Winning Candidate Loose Life: पंचायत चुनाव तो जीत गए लेकिन हार गए मौत से जंग, कुबेरपुर प्रधान के घर जीत के बाद भी मातम

त्रिस्‍तरीय पंचायत चुनाव में इस बार आगरा में कई प्रत्‍याशी ऐसे रहे जो मतदान से मतगणना के बीच कोरोना वायरस संक्रमण के चलते दम तोड़ गए। आगरा के खंदौली ब्‍लॉक में ग्राम पंचायत कुबेरपुर में जसवीर सिंह प्रधान चुने गए लेकिन घर में शोक की लहर।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Mon, 03 May 2021 09:13 PM (IST) Updated:Mon, 03 May 2021 09:13 PM (IST)
Winning Candidate Loose Life: पंचायत चुनाव तो जीत गए लेकिन हार गए मौत से जंग, कुबेरपुर प्रधान के घर जीत के बाद भी मातम
आगरा में कुबेरपुर के ग्राम प्रधान निर्वाचित हुए जसवीर सिंह का निधन हो चुका है। फाइल फोटो

आगरा, पवन पाठक। ये कैसा चुनाव है। एक तरफ वोटों की जंग है और दूसरी तरफ मौत और जिंदगी के बीच मुकाबला। आगरा में इस बार कई ऐसे प्रत्‍याशी रहे, जो चुनावी मैदान में तो जीत गए लेकिन जिंदगी की बिसात पर मौत के मोहरों से मात खा गए। कोरोना वायरस संक्रमण इन्‍हें जीत का सेहरा पहनते हुए देखने से पहले ही श्‍मशाम की चिता पर ले गया।

त्रिस्‍तरीय पंचायत चुनाव में प्रधान पद का परिणाम आने से पूर्व ही आगरा में एक और चुनाव विजेता की कोरोना संक्रमण के चलते उपचार के दौरान मृत्‍यु हो गई। रविवार देर रात आए परिणाम में जीत हासिल होने से पहले ही खंदौली ब्‍लॉक क्षेत्र की ग्राम पंचायत कुबेरपुर से प्रत्याशी जसवीर सिंह का निधन हो गया। यहां उनकी टक्‍कर में अमित प्रताप सिंह व अमर सिंह भी प्रधान पद के प्रत्याशी थे। 15 अप्रैल को मतदान के बाद उनको 26 अप्रैल बुखार आया, जिसके बाद 27 अप्रैल को जांच कराई और तबियत बिगड़ने पर 28 अप्रैल को आगरा के निजी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। जहां उनकी जांच के दौरान कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई थी। 30 अप्रैल की शाम अचानक से उनकी तबीयत खराब हो गई और डॉक्टरों के प्रयास के बावजूद भी उनको बचाया नहीं जा सका। उनकी मृत्यु पर परिवार सहित ग्रामीणों में शोक की लहर है। वहीं उनके छोटे भाई माधवेन्द्र सिंह ने बताया है कि बुखार आने के बाद अचानक तबियत बिगड़ती गई, सांस लेने में दिक्कत होने लगी, इस वजह से ही उनकी मौत हुई है। जसवीर सिंह के दो पुत्रियां और एक पुत्र हैं। वोटों की गिनती के बाद रविवार देर रात परिणाम आने पर जसवीर सिंह को 201 मतों से जीत हासिल हुई है। परिवार और शुभचिंतकोंं के चेहरों पर जीत होने के बाद भी खुशी न हो कर गम झलक रहा है।

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