बोर्ड परीक्षा टालना सही कदम, अब संसाधन बढ़ाने पर भी दें ध्यान

- यूपी बोर्ड परीक्षा टालने को प्रधानाचार्यों शिक्षकों ने ठहराया सही - केंद्रों पर क्षमता से अधिक आवंटित हैं विद्यार्थी शारीरिक दूरी का पालन होगा मुश्किल

By JagranEdited By: Publish:Thu, 15 Apr 2021 07:32 PM (IST) Updated:Thu, 15 Apr 2021 11:30 PM (IST)
बोर्ड परीक्षा टालना सही कदम, अब संसाधन बढ़ाने पर भी दें ध्यान
बोर्ड परीक्षा टालना सही कदम, अब संसाधन बढ़ाने पर भी दें ध्यान

आगरा, जागरण संवाददाता। केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के बाद उप्र माध्यमिक शिक्षा परिषद (यूपी बोर्ड) ने भी हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा 20 मई तक टाल दी है। इसे प्रधानाचार्यों व शिक्षकों ने सही समय पर उठाया गया कदम करार दिया। हालांकि वह परीक्षा रद न करने की गुजारिश भी करते दिखे।

खंदारी स्थिति श्रीराम-कृष्ण इंटर कालेज के प्रधानाचार्य सोमदेव सारस्वत का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में परीक्षा टालना ही एकमात्र विकल्प था। परीक्षा होती, तो नियमों का पालन मुश्किल होता। परीक्षा टलने से विद्यार्थियों को तैयारी का पर्याप्त समय मिलेगा, लेकिन इन्हें रद न किया जाए।

राजकीय हाईस्कूल सैमरा की प्रधानाचार्य आराधना सिंह का कहना है कि परीक्षा कोई भी हो, उसे स्थगित करने में विद्यार्थियों का ही नुकसान होता है। सत्र पहले से लेट है, विद्यार्थियों की पढ़ाई भी ठीक से नहीं हुई। अब परीक्षा लेट होने से विद्यार्थियों के भविष्य पर भी असर पड़ेगा। लेकिन उनकी सुरक्षा सर्वोपरि है। इसलिए वर्तमान हालात देखते हुए सरकार ने सही निर्णय लिया है।

बढ़ाई जाए केंद्रों की संख्या

राजा बलवंत सिंह इंटर कालेज के प्रधानाचार्य डा. यतेंद्र पाल सिंह का कहना है कि परीक्षा सिर्फ 20 मई तक टालने का कोई व्यवहारिक लाभ नहीं होगा। जून तक परीक्षा कराने की स्थिति बनती नहीं दिख रही। बोर्ड को पहले केंद्र संख्या और संसाधन बढ़ाने पर ध्यान देना चाहिए क्योंकि केंद्रों पर आवंटित विद्यार्थियों की संख्या बहुत अधिक है और वहां शारीरिक दूरी का पालन नहीं हो पाएगा।

परीक्षा टलें, लेकिन हो जरूर

एमडी जैन इंटर कालेज के शिक्षक प्रशांत पाठक का कहना है कि वर्तमान परिस्थिति में परीक्षा टालना ही एकमात्र विकल्प था क्योंकि संक्रमण लगातार बढ़ रहा है। लेकिन हाईस्कूल और इंटरमीडिएट की परीक्षा एक महत्वपूर्ण पड़ाव है, इसलिए देर से सही, परीक्षा कराई जरूर जाए। नहीं तो मेधावी विद्यार्थियों की मानसिकता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

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