ग्लूकोज की बोतलें एंटीबायोटिक व बच्चों की दवा बाजार से गायब। बच्चों से जुड़े सीरप एंटीबायोटिक की बिक्री में बीस गुना व कफ सीरप में पांच गुना की वृद्धि हुई है।
आगरा, जागरण संवाददाता। 84 कोस की परिधि में फैली हुई श्रीकृष्ण की लीला स्थली ब्रज भूमि यानि आगरा जोन बुखार से तप रहा है। पिछले 48 घंटे में 42 रोगी दम तोड़ चुके हैं। एक हजार की आबादी में आठ लोग बुखार से पीड़ित हैं। ऐसे में दर्द व बुखार निवारक टेबलेट पैरासीटामोल की मात्रा भी बदल गई है। चिकित्सक 500 एमजी के बजाय अब रोगियों को 650 एमजी की डोज दे रहे हैं। बच्चों के लिए जरूर पैरासीटामोल 500 एमजी ही अनमोल हो गई है। इसकी बिक्री में जबरदस्त उछाल आया है। 50 दिन में 14 महीने का स्टाक खत्म हो गया है। बच्चों से जुड़े सीरप, एंटीबायोटिक की बिक्री में बीस गुना व कफ सीरप में पांच गुना की वृद्धि हुई है। बुखार निवारक बच्चों के सीरप कालपोल, आइबीयू सी व पेसीमोल, ग्लूकोज की बोतलें व एंटीबायोटिक बाजार से गायब हैं। हालात यह है कि बुखार का कहर अभी थमने का नाम नहीं ले रहा है। लगातार रोगियों की संख्या में इजाफा हो रहा है।
कोरोना की तीसरी लहर की आशंका के मद्देनजर भी दवा व्यापारियों ने बुखार, खांसी, जुकाम, दर्द के साथ-साथ एंटीबायोटिक दवाओं का पर्याप्त मात्रा में स्टाॅक रख लिया था, लेकिन अचानक डेंगू और वायरल के कहर के चलते दर्द व बुखार निवारक टेबलेट पैरासीटामोल की बिक्री बढ़ गई। फव्वारा बाजार, राजा की मंडी, कमला नगर आदि मेडिकल स्टोर का हाल यह है कि उन पर इस टेबलेट की कमी है। आगरा देहात ही नहीं जोन के मैनपुरी, मथुरा, फिरोजाबाद, एटा, अलीगढ़, हाथरस व कासगंज आदि जनपदों में भी यहां के 1274 थोक कारोबारियों में से 703 के यहां से इस टेबलेट की आपूर्ति होती है। डोलो, सूमो, टाइलीनॉल, कालपोल, क्रोसिन समेत 52 विभिन्न कंपनियों की यह टेबलेट बिकती है। माइक्रो कंपनी द्वारा निर्मित डोलो टेबलेट को बेचने के लिए आगरा में 14 थोक कारोबारी हैं, जहां से रोज 1300 डिब्बों की बिक्री हो रही है। कारोबारियों की मानें तो उनके यहां पैरासीटामोल खरीदने वालों का ब्योरा दर्ज किया जाता है।
अक्टूबर, 2018 से दिसंबर, 2019 तक करीब 9.5 लाख डिब्बे पैरासीटामोल टेबलेट की बिक्री हुई जबकि पिछले 50 दिन में यानी 27 अगस्त, 2021 से 16 अक्टूबर, 2021 तक 13 लाख डिब्बे पैरासीटामोल टेबलेट की बिक्री हो गई। कोरोना काल यानी एक अप्रैल, 2020 से 31 अगस्त, 2020 तक चार लाख डिब्बे व एक अप्रैल, 2021 से एक जून, 2021 तक 5.5 लाख डिब्बे पैरासीटामोल टेबलेट की बिक्री हुई। 26 जून, 2020 से 26 अगस्त, 2021 तक 12.5 लाख पैरासीटामोल टेबलेट की बिक्री हुई। इन दिनों बुखार, खांसी, जुकाम, दर्द के साथ-साथ एंटीबायोटिक दवाओं की बिक्री खूब बढ़ गई है। ग्लूकोज की बोतलें व एंटीबायोटिक की भारी कमी आ गई है। इलाज के दौरान सबसे ज्यादा इन्हीं की जरूरत होती है। भारी जरूरत के बीच डेक्स्ट्रोज और नार्मल सलाइज दोनों ही लगभग खत्म हो चुकी हैं। अस्पताल में रोगी को भर्ती करते ही ग्लूकोज की बोतलें प्रयोग की जा रही हैं। वैसे भी यह सस्ती हैं, इसलिए इनकी कमी बनी हुई है।
क्या कहते हैं लोग
पैरासीटामोल टेबलेट की बिक्री बाजार में 50 दिन में इतनी हो गई है जो कि पहले 14-15 महीने में होती थी। एंटीबायोटिक व ग्लूकोज की बोतलों की भारी कमी बनी हुई है।
-आशीष शर्मा, अध्यक्ष आगरा महानगर केमिस्ट एसोसिएशन
पैरासीटामोल टेबलेट की बिक्री बेतहाशा हुई है। बुखार निवारक टेबलेट पैरासीटामोल की डोज भी डाक्टरों ने बदली है, जिस कारण अब 650 एमजी पैरासीटामोल की अधिक मांग है, लेकिन बच्चों को 500 एमजी पैरासीटामोल ही दी जा रही है। बुखार निवारक बच्चों से जुड़े सीरप का बाजार मेें अभाव है। ग्लूकोज की बोतल की सबसे अधिक कमी बनी हुई है।
-पुनीत कालरा, प्रवक्ता आगरा फार्मा एसोसिएशन
चिकित्सक की सलाह के बिना एंटीबायोटिक दवा नहीं लेनी चाहिए। बुखार कई तरह के होते हैं। सिर्फ बैक्टीरियल इंफेक्शन में एंटीबायोटिक कारगर होती है, जबकि वायरल इंफेक्शन में यह काम नहीं करेगी। ऐसे में चिकित्सक भी पहले पैरासीटामोल लिखते हैं, फिर लक्षणों और जांच के आधार पर एंटीबायोटिक तय करते हैं। मरीज खुद से एंटीबायोटिक दवा लेंगे तो फायदे की जगह नुकसान हो सकता है। पैरासीटामोल 500 एमजी से पहले काम चल रहा था पर अब 650 एमजी टेबलेट दी जा रही है।
-डाॅ. मनीष बंसल, वरिष्ठ फिजीसियन सरोजनी नायडू मेडिकल कालेज
पैरासीटामोल, एंटीबायोटिक व बच्चो के सीरप की बिक्री पर ध्यान रखा जा रहा है। अभी बाजार में ये सब दवा उपलब्ध हैं। इनकी कमी नहीं है।
-राजकुमार शर्मा, औषधि निरीक्षक