आगरा के चिकित्सक दंपती को नहीं मिली अग्रिम जमानत, जानिए क्या लगे हैं आरोप

लोहामंडी के खतैना में स्थित पर्ल्स हास्पीटल के संचालक डाक्टर सिद्धार्थ नाथ और सुरेखा के खिलाफ प्रताप सिंह वर्मा ने जगदीशपुरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। दंपती ने उसे अपने अस्पताल में डायग्नोस्टिक सेंटर खुलवा 25 लाख रुपये देने पर 50 फीसद की हिस्सेदारी देने का वादा किया था।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sat, 24 Jul 2021 03:41 PM (IST) Updated:Sat, 24 Jul 2021 03:41 PM (IST)
आगरा के चिकित्सक दंपती को नहीं मिली अग्रिम जमानत, जानिए क्या लगे हैं आरोप
धाेखाधड़ी के मामले में फंसे हैं आगरा के डॉक्टर दंपति।

आगरा, जागरण संवाददाता। धोखाधड़ी के आरोपित चिकित्सक दंपती को अदालत से अग्रिम जमानत नहीं मिल सकी। चिकित्सक दंपती सिद्धार्थ नाथ और सुरेखा की ओर से प्रस्तुत अग्रिम जमानत प्रार्थना पत्र को अपर जिला जज सुधीर कुमार ने खारिज करने के आदेश दिए।

लोहामंडी के खतैना में स्थित पर्ल्स हास्पीटल के संचालक डाक्टर सिद्धार्थ नाथ और सुरेखा के खिलाफ प्रताप सिंह वर्मा ने जगदीशपुरा थाने में मुकदमा दर्ज कराया था। प्रताप सिंह वर्मा के अनुसार डाक्टर सिद्धार्थ नाथ और सुरेखा उसके रिश्तेदार हैं। दंपती ने उसे अपने अस्पताल में डायग्नोस्टिक सेंटर खुलवा 25 लाख रुपये देने पर 50 फीसद की हिस्सेदारी देने का वादा किया था।

प्रताप सिंह का आरोप है उसने अगस्त 2015 को उसने सिद्धार्थ नाथ को 25 लाख रुपये दे दिए। डाक्टर ने उन्हें हिस्सेदारी के बाबत किराएनामा पर दोनों पक्ष के हस्ताक्षर करा कर दे दिए। इस किराएनामे में सुरेखा ने बतौर पगड़ी 50 लाख रुपये ले लिए। उनसे कहाकि अस्पताल में दूसरे हिस्सेदार से हस्ताक्षर कराने के बाद डायाग्नोस्टिक सेंटर के लिए जगह उपलब्ध करा देंगे। दो महीने तक कोई कार्य न होने पर वादी द्वारा दबाव बनाने पर डाक्टर सिद्धार्थ नाथ ने कहा कि लागत बढ़ने पर वह 50 की जगह 20 फीसद हिस्सेदारी ही देंगे। वह लिए गए 25 लाख रुपये में से 15 लाख वापस कर देंगे।

प्रताप सिंह वर्मा का आरोप है कि रकम वापस करने के लिए डाक्टर ने प्रस्ताव रखा। उनसे कहाकि वह उन्हें मकान के कागज रखकर फर्म के लिए बैंक से लोन लेना होगा। मजबूरी के चलते उन्होंने यह प्रस्ताव मान लिया।उन्होंने डायग्नोस्टिक सेंटर के नाम से फर्म बना पांच जनवरी 2016 को साझीदारी की डीड स्वीकार कर ली। इसके बाद विपक्षीगण ने उनसे कनिष्क डायग्ननोस्टिक सेंटर के नाम से बैंक में खाता खोलने की कहा। उन्होंने डाक्टर से 15 लाख रुपये वापस लेकर अपने मकान की रजिस्ट्री दे दी। जिस पर डाक्टर ने बैंक से 65 लाख रुपये का लोन ले लिया। मगर, सेंटर नहीं शुरू कराया। लोन की किस्त न चुकाने पर बैंक ने उनके मकान की नीलामी की प्रक्रिया शुरू कर दी।

chat bot
आपका साथी