आओ बांटे दर्द: आगरा में ट्यूशन से परिवार को आर्थिक संकट से निकालने की कोशिश कर रहीं बेटियां
आओ बांटे दर्द न्यू आगरा के रहने वाले इंजीनियर की कोरोना के चलते हुई थी मौत। परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटियां और एक बेटा तीनों बच्चे कर रहे पढ़ाई। बच्चों को पढ़ाइ बरकरार रखने के लिए मुख्यमंत्री की बाल सेवा याेजना से मिलने वाली मदद का इंतजार है।
आगरा, जागरण संवाददाता। न्यू आगरा इलाके में रहने वाले एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में इंजीनियर की कोरोना से मौत हो गई। परिवार में पत्नी के अलावा दो बेटी और एक बेटा है। बड़ी बेटी बीएससी में प्रवेश की तैयारी कर रही है। वहीं छोटी बेटी ग्यारहवीं पढ़ती है।पिता की मौत के बाद आर्थिक संकट में घिरे परिवार को दोनों बेटियां उबारने के लिए प्रयासरत हैं। वह ट्यूशन पढ़ा रही हैं। मगर, उनका यह प्रयास ऊंट के मुंह में जीरे के समान है।
न्यू आगरा इलाके के रहने वाले ओम शंकर परमार एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में इंजीनियर थे। उन्हें 25 अप्रैल को तेज बुखार आया। अगले दिन सांस लेने में दिक्कत की शिकायत की। उनका आक्सीजन लेबल काफी कम हो गया था। स्वजन ने 26 अप्रैल को उन्हें भर्ती कराने के लिए कई अस्पतालों के चक्कर काटे। मगर, आक्सीजन और बेड नहीं होने से उन्हें वहां भर्ती नहीं किया गया। इसके बाद स्वजन उन्हें एसएन मेडिकल कालेज के कोविड वार्ड भर्ती कराने का प्रयास किया। मगर, यहां भी डाक्टरों ने बताया कि कोई बेड खाली नहीं है।
स्वजन ने 26 अप्रैल की दोपहर उन्हें किसी तरह से जिला अस्पताल में भर्ती कराया। यहां 27 अप्रैल को उन्होंने दम तोड़ दिया। ओम शंकर की मौत ने उनकी पत्नी और बेटी के लिए आर्थिक संकट खड़ा कर दिया है। दोनों बेटियां इस चुनाैती से उबरने के लिए ट्यूशन पढ़ा रही हैं। उनके कंधों पर परिवार के साथ छोटे भाई और अपना कैरियर बनाने की जिम्मेदारी भी है। जमा पूंजी के नाम पर उनके बहुत ज्यादा नहीं है।
नाबालिग बेटी और बेटे को अपनी पढ़ाई बरकरार रखने के लिए अब मुख्यमंत्री की बाल सेवा याेजना के तहत मिलने वाली मदद का इंतजार है। परिवार का कहना था कि सरकार की याेजना का लाभ मिलने से उनकी पढ़ाई बिना किसी बाधा के जारी रह सकेगी।