Universal Child Day: फरमाइश पूरी न होने पर आपा खोने लगे बच्चे, चाइल्ड हेल्पलाइन पर कर रहे शिकायत
बाल अधिकारों के प्रति जागरूक करने की मुहिम ला रही है रंग। घर और बाहर अपने अधिकारों काे लेकर सामने आने लगे हैं बच्चे। हालांकि अक्सर कर फरमाइश पूरी न होने पर कर रहे माता-पिता की ही शिकायत। शारीरिक उत्पीड़न की भी पहुंच रही हैं शिकायतें।
आगरा, अली अब्बास। रामबाग इलाके के रहने वाले दस साल के बालक के स्कूल में दो महीने पहले चाइल्ड लाइन ने बच्चों को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लिए शिविर आयोजित किया था। इसी स्कूल में पढ़ने वाले दस साल के एक बालक ने करीब डेढ़ महीने पहले चाइल्ड लाइन काे फोन किया। बालक ने मां द्वारा अपना उत्पीड़न करने की शिकायत की। जिस पर चाइल्ड लाइन की टीम ने बालक के घर पहुंची। वहां बालक ने बताया कि मां उसकी पसंद का खाना नहीं बनाती। मां ने बताया कि बेटे को पनीर की सब्जी पसंद है। उसे रोज नए व्यजंन चाहिए। पति की नौकरी छूट गई है, इसलिए रोज बेटे की पसंद के व्यंजन बनाना संभव नहीं है। जिस पर काउंसलर ने बेटे को समझाया गया कि घर में जो बने वही सबको खाना चाहिए। रोज मनपसंद खाना नहीं मिलता।
केस दो: एत्माद्दौला की रहने वाली 15 साल किशोरी हास्टल में रहकर दसवीं की पढ़ाई कर रही थी। छह महीने पहले स्वजन ने उसे पिता की तबीयत खराब होने के बहाने से घर पर बुला लिया। यहां पर जबरन उसका रिश्ता तय कर दिया। उसकी शादी की सारी तैयारी हो गईं। किशोरी ने स्वजन को समझाने का प्रयास किया कि वह आगे पढ़ना चाहती है। स्वजन उसे हास्टल भेजने के लिए तैयार नहीं हुए तो किशोरी ने चाइल्ड लाइन को सूचना देकर मदद मांगी। चाइल्ड लाइन समन्वयक ने किशोरी के घर जाकर स्वजन को समझाया। उन्हें कानून की जानकारी देते हुए नाबालिग बेटी की शादी करने पर मुकदमा दर्ज होने की बताया। तब कहीं किशोरी की शादी रुकी। वह आगे की पढाई करने के लिए हास्टल जा सकी।
बच्चे घर और बाहर अपने अधिकारों को लेकर जागरूक हो रहे हैं। वह स्कूल में होने वाली समस्याओं, आसपास के लोगों द्वारा अपना उत्पीड़न करने वालों के खिलाफ चाइल्ड हेल्पलाइन में शिकायत करने लगे हैं। कहीं पर उनकी शिकायत जायज होती है, कहीं पर वह माता-पिता के अनुशासन को अपने अधिकारों का हनन मान लेते हैं। जिस पर उन्हें काउंसलिंग करके समझाना पड़ता है। उन्हें बताया जाता है कि माता-पिता ही उनके सच्चे मार्गदर्शक हैं। वह कुछ पाबंदी उनके बेहतर भविष्य को ध्यान में रखकर लगाते हैं। इस साल जनवरी से नौ नवंबर तक 600 से ज्यादा शिकायतें आई। चाइल्ड लाइन द्वारा काउंसलिंग के माध्यम से उनकी शिकायतों का समाधान भी किया गया।
चाइल्ड लाइन पर आने वाली बच्चों की प्रमुख शिकायत
-माता-पिता द्वारा उनका पक्ष सुने बिना पिटाई करना
-मां के द्वारा बात-बात पर अक्सर डांटना
-माता-पिता द्वारा जन्मदिन न मनाना
-अभिभावकों द्वारा पसंद का उपहार नहीं देना
-पार्क या मैदान में खेलने के लिए न जाने देना
-घर से बिना बताए निकल जाने लौटने पर माता-पिता की पिटाई का डर
-स्कूल व कोचिंग में शिक्षक द्वारा डांटना
-स्कूल के शिक्षक द्वारा फीस न भरने पर कक्षा में नहीं बैठने देना
-दोस्तों के साथ झगड़ा होने व मारपीट की शिकायत
20 नवंबर 1954 को हुई थी शुरुआत
हर साल 20 नवंबर को सार्वभौमिक बाल दिवस मनाया जाता है। यह दिन मुख्य रूप से अंतरराष्ट्रीय एकजुटता को बढ़ावा देने, दुनिया भर में बच्चों के बीच जागरूकता और बच्चों के कल्याण में सुधार पर केंद्रित है। सार्वभौमिक बाल दिवस की स्थापना 20 नवंबर 1954 को हुई थी।
बच्चाें को उनके अधिकारों के प्रति जागरूक करने की मुहिम से उनमें जागरूकता बढ़ी है। वह घर में और बाहर अपने अधिकारों के प्रति सचेत हुए हैं। चाइल्ड लाइन से मदद मांगने के लिए आगे आने लगे हैं।
ऋतु वर्मा, समन्वयक चाइल्ड लाइन