भागवत कथा को आत्मसात करने से होगा उद्धार
बाह के गौंसिली गांव में चल रही श्रीमद्भागवत कथा कथावाचक बोले सत्कर्म और ईश्वर की भक्ति से मिलेगा मोक्ष
जागरण टीम, आगरा। बाह के गौंसिली गांव में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के दूसरे दिन सुखदेव जी की कथा श्रवण की। कथा वाचक ने कथा का महत्व बताया। कथा वाचक आचार्य सुधीर ने श्रोताओं को शिव पार्वती के विवाह की कथा सुनाई। उन्होंने कहा कि केवल भागवत कथा श्रवण करने से ही मनुष्य का उद्धार नहीं हो सकता, हमें उसे जीवन में आत्मसात करना पड़ेगा। कथा श्रवण के बाद उसका मनन व चितन जरूरी है। धर्म तो अपने आप में महान है, लेकिन हम धर्म संगत करें, अच्छे कर्म करें। तो हमारे अच्छे कर्म की हर ओर जय जयकार होगी। अच्छे कर्म और ईश्वर की भक्ति उसे इस जन्म मरण के चक्कर से मुक्ति दिलाएगी। इस मौके पर परीक्षित श्रीमती, जगदीश प्रसाद शुक्ला, छोटेलाल, रामगोपाल शुक्ला, रामकिशन शुक्ला, महेश चंद्र शुक्ला, रजनेश शुक्ला, सुनील, सिद्धांतवीर, विमल आदि मौजूद रहे। वामन अवतार की कथा सुन श्रद्धालु भावविभोर
जागरण टीम, आगरा। दैत्यराज बलि ने इंद्र को परास्त कर जब स्वर्ग पर अधिकार कर लिया तो इंद्र की दयनीय स्थिति को देखकर उनकी मा अदिति बहुत दुखी हुर्इं। पुत्र के उद्धार के लिए भगवान विष्णु की आराधना की। अछनेरा के गाव रायभा स्थित छत्री वाले मैदान में चल रही श्रीमद्भागवत कथा के दौरान पंडित सुभाष चंद ने वामन अवतार की कथा सुनाते हुए कहा कि मा अदिति से प्रसन्न होकर भगवान विष्णु ने उनके पुत्र के रूप में वामन का जन्म लेकर इंद्र को खोया राज्य दिलवाने का वचन दिया। समय आने पर अदिति के गर्भ से ब्रह्माचारी के रूप में जन्मे पुत्र को देखकर ऋषि-मुनि आनंदित हो उठे। उधर, राजा बलि स्वर्ग पर स्थायी अधिकार जमाने के लिए अश्वमेध यज्ञ कर रहा था। यज्ञ में वामन रूप में पहुंचे भगवान विष्णु को उचित आसन दिया गया। उनके तेज से यज्ञशाला प्रकाशित हो उठी। बलि ने उनसे वर मांगने को कहा तो उन्होंने तीन पग में भूमि देने को कहा। बलि मान गया। भगवान विष्णु ने अपने शरीर का विशाल आकार बनाकर दो पग में ही पृथ्वी और स्वर्ग को ले लिया। तीसरा पग उठाते ही बलि ने क्षमा-याचना की और पाताल लोक दे दिया। कथा में परीक्षित बने गिर्राज सिंह, सियाराम, भूपेंद्र सिंह आदि मौजूद रहे।