Fraud in Recruitment: आगरा में फर्जी वारिसान प्रमाण-पत्र से नियुक्ति के मामले में प्रमुख सचिव सतर्कता से शिकायत

हुब्बलाल इंटर कालेज के मृत लिपिक का तथाकथित दत्तक पुत्र बनकर पाई थी मृतक आश्रित कोटे में नौकरी। उंगलियां उठने पर नियुक्ति निरस्त कर मुकदमा दर्ज कराने से बच रहे अधिकारी। माध्यमिक शिक्षा विभाग की सांठगांठ से नहीं किया जा सकता इन्कार।

By Nirlosh KumarEdited By: Publish:Tue, 19 Oct 2021 03:06 PM (IST) Updated:Tue, 19 Oct 2021 03:06 PM (IST)
Fraud in Recruitment: आगरा में फर्जी वारिसान प्रमाण-पत्र से नियुक्ति के मामले में प्रमुख सचिव सतर्कता से शिकायत
लिपिक की मां ने अब प्रमुख सचिव सतर्कता से शिकायत कर जांच कराने की मांग की है।

आगरा, जागरण संवाददाता। हुब्बलाल इंटर कालेज के मृत लिपिक का तथाकथित दत्तक पुत्र बनकर मृतक आश्रित कोटे में नौकरी पाने के मामले में नियुक्ति भले निरस्त हो गई, लेकिन आरोपित के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराने में विभाग और काॅलेज प्रधानाचार्य लगातार कतरा रहे हैं। कार्रवाई में देरी से नाराज मृतक लिपिक की मां ने प्रमुख सचिव सतर्कता से शिकायत कर जांच व कार्रवाई की मांग है।

मृतक लिपिक अतुल प्रकाश भारद्वाज की कंघी गली, गोकुलपुरा, लोहामंडी निवासी मां कमलेश शर्मा का कहना है कि उनके बेटे के कोई पुत्र या पुत्री नहीं थे। उनके वारिसान का आवेदन सत्र न्यायालय में विचाराधीन है। फिर भी हुब्बलाल इंटर कालेज के प्रधानाचार्य नवीनकांत शर्मा व कालेज प्राधिकृत नियंत्रक ने सांठगांठ करके और देयक भुगतान के लिए दिए गए प्रपत्रों का उपयोग करके अभिषेक उपाध्याय को बेटे का फर्जी दत्तक पुत्र बनाकर सरैंधी स्थित नबाव सिंह उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में मृतक आश्रित कोटे में सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति दिला दी। दोनों ही विद्यालयों में सह जिला विद्यालय निरीक्षक प्राधिकृत नियंत्रक हैं। काफी शिकायत करने और मीडिया में मामला उछलने पर नियुक्ति तो निरस्त हो गई, लेकिन जिला विद्यालय निरीक्षक के आदेश पर भी आरोपित के खिलाफ अब तक मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया है।

यह उठाए सवाल

उनका कहना है कि बेटे का शव 12 मार्च, 2019 को संदिग्ध परिस्थिति में घर में मिला था। मौत हत्या प्रतीत होती है क्योंकि 11 मार्च को वह स्वस्थ अवस्था में उनके पास से खाना खाकर लौटे थे, 12 मार्च को विद्यालय भी गए। बेटे की मृत्यु के बाद काॅलेज प्रधानाचार्य ने शोक सभा भी नहीं कराई। विभागीय अधिकारी जांच और कार्रवाई के नाम पर बच रहे हैं, इसलिए सतर्कता विभाग द्वारा जांच और कार्रवाई की जाए।

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