चंबल में रौनक, धूप सेंकने निकले मगरमच्छ, घड़ियाल

रेत के टापू पर बढ़ी संख्या में आ रहे हैं नजर पहुंच रहे पर्यटक सात से 10 दिसंबर के बीच होगी जलीय जीव और पक्षियों की गिनती

By JagranEdited By: Publish:Fri, 26 Nov 2021 11:30 PM (IST) Updated:Fri, 26 Nov 2021 11:30 PM (IST)
चंबल में रौनक, धूप सेंकने निकले मगरमच्छ, घड़ियाल
चंबल में रौनक, धूप सेंकने निकले मगरमच्छ, घड़ियाल

आगरा, जागरण संवाददाता।

सर्दी शुरू होते ही चंबल की शोभा सुहानी हो जाती है। नदी के किनारे जलीय जीव और पक्षियों की हलचल बढ़ने लगी है। आठ माह बाद लौटे इंडियन स्कीमर चंबल के टापुओं पर मोती से बिखेरे हुए हैं तो मगरमच्छ, घड़ियाल भी धूप सेंकने(बास्किंग) को पानी से बाहर आने लगे हैं। चंबल में सात से दस दिसंबर के बीच जलीय जीवों और पक्षियों की गणना भी शुरू होगी।

चंबल किनारे हर साल बड़ी संख्या में प्रवासी पक्षी आते हैं। इनमें इंडियन स्कीमर सबसे अधिक होते हैं। यही नहीं, नदी में घड़ियाल और मगरमच्छ के साथ डाल्फिन भी है। गर्मी के मौसम में यह जलीय जीव पानी से बाहर नहीं आते हैं। सर्दी में यह धूप सेंकने को किनारे या नदी में बने बालू के टापू पर निकल आते हैं। मुंह खोले धूप में लेटे मगरमच्छ और घड़ियाल को देखने का यह सबसे बेहतरीन समय होता है। डाल्फिन भी छलांग लगाते कभी-कभार नजर आ जाती है। ये नजारे देखने पर्यटक आ रहे हैं। अलग होता है शरीर का तापमान

मगरमच्छ और घड़ियाल के शरीर का तापमान इंसान से कम होता है। इसलिए सर्दी आते ही यह धूप में घंटों मुंह खोलकर लेटे रहते हैं। इनकी ऊपरी परत मोटी होती है, इसलिए गर्मी को सोखती नहीं है। इसीलिए यह मुंह खोलकर लेटते हैं। एक मगरमच्छ या घड़ियाल एक दिन में चार से पांच घंटे धूप में लेटता है। हर साल होती है गिनती

चंबल नदी में 2008 में 100 से ज्यादा घड़ियालों की मौत हो गई थी। तब से हर साल सर्दी के मौसम में इनकी गिनती होती है। इसी साल जून डीएफओ चंबल दिवाकर श्रीवास्तव ने बताया कि गिनती तब की जाती है जब ज्यादा ठंड होती है। गिनती के लिए 165 किलोमीटर लंबी चंबल को पांच-पांच किलोमीटर में बांट दिया जाता है। एक दिन में एक साथ गिनती होती है। मोटर बोट को भी चप्पू से चलाया जाता है, जिससे जलीय जीव आवाज से नदी के अंदर न चलें जाएं। दिसंबर के बाद जनवरी में भी गिनती होती है। दिसंबर और जनवरी की गिनती के आधार पर अंतिम सूची बनाई जाती है। पिछले साल हुई गिनती में चंबल में लगभग 1900 घड़ियाल व 890 मगरमच्छ हैं।

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