शासन द्वारा छात्रों को प्रोन्नत करने की मंशा पर औटा अध्यक्ष ने उठाए सवाल

कोरोना के कारण छात्रों को प्रोन्नत करने के लिए शासन ने बनाई कमेटी। औटा अध्यक्ष डा. ओमवीर सिंह ने उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वार्षिक अथवा सेमेस्टर परीक्षाओं को लगातार दूसरे साल स्थगित करने की मंशा पर सवाल खड़ा किया है। उन्होंने आनलाइन मोड में परीक्षा कराने की अपील की है।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 17 May 2021 09:46 AM (IST) Updated:Mon, 17 May 2021 09:46 AM (IST)
शासन द्वारा छात्रों को प्रोन्नत करने की मंशा पर औटा अध्यक्ष ने उठाए सवाल
औटा अध्‍यक्ष ने शासन से मांग की है कि विवि में आनलाइन परीक्षाएं कराई जाएं।

आगरा, जागरण संवाददाता। कोरोना के कारण इस साल भी शासन द्वारा राज्य विश्वविद्यालयों के छात्रों को बिना परीक्षा के प्रोन्नत किए जाने की योजना बनाई जा रही है। इस संबंध में तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया गया है, लेकिन शासन की इस योजना से औटा अध्यक्ष इत्तेफाक नहीं रखते हैं। उनके अनुसार लगातार दूसरे साल बड़ी संख्या में छात्रों को बिना परीक्षा के अगली कक्षाओं में प्रोन्नत करना उनके अध्ययन और उनकी बौद्धिक क्षमता को पंगु करना है।

औटा अध्यक्ष डा. ओमवीर सिंह ने उत्तर प्रदेश शासन द्वारा वार्षिक अथवा सेमेस्टर परीक्षाओं को लगातार दूसरे साल स्थगित करने की मंशा पर सवाल खड़ा किया है। उनका मानना है कि शासन द्वारा जैसे अन्य विभागों में आवश्यक एहतियात बरतते हुए जरूरी कार्य किए जा रहे वैसे ही शिक्षा एवं परीक्षा व्यवस्था के साथ भी खिलवाड़ न करते हुए उचित सावधानी एवं निर्देशों का अनुपालन करते हुए परीक्षाएं संपन्न कराई जा सकती हैं। उनका कहना है कि छात्रों से परीक्षा फार्म भरने की फीस भी ली जा रही है। छात्र हित में औटा द्वारा आगरा विश्वविद्यालय की परीक्षाओं को संक्षिप्त करते हुए विवरणात्मक लिखित परीक्षा के प्रारूप को बरकरार रखा गया है, इसी के अनुरूप ही छात्रों ने वर्ष 2021 की वार्षिक परीक्षा की अपनी तैयारी की है। उन्होंने शासन से इस साल आनलाइन मोड में परीक्षा कराने की अपील की है।

छात्रों की क्षमता में आएगी कमी

विद्यार्थी परीक्षण और समुचित मूल्यांकन प्रणाली के अभाव में अध्ययन, लेखन, विश्लेषण यानि विषय के ज्ञान की सभी शाखाओं से लगातार कटते जाएंंगे और देश के श्रेष्ठ विश्वविद्यालयों की तुलना में उनकी क्षमता और प्रतिस्पर्द्धात्मकता शून्य होती जाएगी। सरकार और शिक्षा व्यवस्था को इसे सुदृढ़ और अधिक सक्षम बनाने का प्रयास करना चाहिए। पहले से ही कमजोर तथा कोविड महामारी के दुष्प्रभाव को झेल रही व्यवस्था में सम्यक् अध्यापन एवं मूल्यांकन को समाप्त कर इसे नष्ट करने की कोशिश बिल्कुल नहीं की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि शिक्षक समुदाय अपने दायित्वों को पर्याप्त सावधानियों और सुरक्षा के साथ निर्वहन करने के लिए तत्पर है तथा किसी परिस्थिति में शिक्षा परीक्षा की प्रासंगिकता को ख़त्म अथवा अवमूल्यन नहीं होने देगा। उन्होंने यह आश्चर्य व्यक्त किया है कि एक तरफ़ तो नई शिक्षा नीति के तहत शासन द्वारा सेमेस्टर प्रणाली को अगले सत्र से ही शासन द्वारा सभी विश्वविद्यालयों में लागू करने की बात कही जा रही, वहीं दूसरी तरफ़ वार्षिक परीक्षा आयोजित कराने के शैक्षणिक एवं विधिक दायित्व का भी निर्वहन करने से भी सरकार पीछे हट रही है।

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