Shri Ram Mandir: लागी है ऐसी धुन, श्रीराम मंदिर निर्माण को 'हनुमान' की तरह इंतजार कर रहे आगरा के सीताराम

आगरा के सीताराम 37 साल से अयोध्या से जनकपुर जाने वाले रामजानकी मार्ग पर हनुमान मंदिर बनवा कर रहे थे राम मंदिर के निर्माण होने का इंतजार। मंदिर के लिए बेच दिया था खेत लिया था 70 हजार का कर्जा मंदिर निर्माण के लिए दिए 11 हजार रुपये।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 05:18 PM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 05:18 PM (IST)
Shri Ram Mandir: लागी है ऐसी धुन, श्रीराम मंदिर निर्माण को 'हनुमान' की तरह इंतजार कर रहे आगरा के सीताराम
आंबेडकर विवि आगरा के चौकीदार सीताराम ने 11 हजार रुपये दान दिए हैं।

आगरा, प्रभजोत कौर। हनुमान चालीसा में एक चौपाई है राम दुआरे तुम रखवारे, होत न आज्ञा बिनु पैसारे। इस चौपाई को अपने जीवन का ध्येय मान कर डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के रात्रि चौकीदार सीताराम ने 37 साल श्रीराम मंदिर निर्माण का इंतजार किया है। राम दुआरे के रखवाले के रूप में अयोध्या से जनकपुर जाने वाले रामजानकी मार्ग हनुमान मंदिर बनवाया। सीताराम ने इस सोच के साथ मंदिर बनवाया कि मंदिर में विराजमान होने के बाद रामलला जब माता जानकी को लेने जनकपुर जाएंगे, तो रास्ते में इस मंदिर में विश्राम करेंगे और एेसा ही जनकपुर से लौटते में होगा। इस मंदिर के निर्माण के लिए सीताराम ने अपना खेत भी बेचा और 70 हजार रुपये का कर्जा भी लिया। एक ही सपना है कि आखिरी सांस भी राम के नाम के साथ निकले।

1981 में संविदा कर्मचारी के रूप में विश्वविद्यालय से जुड़़े सीताराम पूर्व कुलपति प्रो. अगम प्रसाद माथुर के कार्यकाल में स्थायी हुुए। 1984 अपने घर अयोध्या गए सीताराम की जिंदगी और भक्ति की धारा वहां हो रहे सत्संग के पंडाल के बाहर लगे माइक से सुनाई दी कुछ पंक्तियों ने बदल दी।उन्होंने सुना कि राम ही जीवन का आधार है, बाकी सब मोह माया है। घर पहुंचते ही उन्होंने रामजानकी मार्ग किनारे मंदिर निर्माण शुरु करवाया।इसके लिए अपना खेत भी बेच डाला। पैसे कम पड़े तो लोगों से उधार भी लिया। 70 हजार रुपये का कर्जा हो गया पर हिम्मत और श्रद्धा में कहीं कोई कमी नहीं आई। मंदिर बनने के बाद से राम मंदिर निर्माण की बाट जोह रहे थे। सीताराम बताते हैं कि जैसे ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में भूमि पूजन किया, मैं मान गया कि अब राम मंदिर बनकर रहेगा। उसी दिन उन्होंने विश्वविद्यालय परिसर में पांच किलो लड्डू बांटे। उनके सात बच्चों में से तीन बेटे, उनकी बहुएं और पत्नी मंदिर के पास ही रहते हैं और मंदिर की सेवा करते हैं। चार बेटियों की शादी कर चुके हैं। विश्वविद्यालय के जिस क्वार्टर में सीताराम रहते हैं, वहां हर दीवार पर राम नाम लिखा हुआ है। 1984 से अब तक लाखों बार कापियों में राम का नाम लिख चुके हैं। पिछले दिनों श्री राम मंदिर निर्माण के लिए 11 हजार रुपये का सहयोग भी दिया है।

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