Migratory Birds in Agra: ग्रेटर फ्लेमिंगो की पसंदीदा जगह बना ब्रज, इन तीन जगहाें पर हैं सैंकड़ाें

Migratory Birds in Agra जोधपुर झाल और छाता पर मानसून के स्वच्छ पानी का संग्रह और मिट्टी में मौजूद लवणीय तत्वों में नमक की मात्रा के कारण फ्लेमिंगो को भोजन की भरपूर उपलब्धता के कारण यह जगह फ्लेमिंगो को रास आ रही है ।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Mon, 18 Jan 2021 06:08 PM (IST) Updated:Mon, 18 Jan 2021 06:08 PM (IST)
Migratory Birds in Agra: ग्रेटर फ्लेमिंगो की पसंदीदा जगह बना ब्रज, इन तीन जगहाें पर हैं सैंकड़ाें
2020 के 3 अक्टूबर से लेकर 1 जनवरी तक फ्लेमिंगों के तीन समूह बारी बारी से ठहरकर जा चुके हैं।

आगरा, जागरण संवाददाता। ब्रज की जोधपुर झाल वेटलैंड, छाता- कोसी के वेटलैंड्स और वृन्दावन के यमुना के किनारे ग्रेटर फ्लेमिंगो की सबसे पसंदीदा जगह बन गई हैं। जहां एक ओर फोटोग्राफरों के लिए यह पक्षी खास है तो दूसरी तरफ फ्लेमिंगो देखने के लिए पक्षी प्रेमियों को गुजरात और महाराष्ट्र की लंबी दूरी तय करनी पड़ती है। हालांकि आगरा के सूर सरोवर बर्ड सेंचुरी और भरतपुर के केवलादेव नेशनल पार्क भी पहुंचते हैं। लेकिन इन दोनो जगहों से ग्रेटर फ्लेमिंगो का धीरे धीरे मोह भंग हो रहा है। जोधपुर झाल और छाता पर मानसून के स्वच्छ पानी का संग्रह और मिट्टी में मौजूद लवणीय तत्वों में नमक की मात्रा के कारण फ्लेमिंगो को भोजन की भरपूर उपलब्धता के कारण यह जगह फ्लेमिंगो को रास आ रही है ।

अक्टूबर से जनवरी तक रूके फ्लेमिंगो मथुरा में

जैव विविधता का अध्ययन करने वाली संस्था बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी के अध्यक्ष व पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह ने बताया कि जोधपुर झाल पर कई वर्षों से ग्रेटर फ्लेमिंगो आ रहे हैं। वर्ष 2018 से संस्था द्वारा इनकी निगरानी की जा रही है।  2020 के 3 अक्टूबर से लेकर 1 जनवरी तक फ्लेमिंगों के तीन समूह बारी बारी से ठहरकर जा चुके हैं। प्रत्येक समूह 20-25 दिन तक रुका है। पहले समूह में 8 , दूसरे समूह में 16 और तीसरे समूह में इनकी संख्या 100 के पार थी। छाता कोसी स्थित वेटलैंड्स पर ग्रेटर फ्लेमिंगों का 12 सदस्यों का समूह रूका हुआ है और वृन्दावन पर 4 फ्लेमिंगो का समूह रिकार्ड किया गया है ।

भारत में पाई जाती हैं इसकी दो प्रजातियां

डाॅ केपी सिंह के अनुसार फ्लेमिंगो को पक्षी जगत के परिवार फोनीकोप्टेरिडे में वर्गीकृत किया गया है। इसका वैज्ञानिक नाम फोनीकोप्टेरस रोजेअस है। यह जलीय पक्षियों की वैडर श्रेणी के अंतर्गत आता है। भारत मे फ्लेमिंगों की दो प्रजातियां लेशर एवं ग्रेटर पाई जाती हैं। फ्लेमिंगो दलदही एवं स्वच्छ पानी की झीलों को आवास के लिए पसंद करता है। इनकी ऊंचाई पांच फीट तक होती है। गर्दन लंबी और चौंच की विशेष बनावट के साथ सफेद रंग के शरीर पर गुलाबी पंखो का रंग हर किसी को आकर्षित करता है । भोजन में नीले हरे शैवाल, मोलस्कन प्राणी शामिल हैं।

उत्तर भारत में यह सर्दियों के प्रवास पर आते हैं

डाॅ केपी सिंह ने बताया कि उत्तर भारत में यह सर्दियों के प्रवास पर आते हैं। मार्च से वापस लौटना शुरू कर देते हैं। यह अफ्रीका, दक्षिणी एशिया के बांग्लादेश , पाकिस्तान, भारत और श्रीलंका के तटीय क्षेत्रों, मध्य पूर्व एशियाई देश बहरीन, साइप्रस, ईरान, इजरायल, कुवैत, लेबनान, तुर्की और संयुक्त अरब अमीरात के कुछ हिस्सों में पाया जाता है। यूरोपीय देशों अल्बानिया, ग्रीस, इटली, मोंटेनेग्रो, उत्तरी मैसेडोनिया, पुर्तगाल, स्पेन और फ्रांस के दक्षिण भागों में पाया जाता है। पश्चिम जर्मनी के ज़्विलब्रोकर वेन फ्लेमिंगो की सबसे बड़ी प्रजनन स्थली है। इसके अतिरिक्त संयुक्त अरब अमीरात में अबू धाबी अमीरात में तीन अलग-अलग स्थानों पर प्रजनन करते हुए दर्ज किया गया है। भारत के गुजरात में, राजहंस नाल सरोवर पक्षी अभयारण्य, खिजडिया पक्षी अभयारण्य, राजहंस शहर, और थोल पक्षी अभयारण्य में देखा जा सकता है। वे पूरे सर्दियों के मौसम के दौरान वहाँ रहते हैं।

मथुरा के वेटलैंड्स के रखरखाव की है जरूरत

पक्षी विशेषज्ञ डॉ केपी सिंह ने जोधपुर झाल वेटलैंड व छाता कोसी स्थित वेटलैंड्स के रखरखाव और सुरक्षा के लिए जिलाधिकारी मथुरा , डीएफओ मथुरा और सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता से मिल कर सुरक्षा एवं पानी के अभाव से होने वाली समस्याओ से अवगत कराया है। बीआरडीएस संस्था द्वारा जोधपुर झाल के नोटिफिकेशन की तैयारी चल रही है। सिंचाई विभाग ने भी सकारात्मक रूख दिखाया है। 10 जनवरी 2021 को जोधपुर झाल पर वेटलैंड्स इंटरनेशनल एवं बायोडायवर्सिटी रिसर्च एंड डवलपमेंट सोसाइटी द्वारा जलीय पक्षियों की गणना की गई थी। इस गणना द्वरा जोधपुर झाल की अंतर्राष्ट्रीय पहचान बन रही है। 

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