Blood Donor Day: रक्तदान कर अनजान जिंदगी बचाने को बना लिया जीवन का मकसद, आगरा में कई युवा रहते हैं तत्पर
विश्व रक्तदान दिवस मनाया जा रहा है सोमवार को। ताजनगरी के युवाओं ने बना रखे हैं अपने ग्रुप। वाट्सएप या अन्य किसी माध्यम से संदेश मिलते ही सक्रिय हो जाते हैं मदद के लिए। वाकई में ये लोग समाज के लिए रियल लाइफ हीरो हैं।
आगरा, गौरव भारद्वाज। जीवन में एक बार किसी अपने को रक्त की कमी से जूझते देखा और बस तभी से तय कर लिया कि अब किसी बीमार, दुर्घटनाग्रस्त को खून की कमी के कारण परेशान नहीं होना पड़ेगा, अपनी जान नहीं गंवानी पड़ेगी। ऐसा ही सोचना है शहर के इन रक्तवीरों का, जो खुद तो रेग्युलर ब्लड डोनर हैं ही साथ ही अन्य लोगों को भी ब्लड डोनेशन के लिए प्रेरित करने का काम कर रहे हैं।
14 जून को विश्व रक्तदान दिवस है। ऐसे दिवस पर ये युवा जो हर पीडि़त की मदद के लिए तत्पर रहते हैं। कहते हैं- 'रक्तदान जीवनदान है'। अपना खून देकर किसी की जिंदगी बचाने से बड़ा पुण्य का काम कोई दूसरा नहीं। इंसान ने कई तरह के कृत्रिम अंग तो बना लिए, लेकिन खून को लैब में आज तक नहीं बनाया जा सका। इसकी जरूरत के लिए इंसान आज भी रक्तदान पर ही निर्भर है। रक्तदान के इसी महत्व को लोगों तक पहुंचाने के लिए हर साल विश्व रक्तदान दिवस मनाया जाता है। इस अवसर पर ताजनगरी के कुछ 'रियल लाइफ हीरो' हैं, जिन्होंने रक्तदान कर अनजान लोगों की जान बचाने को ही अपने जीने मकसद बना लिया। मैसेज मिलते ही यह लोग मदद के लिए सक्रिय हो जाते हैं।
ये हैं रक्तवीर
पहली बार 19 साल की उम्र में अपने मामा को रक्त दिया था। तब पहली बार लगा कि रक्तदान की अहमियत क्या है। इसके बाद से लगातार रक्तदान कर रहा हूं। अभी तक 16 वार रक्तदान और 12 बार प्लेटलेट्स दान कर चुका हूं। । उन्होंने अपने कई दोस्तों को भी इस मुहिम में साथ जोड़ा है। एक बार रक्तदान कर तीन लोगों की जान बचाई जा सकती है तो क्यों न सभी रक्तदान करें।
अर्पित गोयल, कमला नगर
अब तक 43 बार रक्तदान कर चुका हूं। पहली बार 2007 में उन्होंने अपने एक रिश्तेदार को रक्त दिया था। इसके बाद उन्हें लगा कि रक्तदान कर कई लोगों की जान बचा सकते हैँ। वर्ष 2011 में क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर के जन्मदिन पर उन्होंने रक्तदान शिविर का आयोजन कर लोगों को जोड़ना शुरू किया। 65 साल की उम्र तक उनका 65 बार रक्तदान करने का लक्ष्य है। मेरे दोनों बेटे भी 8-8 बार रक्तदान कर चुके हैं।
अनिल शर्मा, कैंट
पहली बार आठ साल पहले रक्तदान किया था। मकसद था कि खून की कमी से किसी की जान न जाए। अब तक 12 बार रक्तदान और 10 बार प्लेटलेट्स दान कर चुका हूं। जब भी किसी जरूरतमंद काे रक्त के लिए उनके पास मैसेज आता है तो वो रक्तदान करते हैं। साल में कम से कम तीन बार रक्तदान करने का प्रयास रहता है।
राहुल अग्रवाल, कमला नगर
20 साल की उम्र में पहली बार रक्तदान किया। रक्तदान की प्रेरणा उनको अपने बडे़ भाई हितेश से मिली। पहली बार रक्तदान करने के बाद पता चला कि जेब खाली होने के बाद भी आप किसी की मदद कर सकते हैं। इससे बहुत खुशी मिलती है। वो अब तक 12 बार रक्तदान कर चुकी हूं। आगे भी यह सिलसिला चलता रहेगा।
देवांशी सिंघल, जीवनी मंडी