पुरानी डिग्रियों के लिए नहीं लिया जाएगा उपाधि शुल्क

राज्यपाल ने खत्म की बाध्यता कमेटी में शामिल हैं विश्वविद्यालय के कुलपति

By JagranEdited By: Publish:Thu, 30 Sep 2021 06:00 AM (IST) Updated:Thu, 30 Sep 2021 06:00 AM (IST)
पुरानी डिग्रियों के लिए नहीं लिया जाएगा उपाधि शुल्क
पुरानी डिग्रियों के लिए नहीं लिया जाएगा उपाधि शुल्क

आगरा, जागरण संवाददाता। राज्यपाल आनंदी बेन पटेल ने राज्य विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में वितरण के लिए लंबित पड़ी पुरानी डिग्रियों की सुध ली है। यही नहीं, उन्होंने दीक्षांत समारोह के बाद छात्रों को अविलंब डिग्री वितरण के निर्देश भी दिए हैं। इसके लिए उन्होंने उपाधि शुल्क लेने की बाध्यता को समाप्त करने के निर्देश दिए हैं। यह फैसला उन्होंने 10 सदस्यीय समिति से विचार-विमर्श के बाद लिया है। इस समिति में डा.भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति भी सदस्य हैं। इस फैसले से विश्वविद्यालय में लंबित हजारों डिग्रियों के वितरण में आसानी हो जाएगी।

अपर मुख्य सचिव राज्यपाल महेश कुमार गुप्ता की तरफ से जारी पत्र के अनुसार विश्वविद्यालयों में सालों से लंबित डिग्रियों के वितरण के लिए राज्यपाल ने ऐसी व्यवस्था बनाने के निर्देश दिए हैं, जिससे लंबित डिग्रियों का शीघ्र वितरण हो सके और भविष्य में दीक्षांत समारोह के तत्काल बाद सभी छात्रों को उनकी डिग्रियां तत्काल वितरित हो जाएं। राज्यपाल की मंशा के अनुरूप इस संदर्भ में गठित कमेटी से विचार-विमर्श कर यह निर्णय लिया गया है कि लंबित डिग्रियों को वितरित करने के लिए उपाधि शुल्क लेने की बाध्यता को समाप्त कर दिया जाए और यह सभी डिग्रियां निश्शुल्क वितरित की जाएं। विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में डिग्रियों के शत-प्रतिशत वितरण को सुनिश्चित कराने के लिए अपर मुख्य सचिव राज्यपाल श्री महेश कुमार गुप्ता की अध्यक्षता में 10 सदस्यीय कमेटी गठित है। जिसमें लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ, महात्मा गांधी काशी विद्यापीठ, वाराणसी, चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय मेरठ, शकुन्तला मिश्रा पुनर्वास विश्वविद्यालय लखनऊ, चन्द्रशेखर आजाद कृषि एवं प्रौद्योगिक विश्वविद्यालय कानपुर, केजीएमयू लखनऊ, एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधिक विश्वविद्यालय, लखनऊ, भातखण्डे संगीत संस्थान (अभिमत) विश्वविद्यालय लखनऊ के कुलपति एवं कुलाधिपति के विशेष कार्याधिकारी शिक्षा बतौर सदस्य शामिल हैं। विश्वविद्यालय ने पिछले दिनों ही सात लाख तैयार डिग्रियों के वितरण की व्यवस्था की थी। वर्तमान में भी विश्वविद्यालय में हजारों डिग्रियां तैयार हैं, लेकिन वितरित नहीं की गई हैं।

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