CDS Bipin Rawat Death News Updates: व्यवहार कुशल होने के साथ बेहद जांबाज थे पृथ्वी, जानिए उनके पूरे व्यक्तित्व के बारे में
CDS Bipin Rawat Death News Updates टीवी पर खबर देखने के बाद ही घर में लगा रिश्तेदारों और परिचितों का जमघट। पृथ्वी सिंह चौहान। जैसा भारी भरकम नाम वही अंदाज और तेवर विंग कमांडर पृथ्वी सिंह के थे।
आगरा, जागरण संवाददाता। सरन नगर निवासी सुरेंद्र सिंह व सुशीला के लिए दोपहर तक बुधवार का दिन भी सामान्य दिनों की तरह सा था। दैनिक कार्यों से निवृत्त होने के बाद पति-पत्नी टीवी देख रहे थे। तभी टीवी स्क्रीन पर हेलीकाप्टर हादसे की सूचना प्रसारित हुई। कुछ देर बाद पृथ्वी सिंह चौहान का नाम भी स्क्रीन पर आया। इस पढ़ते ही दोनों वृद्धों की धड़कन बढ़ गई। मन में अशुभ आशंकाओं के गुबार उठने लगे। हिम्मत करके जैसे-तैसे बेटे पृथ्वी सिंह चौहान को फोन लगाया। फोन बंद होने पर वह थोड़ा और घबराए। मन को शांत करते हुए मुंबई में रह रही बेटी शंकुतला को फोन किया और सूचना की पुष्टि करनी चाहिए। बेटी ने कुछ समय मांगा। पृथ्वी की पत्नी कामिनी से बात करने के बाद थोड़ी देर बाद पलटकर सुशीला को फोन किया और निधन की पुष्टि की। इसके बाद तो उनकी आंखों के सामने मानाे अंधेरा सा छा गया। घर में कोहराम मच गया। मां की सुधबुध गई। पिता गुमसुम हो गए। फोन घनघाने लगे। थोड़ी देर में ये खबर रिश्तेदारों और परिचितों में फैल गई। देर रात तक उनका जमघट लग गया।
मिलनसार थे पृथ्वी
रिश्तेदार पुष्पेंद्र ने बताया कि पृथ्वी भैया शुरू से ही मिलनसार थे। छुट्टी पर जब भी आते थे, सभी मिलते थे। लगता ही नहीं था कि वह एयरफोर्स में इतनी ऊंची पोस्ट पर हैं। कहते हैं कि पृथ्वी भैया कभी भी अपने आफिस की बात घर पर नहीं करते थे। पृथ्वी सिंह का जन्म सितंबर 1979 को दयालबाग स्थित एक अस्पताल में हुआ था। प्राथमिक शिक्षा आसपास के स्कूल में हुई थी। इसके बाद सैनिक स्कूल, रीवा चले गए।
परिवार से कोई सेना में नहीं
पूरा देश शोक में डूबा है। लेकिन आगरावासियों का दुख दोहरा है। हेलीकॉप्टर हादसे में शहीद सीडीएस बिपिन रावत के साथ आगरा के लाल पृथ्वी सिंह चौहान भी शहीद हुए हैं। एक जमाने में मशहूर बीटा ब्रेड का उत्पादन करने वाले उनके पिता सुरेंद्र सिंह ने बताया कि पृथ्वी के अलावा उनके घर-परिवार में कोई भी व्यक्ति कभी भी सेना में रहा। पृथ्वी ने घर के जमे जमाए काम को अपनाने की बजाय एयरफोर्स मे भर्ती होना चुना। इसके लिए सैनिक स्कूल में पढ़ते हुए उन्होंने तैयारी और एनडीए में सलेक्ट हुए। पिता बताते हैं कि बचपन से ही वह सेना में जाना चाहता था। सैनिक स्कूल में रहते हुए इस दिशा में वह आगे बढ़े।
जांबाज पायलट थे पृथ्वी
पृथ्वी सिंह चौहान। जैसा भारी भरकम नाम, वही अंदाज और तेवर विंग कमांडर पृथ्वी सिंह के थे। अपने कौशल से दुश्मन के लड़ाकू विमानों को चकमा देने वाले पृथ्वी हेलीकॉप्टर में आई तकनीकी खामी से शहीद हो गए। एयरफोर्स ज्वाइन करने के बाद पृथ्वी की पहली पोस्टिंग हैदराबाद हुई थी। इसके बाद वे गोरखपुर, गुवाहाटी, ऊधमसिंह नगर, जामनगर, अंडमान निकोबार सहित अन्य एयरफोर्स स्टेशनों पर भी रहे। उन्हें एक साल के लिए सूडान भी भेजा गया था।