नेब्युलाइजेशन से ही बच्चों को मिल रही राहत, शरीर पर चकत्ते

प्रदूषण से लोगों को हो रही परेशानी एसएन पहुंचे 450 मरीज अस्थमा अटैक पड़ने पर छह मरीजों को किया गया भर्ती

By JagranEdited By: Publish:Mon, 15 Nov 2021 09:08 PM (IST) Updated:Mon, 15 Nov 2021 09:08 PM (IST)
नेब्युलाइजेशन से ही बच्चों को मिल रही राहत, शरीर पर चकत्ते
नेब्युलाइजेशन से ही बच्चों को मिल रही राहत, शरीर पर चकत्ते

आगरा, जागरण संवाददाता। जहरीली हवा से बच्चों को सबसे ज्यादा परेशानी हो रही है। सांस फूलने की समस्या के साथ पहुंच रहे बच्चों को नेब्युलाइजेशन से राहत मिल रही है। वहीं, शरीर पर चकत्ते और दाने निकल रहे हैं। सोमवार को सरोजनी नायडू मेडिकल कालेज की ओपीडी में सांस संबंधी बीमारी के साथ 450 मरीज पहुंचे।

वायु प्रदूषण का स्तर सामान्य नहीं हो रहा है। इससे सबसे ज्यादा परेशानी बच्चों को हो रही है। सांस लेने पर जहरीली गैस (सल्फर डाई आक्साइड, कार्बन डाई आक्साइड, कार्बन मोनो आक्साइड, ओजोन) फेंफड़ों तक पहुंच रही हैं। इससे सांस की नलिकाओं में सूजन आ रही है। एसएन के बाल रोग विभाग के डा. नीरद यादव ने बताया कि जहरीली गैस और अति सूक्ष्म कणों के सांस की नलिकाओं में पहुंचने से सूजन आ रही है। इससे सांस लेने में परेशानी और निमोनिया की समस्या हो रही है। ऐसे में बच्चों को नेब्युलाइजेशन के बाद ही राहत मिल रही है। बाल रोग विशेषज्ञ डा. अरुण जैन ने बताया कि छह महीने से छोटे बच्चों को ज्यादा परेशानी हो रही है। बच्चों के लिए नेब्युलाइजेशन सुरक्षित है, इससे दवा सीधे फेंफड़ों तक पहुंच रही है। निमोनिया की 70 फीसद बच्चों को नेब्युलाइजेशन दिया जा रहा है।

टीबी एंड चेस्ट डिपार्टमेंट और मेडिसिन की ओपीडी में सांस लेने में परेशानी, गले में दर्द, खांसी और बलगम के साथ मरीज पहुंचे। विभागाध्यक्ष डा. संतोष कुमार ने बताया कि अस्थमा अटैक पड़ने पर छह मरीजों को भर्ती करना पड़ा, इन्हें आक्सीजन दी जा रही है। ओपीडी में सांस संबंधी समस्या से पीड़ित मरीजों की संख्या कम नहीं हो रही है।

उधर, जहरीली गैसों से शरीर पर चकत्ते, दाने (आर्टिकेरिया) की समस्या होने लगी है। त्वचा शुष्क हो रही है। एसएन के चर्म रोग विभाग के अध्यक्ष डा. यतेंद्र चाहर ने बताया कि माइस्चराइजर का इस्तेमाल करें। सुबह और शाम को प्रदूषण का स्तर अधिक होता है, बच्चों को बाहर न निकलने लें। शरीर ढक कर रखें।

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