कोरोना ने काटे 'ताज' बनाने वालों के हाथ

डेढ़ वर्ष से खाली बैठे हैं ताजमहल का माडल बनाने वाले शिल्पी विदेशी पर्यटकों के नहीं आने से नहीं मिल रहा काम

By JagranEdited By: Publish:Mon, 20 Sep 2021 11:59 PM (IST) Updated:Mon, 20 Sep 2021 11:59 PM (IST)
कोरोना ने काटे 'ताज' बनाने वालों के हाथ
कोरोना ने काटे 'ताज' बनाने वालों के हाथ

आगरा,जागरण संवाददाता। मुगल शहंशाह शाहजहां ने तो ताजमहल की तामीर करने वाले कारीगरों के हाथ नहीं काटे थे, लेकिन कोरोना महामारी ने ताजमहल के माडल बनाने वाले शिल्पियों के हाथ जरूर काट दिए हैं। डेढ़ वर्ष से विदेशी पर्यटकों के नहीं आने से हैंडीक्राफ्ट्स आइटम की बिक्री कम है। जिससे काम नहीं मिल पाने से शिल्पियों के समक्ष जीविकोपार्जन का संकट गहराता जा रहा है।

भारतीय और विदेशी पर्यटक यहां से यादगार के रूप में मार्बल हैंडीक्राफ्ट्स के आइटम ले जाना पसंद करते हैं। मार्बल हैंडीक्राफ्ट्स का काम दो हिस्सों में बंटा है, एक पच्चीकारी और दूसरा ताजमहल के माडल बनाने का। पच्चीकारी वर्क के हैंडीक्राफ्ट्स आइटम के साथ ताजमहल के माडल भी कोरोना काल से पूर्व खूब बिकते थे। तीन इंच से लेकर 24 इंच तक के ताजमहल के माडल पर्यटक खरीदते थे। मार्च, 2020 से टूरिस्ट वीजा सर्विस और इंटरनेशनल फ्लाइट के अभाव में विदेशी पर्यटक यहां नहीं आ पा रहे हैं। इससे हैडीक्राफ्ट्स आइटम की बिक्री बुरी तरह प्रभावित हुई है। जिसके चलते एंपोरियम, शोरूम व दुकानों में पुराना माल भी बचा हुआ है। इसका सबसे अधिक असर मजदूरी पर ताजमहल के माडल बनाने वाले कारीगरों पर पड़ा है। उनके लिए गुजर-बसर करना दिन-प्रतिदिन मुश्किल होता जा रहा है।

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हाईलाइटर

-ताजमहल के माडल बनाने का प्रमुख केंद्र गोकुलपुरा है।

-करीब 150 कारखाने हैं। घरों में भी माडल बनते हैं।

-3 से 24 इंच तक के माडल सामान्यत: बनाए जाते हैं।

-कोरोना काल से पूर्व करीब दो हजार माडल प्रतिदिन बिकते थे।

-हैंडीक्राफ्ट्स के काम से करीब 35 हजार शिल्पी जुड़े हैं।

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40 वर्षों से ताजमहल के माडल बना रहा था। कभी ऐसे दिन नहीं देखे। कोरोना काल में पिछले डेढ़ वर्ष से कोई काम नहीं है। विदेशी पर्यटकों का आना शुरू होने के बाद ही काम मिलेगा। सरकार को इस बारे में सोचना चाहिए।

-देवेंद्र कुमार वर्मा,गोकुलपुरा करीब 30 वर्ष से ताजमहल के माडल बना रहा था। डेढ़ वर्ष से कोई काम नहीं है। कोई और काम आता नहीं है, जो कर सकें। लड़का घर का खर्चा चला रहा है। जब तक विदेशी पर्यटकों का आना शुरू नहीं होगा, तब तक काम की उम्मीद कम है।

-संजय यादव,गोकुलपुरा

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