Bach Baras 2020: गाय− बछड़े की पूजा से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट, जानिए विधी पूजन

Bach Baras 2020 16 अगस्त को है बछ बारस। गोवत्स द्वादशी नाम से होती है ब्रज में पूजा।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Sat, 15 Aug 2020 03:04 PM (IST) Updated:Sat, 15 Aug 2020 03:04 PM (IST)
Bach Baras 2020: गाय− बछड़े की पूजा से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट, जानिए विधी पूजन
Bach Baras 2020: गाय− बछड़े की पूजा से दूर हो जाते हैं सारे कष्ट, जानिए विधी पूजन

आगरा, जागरण संवाददाता। भाद्रपद मास में कृष्ण पक्ष की द्वादशी तिथि को बछ बारस का पर्व मनाया जाता है।इस वर्ष ये त्योहार 16 अगस्त को है। ज्योतिषाचार्य डॉ शाेनू मेहरोत्रा के अनुसार इस दिन गाय और बछड़े की पूजा की जाती है। भाद्रपद मास में पड़ने वाले इस उत्सव को गोवत्स द्वादशी या बछ बारस के नाम से भी जाना जाता हैं। ऐसा माना जाता है वर्ष में दूसरी बार यह पर्व कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष में भी मनाया जाता है। भारतीय धार्मिक पुराणों में गौमाता में समस्त तीर्थ होने की बात कहीं गई है। पूज्यनीय गौमाता हमारी ऐसी मां है जिसकी बराबरी न कोई देवी-देवता कर सकता है और न कोई तीर्थ। गौमाता के दर्शन मात्र से ऐसा पुण्य प्राप्त होता है जो बड़े-बड़े यज्ञ, दान आदि कर्मों से भी नहीं प्राप्त हो सकता।

 

क्या है पौराणिक महत्व

पौराणिक जानकारी के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण के जन्म के बाद माता यशोदा ने इसी दिन गौमाता का दर्शन और पूजन किया था। जिस गौमाता को स्वयं भगवान कृष्ण नंगे पांव जंगल-जंगल चराते फिरे हों और जिन्होंने अपना नाम ही गोपाल रख लिया हो, उसकी रक्षा के लिए उन्होंने गोकुल में अवतार लिया। ऐसी गौमाता की रक्षा करना और उनका पूजन करना हर भारतवंशी का धर्म है। शास्त्रों में कहा है सब योनियों में मनुष्य योनी श्रेष्ठ है। यह इसलिए कहा है कि वह गौमाता की निर्मल छाया में अपने जीवन को धन्य कर सकें। गौमाता के रोम-रोम में देवी-देवता एवं समस्त तीर्थों का वास है। इसीलिए धर्मग्रंथ बताते हैं समस्त देवी-देवताओं एवं पितरों को एक साथ प्रसन्न करना हो तो गौभक्ति-गौसेवा से बढ़कर कोई अनुष्ठान नहीं है। गौमाता को बस एक ग्रास खिला दो, तो वह सभी देवी-देवताओं तक अपने आप ही पहुंच जाता है। भविष्य पुराण के अनुसार गौमाता कि पृष्ठदेश में ब्रह्म का वास है, गले में विष्णु का, मुख में रुद्र का, मध्य में समस्त देवताओं और रोमकूपों में महर्षिगण, पूंछ में अनंत नाग, खूरों में समस्त पर्वत, गौमूत्र में गंगादि नदियां, गौमय में लक्ष्मी और नेत्रों में सूर्य-चन्द्र विराजित हैं।

पूजन विधि

बछ बारस, गोवत्स द्वादशी के दिन महिलाएं अपने बेटे की सलामती, लंबी उम्र और परिवार की खुशहाली के लिए यह पर्व मनाती हैं। इस दिन घरों में विशेष कर बाजरे की रोटी‍ जिसे सोगरा भी कहा जाता है और अंकुरित अनाज की सब्जी बनाई जाती है। इस दिन गाय की दूध की जगह भैंस या बकरी के दूध का उपयोग किया जाता है। 

हमारे शास्त्रों में इसका माहात्म्य बताते हुए कहा गया है कि बछ बारस के दिन जिस घर की महिलाएं गौमाता का पूजन-अर्चन करती हैं। उसे रोटी और हरा चारा खिलाकर उसे तृप्त करती हैं, उस घर में मां लक्ष्मी की कृपा सदैव बनी रहती है और उस परिवार में कभी भ‍ी अकाल मृत्यु नहीं होती है।

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