शाही ईदगाह का संरक्षण करेगा एएसआइ, बदले जाएंगे फर्श के खराब पत्थर
फर्श के खराब पत्थरों को बदलकर नए पत्थर लगाए जाएंगे। लाखौरी ईंटों की दीवार पर किया जाएगा प्वाइंटिंग का काम। संरक्षण कार्य के लिए टेंडर कर 28 जनवरी तक मांगी निविदा। संरक्षण कार्य पर व्यय होंगे 22.81 लाख रुपये।
आगरा, जागरण संवाददाता। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआइ) कुतलूपुर स्थित शाही ईदगाह का संरक्षण करने जा रहा है। यहां फर्श के खराब पत्थरों को बदलकर नए पत्थर लगाए जाएंगेे। दीवार पर प्वाइंटिंग का काम किया जाएगा। एएसआइ ने इसके लिए टेंडर कर 28 जनवरी तक निविदा आमंत्रित की हैं।
शाही ईदगाह एएसआइ द्वारा संरक्षित स्मारक है। यहां फर्श, बार्डर आदि के पत्थर खराब हो गए हैं। वहीं, दीवारों से मसाला निकलने की वजह से झाड़ियां व पेड़-पौधे उग आए हैं। एएसआइ द्वारा इसके चलते यहां संरक्षण कार्य कराने का निर्णय लिया गया है। यहां खराब हो चुके फर्श के पत्थरों को बदला जाएगा। समय के साथ खराब हुए दाब, दासा और पानदासा के पत्थर बदलकर नए पत्थर लगाए जाएंगे। इसके साथ ही दीवारों पर उगे पौधे, झाड़ियों आदि को साफ कर प्वाइंटिंग का काम किया जाएगा। अधीक्षण पुरातत्वविद वसंत कुमार स्वर्णकार ने बताया कि संरक्षण कार्य पर करीब 22.81 लाख रुपये का व्यय आएगा।
40 दिनों में शाहजहां ने कराया था निर्माण
एएसआइ के मोबाइल एप पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार शाही ईदगाह का निर्माण शहंशाह शाहजहां द्वारा 40 दिनों में कराया गया था। माना जाता है कि वर्ष 1628-1656 के मध्य इसका निर्माण हुआ। ईदगाह में लगे फारसी भाषा के शिलालेख के अनुसार इसका जीर्णाेद्धार वर्ष 1876 में कराया गया था। इसे वर्ष में केवल दो ही बार ईद-उल-फितर और ईद-उल-अजहा की नमाज को खोला जाता है। इसमें आठ से 10 हजार लोग एक साथ नमाज पढ़ सकते हैं।