इंडोर पौधों के साथ ही बढ़ी औषधीय पौधों की मांग

लाकडाउन में बढ़ा हरियाली प्रेम घरों की बालकनियों छतों और चबूतरों पर गमलों में पूरा कर रहे बागवानी का शौक नर्सरियों से पौधों के साथ गमले भी खरीद रहे लोग

By JagranEdited By: Publish:Tue, 24 Nov 2020 05:50 AM (IST) Updated:Tue, 24 Nov 2020 05:50 AM (IST)
इंडोर पौधों के साथ ही बढ़ी औषधीय पौधों की मांग
इंडोर पौधों के साथ ही बढ़ी औषधीय पौधों की मांग

आगरा, जागरण संवाददाता।

बालकनी हो, छत हो या घर के बाहर चबूतरा, हर जगह छोटे-बड़े गमलों में पौधे दिखाई दे रहे हैं। लाकडाउन में लोगों का हरियाली के प्रति प्रेम बढ़ा है। नर्सरियों में पौधे खरीदने वालों की भीड़ जुटने लगी है। इंडोर पौधों के साथ ही औषधीय पौधों की भी मांग बढ़ी है। गमलों को खरीदने के साथ ही लोहे के स्टैंड बनाने वालों के पास भी अब ज्यादा लोग पहुंचने लगे हैं।

लाकडाउन में लोगों ने अपने अकेलेपन को दूर करने और समय का सदुपयोग करते हुए हरियाली की तरफ कदम बढ़ाए। घरों की छतों और चबूतरों पर तो फ्लैटों की बालकनियों में लोगों ने गमलों में ही पौधे लगाने शुरू किए। सजावटी की जगह लोग औषधीय पौधे ज्यादा खरीद रहे हैं।

नर्सरी संचालक मुश्ताक बताते हैं कि लाकडाउन में ही लोगों ने औषधीय पौधों की मांग करना शुरू कर दिया था। अनलाक होते ही इन पौधों की बिक्री में तेजी से वृद्धि हुई है। श्याम और राम तुलसी, वन तुलसी के साथ गिलोय, अश्वगंधा, घृतकुमारी आदि पौधे हर रोज 10 से 12 बिक रहे हैं, जो लाकडाउन से पहले एक-दो पौधे ही बिकते थे।

कच्ची जमीन की कमी को पूरा किया गमलों ने

अब घरों में कच्ची जमीन कम होती है, ऐसे में गमलों में ही लोग पौधे लगाकर अपने हरियाली प्रेम को बरकरार रख रहे हैं। छह इंच वाले गमले से लेकर 12 इंच वाले गमले की ज्यादा मांग है।

गमले बेचने वाले सुरेंद्र ने बताया कि लाकडाउन से पहले के मुकाबले गमलों की बिक्री में 20 से 30 फीसद इजाफा हुआ है। छह इंच वाले गमले की कीमत 30 रुपये है तो 12 इंच वाले गमले की कीमत 60 रुपये है। प्लास्टिक के गमले भी अब लोगों को काफी पसंद आ रहे हैं। गमले रखने के लिए बढ़ी लोहे की स्टैंड की मांग

लोग कम जगह में ज्यादा गमले रखने के लिए लोहे के स्टैंड भी बनवा रहे हैं। लोहे के स्टैंड बनाने वाले राजेंद्र भल्ला ने बताया कि ए शेप वाले, एल शेप वाले और टेबल स्टाइल के स्टैंड की सबसे ज्यादा मांग है। इसके साथ ही फ्लैट में रहने वाले ग्रिल में टांगने वाले गमले स्टैंड काफी पसंद कर रहे हैं।

शौक को दिया ज्यादा समय

दयालबाग में रहने वाली विनीता मित्तल ने पूरे लाकडाउन में अपने बागवानी के शौक को समय दिया और अपनी छत पर ही सब्जियां उगाईं। घर पर ही खाद बनाने की शुरुआत की। विनीता बताती हैं कि लाकडाउन में मिले समय ने मेरे शौक को जिदा कर दिया। अब तो मेरी सहेलियां भी मुझसे सलाह लेती हैं। विनीता के इस शौक को सहेजने में उनके स्वजन भी मदद करते हैं।

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