चंद्र किरणों से झिलमिलाई शिवालयों की श्रखला

शरद पूर्णिमा की चादनी में यमुना में दिखा मंदिरों का प्रतिबिंब दो दिन तिथि होने से श्रद्धालुओं में बना रहा भ्रम

By JagranEdited By: Publish:Sat, 31 Oct 2020 06:05 AM (IST) Updated:Sat, 31 Oct 2020 06:05 AM (IST)
चंद्र किरणों से झिलमिलाई शिवालयों की श्रखला
चंद्र किरणों से झिलमिलाई शिवालयों की श्रखला

सत्येंद्र दुबे, आगरा। शरद पूर्णिमा की रात को यमुना के किनारे अद्भुत नजारा दिखा। अठखेली करतीं चंद्रकिरणों से बटेश्वर में यमुना नदी के बाध पर निर्मित 101 महादेव मंदिर झिलमिला उठे। यमुना में दिखे मंदिरों के प्रतिबिंब से और भी मनमोहक नजारा हो गया। इस मनोहारी दृश्य को निहारने कुछ ही श्रद्धालु यमुना के किनारे पहुंचे। कुछ लोग शनिवार को शरद पूर्णिमा मान रहे हैं, इसलिए शनिवार को भी श्रद्धालुओं को यह छटा देखने को मिलेगी।

शरद पूर्णिमा की रात स्वास्थ्य व सकारात्मकता ऊर्जा देने वाली मानी जाती है। कारण यह कि चंद्रमा इस रात धरती के बहुत करीब होता है। इस दौरान चंद्रमा की किरणों में खास तरह के लवण व विटामिन होते हैं। चंद्रमा की किरणें जब खाद्य पदाथरें पर सीधे पड़ती हैं तो उनकी गुणवत्ता में इजाफा होता है। मान्यता है कि शरद पूर्णिमा की रात चंद्रमा सोलह कलाओं से परिपूर्ण होकर अमृत वर्षा करता है, इसलिए लोगों ने इस रात को घर में बनी खीर खुले आसमान के नीचे रखी। सुबह उसे प्रसाद मानकर खाया जाएगा। माना जाता है कि इससे रोगों से मुक्ति मिलती है और उम्र भी लंबी होती है। बटेश्वर के मुख्य महंत जयप्रकाश गोस्वामी ने बताया कि बटेश्वर के ब्रह्मालाल मंदिर में शरद पूर्णिमा को खीर में मिली दवा को प्रसाद के रूप वितरित की जाती है। देसी घी व गाय के दूध में दशमूल क्वाथ, वासा, अर्जुन की छाल, तुलसी के पत्ते, बड़ी इलाइची, पिप्पली, मिश्री आदि को खीर में मिलाया जाता है। ताबे के बर्तन में खीर डाल कर उसे चादनी रात में रख दिया जाता है, जिसे सुबह प्रसाद के रूप में वितरित किया जाता है। बटेश्वर मंदिर में शरद पूर्णिमा आज को मनाई जाएगी। मनोहरी दृश्य पर कोरोना का साया

हर साल इस मनोहारी दृश्य को निहारने के लिए स्थानीय श्रद्धालुओं के अलावा देश-विदेश से पर्यटक आते रहे हैं। इस बार कोरोना संक्रमण का साया होने के कारण यहा कुछ ही लोग आए। शरद पूर्णिमा का ज्योतिषीय महत्व

ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक जिन जातकों की कुंडली में चंद्रमा शुभ फल नहीं देते है, उन्हें खीर का सेवन जरूर करना चाहिए। यह भी मान्यता है कि शरद पूर्णिमा को पृथ्वी पर लक्ष्मी का आगमन होता है, इसलिए लक्ष्मी को प्रसन्न करने के लिए इस दिन उनकी विशेष पूजा की जाती है।

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