Braille at Tajmahal: अब दृष्टि दिव्यांग भी पढ़ सकेंगे ताजमहल का इतिहास, ब्रेल लिपि में पुस्तक तैयार
Braille Script at Taj हिंदी दिवस पर भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण ने दी सौगात। पर पुस्तक में आगरा के 15 स्मारकों को किया गया है शामिल। हिंदी व अंग्रेजी भाषाओं में तैयार कराई गई है पुस्तक। महापौर नवीन जैन मंगलवार दोपहर करेंगे पुस्तक का लोकार्पण।
आगरा, निर्लोष कुमार। दुनिया के सात अजूबों में शुमार ताजमहल, मुगलों की शान के गवाह रहे आगरा किला, मुगलों की राजधानी रही फतेहपुर सीकरी समेत अन्य स्मारकों का इतिहास अब दृष्टि दिव्यांग भी जान सकेंगे। आजादी का अमृत महोत्सव के तहत भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) के आगरा सर्किल ने ब्रेल लिपि में पुस्तक "आगरा के प्रमुख स्मारक' तैयार कराई है। पुस्तक को हिंदी व अंग्रेजी दोनों भाषाओं में तैयार कराया गया है।
ब्रेल लिपि में तैयार कराई गई पुस्तक में आगरा के प्रमुख स्मारकों को शामिल किया गया है। इनमें ताजमहल, आगरा किला, फतेहपुर सीकरी, सिकंदरा, एत्माद्दौला, मेहताब बाग, राम बाग मरियम टाम्ब के साथ ही लेसर नान मान्यूमेंट्स चीनी का रोजा, हाथीखाना, जामा मस्जिद, बुढ़िया का ताल समेत 15 स्मारकों का इतिहास व उनसे जुड़ी जानकारी दी गई है। इससे दृष्टि दिव्यांग पर्यटक स्मारकों के बारे में सही जानकारी पा सकेंगे और उन्हें किस्सों व सुनी हुई बातों पर विश्वास नहीं करना पड़ेगा। अधीक्षण पुरातत्वविद् डा. वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि ब्रेल लिपि में पुस्तक हिंदी व अंग्रेजी भाषा में तैयार कराई गई है। हिंदी भाषी राज्यों के पर्यटकों को ध्यान में रखते हुए हिंदी और दक्षिण भारतीय राज्यों के पर्यटकों के लिए अंग्रेजी भाषा में पुस्तक को तैयार किया गया है।
चौथी पुस्तक कराई है तैयार
डा. वसंत कुमार स्वर्णकार द्वारा आगरा के स्मारकों पर ब्रेल लिपि में तैयार कराई गई पुस्तक उनके द्वारा ब्रेल लिपि में तैयार कराई गई चौथी पुस्तक है। इससे पूर्व वो राजस्थान के किले, दिल्ली के स्मारक, उत्तराखंड के स्मारक पर ब्रेल लिपि में पुस्तक तैयार करा चुके हैं। एएसआइ के देहरादून सर्किल के लिए उन्होंने दृष्टि दिव्यांग पर्यटकों के लिए स्पीकिंग वेबसाइट भी तैयार कराई थी।
स्मारकों में लगे हैं बोर्ड
ताजमहल समेत प्रमुख स्मारकों में दृष्टि दिव्यांग पर्यटकों के लिए ब्रेल लिपि के साइनेज लगे हुए हैं। उंगलियों के स्पर्श से इन्हें पढ़कर दृष्टि दिव्यांग पर्यटक स्मारकों का इतिहास जान लेते हैं।