कोरोना का कहर कम होते ही आगरा के पांच ब्लाकों में शुरू हुए मनरेगा के तहत विकास कार्य

जिले की 660 ग्राम पंचायतों में से 670 ग्राम पंचायतों में विकास कार्य चल रहे हैं। इनमें से शमसाबाद ब्लाक की 59 सैंया की 44 पिनाहट की 36 जैतपुर कलां की 45 और अकोला ब्लाक की सभी 38 ग्राम पंचायतों में विकास कार्य चल रहे हैं।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Thu, 17 Jun 2021 03:01 PM (IST) Updated:Thu, 17 Jun 2021 03:01 PM (IST)
कोरोना का कहर कम होते ही आगरा के पांच ब्लाकों में शुरू हुए मनरेगा के तहत विकास कार्य
मनरेगा के अंतर्गत होने वाले कामों ने आगरा जनपद में रफ्तार पकड़ ली है।

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना का कहर कम होते ही विकास कार्यों का ग्राफ तेजी से बढ़ गया है। मजदूर भी रोजगार के लिए काम पर निकलने लगे हैं। कोरोना के कहर के चलते, जिन मजदूरों के कदम ठिठक गए थे, वह भी अब काम पर आने लगे हैं। अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि जिले के 15 ब्लाकों में से पांच ब्लाकों की सभी ग्राम पंचायतों में कोई न कोई विकास कार्य चल रहा है। कहीं, नाली-खरंजे तो कहीं तालाब खुदाई या रेन वाटर हार्वेस्टिंग का काम चल रहा है। इससे 36 हजार से अधिक मनरेगा मजदूरों को रोजगार मिल रहा है। जिले की 670 ग्राम पंचायतों में चल रहे विभिन्न प्रकार के विकास कार्य मनरेगा के तहत कराए जा रहे हैं।

जिले की 660 ग्राम पंचायतों में से 670 ग्राम पंचायतों में विकास कार्य चल रहे हैं। इनमें से शमसाबाद ब्लाक की 59, सैंया की 44, पिनाहट की 36, जैतपुर कलां की 45 और अकोला ब्लाक की सभी 38 ग्राम पंचायतों में विकास कार्य चल रहे हैं। इन विकास कार्यों के माध्यम से 36,226 मनरेगा मजदूरों को रोजगार भी मिल रहा है। जिले में सबसे अधिक कार्य तालाब खुदाई से संबंधित चल रहे हैं। बता दें कि कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मजदूरों के कदम भी ठिठक गए थे। उन्होंने भी घर से बाहर कदम रखना बंद कर दिया था। ऐसे में जिले में तमाम विकास कार्य बंद करने पड़े थे। मगर, जैसे-जैसे कोरोना का कहर कम होने लगा है, मजदूर भी काम पर लौटने लगे हैं।

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