Ambedkar University Agra: सिविल सोसायटी ने उठाई विवि की पांच साल के कार्यों की जांच की मांग, बताई ये वजह

Ambedkar University Agra हरियाली वाटिका घटिया पर प्रेसवार्ता के दौरान सिविल सोसायटी आफ आगरा ने मांग रखी है। सचिव अनिल शर्मा के अनुसार 2015 से लेकर 2020 तक की अवधि के काम काज की शासन खुली जांच करवाए।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 05:51 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 05:51 PM (IST)
Ambedkar University Agra: सिविल सोसायटी ने उठाई विवि की पांच साल के कार्यों की जांच की मांग, बताई ये वजह
विवि के बीते पांच साल के कार्यों की जांच की मांग उठाते सिविल सोसायटी के अनिल शर्मा।

आगरा, जागरण संवाददाता। अंबेडकर विश्‍वविद्यालय राज्‍य सरकार का विश्‍वविद्यालय है। नयी शिक्षा नीति 2020 के लागू हो जाने के बाद इसकी सेवाओं का विस्‍तार होना चाहिये था ,इसके स्‍थान पर इसके कार्य क्षेत्र में जहां संकुचन हुआ है, वहीं शैक्षणिक संकायों में भी कमी आयी है। कोर्स पूरे कर चुके छात्रों को डिग्री समय से उपलब्‍ध करवाने के मामले में वि वि प्रशासन नाकाम साबित हुआ है।

हरियाली वाटिका, घटिया पर प्रेसवार्ता के दौरान सिविल सोसायटी आफ आगरा ने मांग रखी है। सचिव अनिल शर्मा  के अनुसार 2015 से लेकर 2020 तक की अवधि के काम काज की शासन खुली जांच करवाए। जिससे विश्‍वविद्यालय में निर्माण, नियुक्‍तियों , प्रोन्‍नतियां और सेवा कर्मियों के प्रोवीडैंड फंड के प्रबंधन को लेकर बड़े पैमाने पर जो घपले हुए हैं उनमें संलिप्‍तों के विरुद्ध कार्यवाही हो सके तथा शिक्षा परिसर भ्रष्‍टाचार मुक्‍त हो सके। सक्षम अधिकारी नियुक्‍त कर खुली जांच से ही समाधान संभव है।

विवि में जो करप्‍शन पैटर्न है उसके अनुसार अधिकांश अनियमितताओं की शुरूआत एक कुलपति के कार्यकाल में होती है और उनके परिणाम बाद के उपकुलपति के कार्यकाल में आते हैं। 

ये हैं कुछ मामले

- ललित कला ऐकेडैमी के जिस भवन का निर्माण करवाने को करोड़ो रूपये खर्च किये गये हैं, उसकी जमीन तक विवि के नाम अब तक नहीं है। राजस्‍व विभाग के रिकार्डो में इसके लिये तमाम दुरुस्‍थियां होनी हैं।

इस भवन को बनवाये जाने का काम बिना आगरा विकास प्राधिकरण से नक्‍शा पास करवाये किया गया है, जबकि इतने बड़े अनावासीय बहुउद्धेश्‍यीय भवन को बनाये जाने के लिये आगरा विकास प्राधिकरण ही नहीं ताज ट्रिपेजियम जोन प्राधिकरण से भी अनुमति जरूरी होती है। ललित कला संकाय के नाम पर जिस बहुउद्धेश्‍यीय भवन सहित वि वि के द्वारा जो निर्माण कार्य करवाया गया है, उस पर एक प्रतिशत की दर से निर्माण पर खर्च किये गये 145 करोड़ के अनुपात में श्रम विभाग को उपकर जमा करवाना था। अब इस उपकर को संग्रहित करने के लिये उत्तर प्रदेश भवन एवं संनिर्माण कर्मकार कल्याण बोर्ड- के सचिव ने उप श्रमायुक्त से कहा है। इसके अलावा पुराने भवन को ढहाने पर मलवा शुल्‍क और नये निर्माण में जलमूल्‍य भी अदा करना होगा।

- धन अनियमित व गैर जरूरी निर्माण में खर्च कर डाला गया है उसमें से सौ करोड़ (एक अरब) ,वह आर्थिक मुश्‍किलातों से जूझते निजि प्रबंधन के महाविद्यालय हैं। संबद्धता आदि अन्‍य मदों के माध्‍यम से अर्जित इस धन राशि का एक भी रुपया संबद्ध प्राइवेट संस्‍थानों के संसाधनों में योगदान बढाने पर खर्च करना जरूरी नहीं समझा गया। अगर वि वि प्रबंधन जरा सी भी कुश्‍लता का परिचय देता तो निर्माण को जरूरी धन प्रदेश सरकार के अन्‍य वि विद्यालयों के समान ही विश्‍वविद्यालय अनुदान आयोग से लेकर आया होता।

- सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने संतोष व्‍यक्‍त किया है कि राजभवन ने उसकी शिकायतों को गंभीरता से लिया है और विश्‍वविद्यालय प्रशासन से जबाब तलब किया है। परिणाम स्‍वरूप अब तक ललित कला अकादमी के डायरेक्टर का पद सांख्यकी विभाग के शिक्षक को दिया हुआ था, लेकिन सिविल सोसाइटी ऑफ़ आगरा के विरोध दर्ज कराने के बाद, अब इसे आगरा कॉलेज के ललित कला के शिक्षक को दिया गया है।

-- सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा का कहना है, कि विवि के स्‍टाफ के काटे जा रहे जीपीएफ में बरती जाती रही अनियमित्‍ता को तत्‍काल दुरुस्‍थ किया जाये। इस धन का सुरक्षित और अधिकतम लाभकरी निवेश किया जाये। जिससे कि रिटायर्ड होने वाले कर्मचारियों के लाभों में कमी न रहे।

-सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने मांग की है कि जीपीएफ के सम्‍बन्‍ध में वि वि प्रशासन सरकार या प्रोवीडैंट फंड विभाग से मार्गदर्शन ले तथा मौजूदा स्‍थिति सार्वजनिक करे।

− सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा विवि के कोर्सों में कटौती किये जाने को लेकर भी गंभीर है और इसे विद्यार्थियों के शिक्षा अवसर सीमित करने वाला मानती है । सिविल सोसायटी ऑफ़ आगरा ने कहा है कि विवि के विभागों के कम होने को लेकर मंडल के जन प्रतिनिधियों से उपकुलपति महोदय को संवाद करना चाहिये। इसके लिये उन्‍हें मीटिंग कर बुलाया जाना चाहिये। दरअसल विवि और उसके संबद्ध महाविद्यालयों में कोर्सों का कम होना, सरकार की छवि पर प्रतिकूल असर डालता है। इस लिये कम से कम उन लोगों को इस समबन्‍ध में जरूर मालूम होना चाहिये जो इस मामले में शासन में अहम भूमिका निर्वाहन कर सकने में सक्षम हैं।

प्रेस वार्ता को शिरोमणि सिंह, अधिवक्ता देवेन्द्र कुमार त्रिपाठी एवं श्री निसार मोहम्मद खान मौजूद रहे। 

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