Chaudhary Ajit Singh: मथुरा के लोगों को नाम व गांव से जानते थे चौधरी अजित सिंह, दिलों में है गम
पहली बार मां के चुनाव प्रचार में आए थे और अंतिम सभा बालाजीपुरम में की। वर्ष 1974 में गोकुल विधान सभा चुनाव में पहली बार चौधरी चरण सिंह ने अपनी धर्मपत्नी गायत्री देवी को चुनाव मैदान में उतारा था। तब से चौधरी परिवार का मथुरा से नाता जुड़ गया।
आगरा, जेएनएन। चौधरी चरण सिंह की राजनीतिक विरासत को संभालने वाले अजित सिंह मथुरा के लोगों के नाम गांव से जानते थे। उनका मथुरा से गहरा लगाव रहा। पहली बार वह अपनी मां के चुनाव प्रचार में आए थे और बिना कुछ बोले चले गए, लेकिन जब अंतिम सभा उन्होंने बालाजीपुरम में की तब तक वह राजनीति का एक लंबा सफर तय कर चुके थे। अजित सिंह के निधन से रालोद को तगड़ा झटका लगा है और संगठन में शाेक व्याप्त है।
पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी स्व. चरण सिंह के परिवार का मथुरा वासियों से गहरा रिश्ता रहा है। वर्ष 1974 में गोकुल विधान सभा (वर्तमान में बलदेव) से विधान सभा के चुनाव में पहली बार चौधरी चरण सिंह ने अपनी धर्मपत्नी गायत्री देवी को चुनाव मैदान में उतारा। नामांकन करने के बाद चौधरी चरण सिंह चले और फिर नहीं आए, लेकिन गायत्री देवी चुनाव जीत गई। इसके बाद यह चौधरी परिवार के ऐसा क्षेत्र हो गया, जैसे बागपत का छपरौली। गोकुल विधान सभा को मिनी छपरौली का दर्जा दिया जाने लगा। वर्ष 1984 में गायत्री देवी ने मथुरा लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा। तब अजित सिंह पहली बार मथुरा चुनाव प्रचार में आए। वह यहां उस समय मूकदर्शक की भूमिका रहे। वर्ष 1990 में चौधरी अजित सिंह ने रालोद को संजीवनी देने का काम किया। उसके बाद अजित सिंह ने अपनी बहन डा. ज्ञानवती को लोकसभा का चुनाव लड़ाया। ज्ञानवती चुनाव हार गई, लेकिन अजित सिंह ने मथुरा की जनता का साथ नहीं छोड़ा। वर्ष 2009 में उन्होंने अपने पुत्र जयंत चौधरी के मथुरा से चुनाव मैदान में उतारा। मथुरा से जयंत चौधरी सांसद चुने गए। वर्ष 2011 में अजित सिंह के कहने पर ही यमुना के घाटों को सुंदरीकरण का कार्य कराया। संगठन के चार बार जिलाध्यक्ष रहे अधिवक्ता नरेंद्र सिंह ने बताया अजित सिंह ने ही जयंत चौधरी के माध्यम से एक दर्जन अधिवक्ताओं के चैंबर मथुरा में बनवाए, जो यूपी में आज तक कोई विधायक सांसद नहीं बनवा सका। अजित सिंह ने मास्टर कन्हैया लाल, चौधरी दिगंबर सिंह, चहल सिंह, चतर सिंह, चौधरी लक्ष्मी नारायण, सिंह, ठाकुर तेजपाल सिंह कई ऐसे नाम है, जिनको राजनीति में एक मुकाम भी हासिल कराया। मथुरा के कुछ हिस्से को काट कर जब हथरस जिला बनाया गया था। तब अजित सिंह ने सादाबाद से रामसरन उर्फ लहटूताऊ को विधान सभा उप चुनाव में खड़ा कर यह साबित कर दिया था, साइकिल से चलने वाला भी राजनीति के शिखर तक जा सकता है। कुंवर नरेंद्र सिंह ने बताया, वर्ष 2019 के लोकसभा चुनाव में चौधरी अजित सिंह ने अपनी अंतिम बालाजीपुरम में की थी।
दारोगा से भी बात करने में नहीं हिचके: चौधरी अजित सिंह ने मथुरा के सैकड़ों के लोगों को नाम गांव से जानते थे। यहां तक कि अगर कोई दिल्ली उनके पास अपनी किसी पीड़ा को लेकर पहुंचा तो वह थाने और चौकी पर सीधे दारोगा से भी बात करने में नहीं हिचकते थे। यही उनका यहां के लोगों से प्रेम था।