Banke Bihari Temple Unlocked: बिहारीजी मंदिर खुला, ट्रेन चलने पर ही बनेगी बात

Banke Bihari Temple Unlocked टैक्सी चालकों का नहीं घूम पा रहा है रोजी-रोटी का पहिया। करना पड़ रहा है यात्रियों का इंतजार। चाय के लिए भी पैसे नहीं। ब्रज भ्रमण करने वाली सवारियां भी बहुत ही कम मिल रही हैं। अभी श्रद्धालु अच्छी-खासी संख्या में नहीं आ रहे हैं।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Mon, 26 Oct 2020 06:18 PM (IST) Updated:Mon, 26 Oct 2020 06:18 PM (IST)
Banke Bihari Temple Unlocked: बिहारीजी मंदिर खुला, ट्रेन चलने पर ही बनेगी बात
टैक्सी चालकों का नहीं घूम पा रहा है रोजी-रोटी का पहिया।

आगरा, जेएनएन। बिहारीजी मंदिर के दर्शन खुलने के बाद टैक्सी चालकों को जीवन का पहिया घूमने की आस जागी है, लेकिन अभी ट्रेनों के चलने का इंतजार है। मंदिर खुलने के बाद ट्रेनों का संचालन पूरी तरह शुरू होने पर ही रोजी-रोटी की समस्या खत्म हो सकेगी।कोरोना वायरस के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए मार्च में लाकडाउन लिया गया। इस दौरान मंदिर के पट बंद कर दिए गए थे और ट्रेनों का संचालन भी रोक दिया गया था। जून से धीरे-धीरे मंदिर खुलने लगे और अब बिहारीजी मंदिर भी खोल दिया गया है। बिहारीजी मंदिर खुलने के बाद टैक्सी चालकों को सवारियां मिलने की उम्मीद जाग गई है, लेकिन टैक्सी चालकों का यह भी मानना है कि जब तक ट्रेन पूरी तरह नहीं चलेंगी, जब तक सवारियां नहीं मिलेंगी। ब्रज भ्रमण करने वाली सवारियां भी बहुत ही कम मिल रही हैं। अभी श्रद्धालु अच्छी-खासी संख्या में नहीं आ रहे हैं। ट्रेन आने पर यात्रियों का इंतजार रहता है, लेकिन यात्री नहीं मिलते हैं। दिन भर इंतजार करने के बाद खाली हाथ लौटना पड़ता है। 

यह कहना है चालकों का

पूरा-पूरा दिन बीत जाता है, लेकिन बोहनी तक नहीं हो रही है। रोजी-रोटी के लाले पड़ गए हैं। कोरोनाकाल में जीवन का पहिया थम गया है, अब इसके घूमने का इंतजार है।

जगदीश-नवादा

बिहारीजी मंदिर खुलने से आस जागी है, लेकिन अभी असर दिखाई नहीं दिया है। धीरे-धीरे श्रद्धालु बढ़ने पर कुछ राहत मिलेगी। जीवन भगवान भरोसे ही चल रहा है।

पप्पू-मोतीकुंज

ट्रेन चलने पर ही सवारियां मिल सकेंगी, अभी तो चाय तक के पैसे नहीं हैं। दिन भर इंतजार करने के बाद भी यात्री नहीं मिल रहे हैं। गाड़ी की किश्त तक जमा नहीं कर पा रहे हैं।

महेंद्र चौधरी-नटवर नगर

कोरोना से मुक्ति को भगवान से प्रार्थना कर रहे हैं। दिन पर बैठने के बाद खाली हाथ लौटना पड़ जाता है। बिहारीजी मंदिर खुलने से लग रहा है कि सवारियां मिलना शुरू हो जाएं।

सुरेंद्र-गोपाल नगर   

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