भरत बिनय सुनिदेखि सुभाऊ, सिथिल सनेहं सभा रघुराऊ
मनकमेश्वर महादेव मंदिर परिसर में हुई भरत मिलाप की लीला कैंट संस्थान की रामलीला में सीता हरण की लीला का मंचन
आगरा, जागरण संवाददाता। रावतपाड़ा स्थित श्री मन:कामेश्वर महादेव मंदिर परिसर बुधवार को भगवान श्रीराम और अनुज भरत के मिलाप का केंद्र बना। उनके बीच हुए संवादों ने श्रद्धालुओं के मन को छू लिया। मौका था यहां आयोजित किए जा रहे श्रीराम लीला महोत्सव में हुई लीला के मंचन का।
महोत्सव में भरत के अयोध्या लौटने, भरत का राम को लाने के लिए वनगमन, भरत निषाद वार्ता, राम भरत मिलाप, शूर्पणखा कथा, खरदूषण वध, सीता हरण, जटायु उद्गार, शबरी लीला व सुग्रीव मिलन की लीला का मंचन हुआ। रामायण के सुंदरतम प्रसंग राम-भरत मिलाप के दृश्यों ने श्रद्धालुओं का मन मोहित कर दिया। लीला में दिखाया कि भौतिकवादी युग में जहां भाई-भाई खून के प्यासे हैं, वहीं भरत त्याग व प्रेम के आदर्श उदाहरण है। भरत राम से मिलने आते हैं और पिता की मृत्यु का समाचार देते हैं। श्रीराम दुखी होते हैं, लेकिन भरत को वापस लौटा देते हैं। अश्रुपूर्ण विनती के पश्चात राम वचन में बंधे भरत भ्राता से चरण पादुका लेकर अयोध्या लौटते हैं और 14 वर्षों तक उन्हें राम प्रतीक मानकर सेवक रूप में शासन चलाते हैं। अन्य लीला में भगवान राम से सूर्पणखा के प्रणय, क्रोधित होकर लक्ष्मण द्वारा उसकी नाक काटने, क्रोधित रावण द्वारा सीता हरण, महर्षि अगस्त्य से भगवान श्रीराम की भेंट और महर्षि द्वारा धर्मयुद्ध के लिए उन्हें दिव्य वैष्णव धनुष, सूर्यसमान तेजस्वी धनुष, तीक्ष्ण बाणों वाले तूरीण, महाखड्ग और अमोघ कवच व लंका चढ़ाई के दौरान रामसेतु निर्माण के लिए जल विखंडन विधि का ज्ञान देने की लीला हुई। लीला विश्राम पर आरती में अशोक कुलश्रेठ, पार्षद रवि माथुर, राकेश जैन, वर्षा शर्मा, डा. पंकज महेंद्रू, डा. रेनु महेंद्रू, डा. दीपिका प्रवीन गुप्ता आदि मौजूद रहे। हरिहर पुरी, बंटी ग्रोवर, थानेश्वर तिवारी, महंत योगेश पुरी मौजूद रहे। आनलाइन लंका दहन लीला
उत्तर भारत की ऐतिहासिक रामलीला में बुधवार को कवंध राक्षस वध, शबरी मिलन, लंका दहन महोत्सव की लीला का आनलाइन प्रसारण हुआ। कवंध राक्षस के वध के बाद प्रभु श्रीराम शबरी के आश्रम पहुंचते हैं, प्रभु को देख माता शबरी भाव-विभोर होकर उन्हें बेरों को चखकर खाने को देती हैं और प्रभु श्रीराम भक्त का प्यार देखकर झूठे बेर खाते हैं। समुद्र पार करने के लिए हनुमान जी को शक्ति याद दिलाने, उनके समुद्र पार करने, निशाचारी को मारकर लंकिनी जीतने और जानकी मां की खोज में वह अशोक वाटिका उजाड़कर अक्षय कुमार को मारने, इंद्रजीत द्वारा उन्हें नागपाश में बांधकर दशानन की सभा में ले जाने और लंका दहन की लीला हुई। सीता हरण की हुई लीला
आगरा कैंट रेलवे संस्थान की रामलीला में सूर्पणखा की नाक कटने की लीला हुई। रोती बिलखती सूर्पणखा रावण के दरबार में पहुंची और बदला लेने के लिए रावण को कहा। रावण मामा मारीच के पास पहुंचा। मामा मारीच हिरण भेष धारण कर श्रीराम को वन में ले गया और रावण साधु वेष धारण कर सीता हरण कर लेता है। जटायु और रावण युद्ध, माता सीता की खोज, शबरी के झूठे बेर, सुग्रीव और श्रीराम की मित्रता की लीला का मंचन किया गया। श्रीराम की भूमिका विनोद मौर्य, लक्ष्मण की मोहित कुमार, माता सीता की ललित, रावण की मनोज सिंह, सुग्रीव की हैप्पी त्रेहान, बाली की अर्जुन प्रजापति, हनुमान की भूरी सिंह यादव, सूर्पणखा की सुमित अग्रवाल ने निभाई। मनोज पांडे, सत्यनारायण, भगवान जगन्नाथ सिंह यादव, राजकुमार श्रीवास्तव, अविनाश बघेल आदि ने व्यवस्था संभाली। रूप सज्जा प्रदीप राजपूत व मंच निर्देशन राकेश कनौजिया ने किया।