BSP: सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूला पर बसपा, ताजनगरी में शामिल हो सकते हैं ब्राह्मण समाज के कई चेहरे

BSP बसपा आगरा के खंदारी स्थित आरबीएस डिग्री कालेज के राव कृष्णपाल सिंह आडिटोरियम में सुबह दस बजे से प्रबुद्ध वर्ग संवाद सुरक्षा सम्मान विचार गोष्ठी आयोजित करने जा रही है। इसके मुख्य अतिथि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र होंगे।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Fri, 30 Jul 2021 01:26 PM (IST) Updated:Fri, 30 Jul 2021 01:26 PM (IST)
BSP: सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूला पर बसपा, ताजनगरी में शामिल हो सकते हैं ब्राह्मण समाज के कई चेहरे
नीय स्तर पर बसपाई अभी से ऐसे चेहरों को तैयार करने में लगे हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। आगामी विधानसभा चुनाव काे देखते हुए बहुजन समाज पार्टी अब फिर से सोशल इंजीनियरिंग फार्मूले पर है। वर्ष 2007 के बाद वह फिर से इसी के सहारे प्रदेश की सत्ता पर काबिज होने के लिए मशक्कत कर रही है। इसी के तहत पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र प्रदेशभर के ब्राह्मणों को जोड़ने निकले हैं। उनका अगला पड़ाव एक अगस्त को आगरा होगा। इस दौरान जिले के कई ब्राह्मण चेहरों के बसपा में शामिल होने की उम्मीद है। इसके लिए स्थानीय स्तर पर बसपाई अभी से ऐसे चेहरों को तैयार करने में लगे हैं।

बसपा आगरा के खंदारी स्थित आरबीएस डिग्री कालेज के राव कृष्णपाल सिंह आडिटोरियम में सुबह दस बजे से प्रबुद्ध वर्ग संवाद सुरक्षा सम्मान विचार गोष्ठी आयोजित करने जा रही है। इसके मुख्य अतिथि पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव व राज्यसभा सदस्य सतीश चंद्र मिश्र होंगे। बसपा के लिए आगरा की जमीन भी काफी मुफीद है। भाजपा की लहर से पहले पिछले 14 साल में आगरा में नीला रंग छाया रहा है। वर्ष 2017 के चुनाव में यह रंग आगरावासियों के ऊपर से पूरी तरह से उतर गया। राष्ट्रीय महासचिव सतीश चंद्र मिश्र इसी रंग को दोबारा चढ़ाने के लिए ब्राह्मणों को रिझाने के लिए आ रहे हैं। जिले की नौ विधानसभा सीटों में से बसपा ने जिले में सबसे पहले वर्ष 1996 में दो सीटें जीती थीं। वर्ष 2002 के चुनाव में भी दो ही विधायक जीते। वर्ष 2007 और वर्ष 2012 के चुनाव में बसपा के छह-छह विधायक चुनाव जीते थे। वर्ष 2017 के चुनाव में हाथी पूरी तरह से ढेर हो गया था। जिलाध्यक्ष विमल वर्मा का कहना है कि पार्टी का मकसद प्रबुद्ध वर्ग को जोड़ना है। रहा इस कार्यक्रम के माध्यम से ब्राह्मण समाज को जोड़ने का मकसद तो जिस समाज का नेता आता है, उस समाज के लोग तो काफी संख्या में शिरकत करते ही हैं। 

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