आगरा के गांवाेें में कोरोना की कमान संभाल रहीं आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता
ग्रामीण इलाकों में हेल्थकेयर वर्कर्स की कमी को देखते हुए आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कमान संभाल रही हैं। थर्मामीटर व आक्सीमीटर से कोरोना के शुरुआती लक्षणों की जांच कर रही हैं बल्कि उन्हें दवा भी उपलब्ध करा रही हैं। इस काम में 1380 अाशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लगी हैं।
आगरा, जागरण संवाददाता। अब गांवों में भी कोरोना संक्रमण तेजी से फैल रहा है। शायद ही एेसा कोई गांव छूटा होगा, जिसमें कोरोना संक्रमित मरीज न हों। ग्रामीण इलाकों में हेल्थकेयर वर्कर्स की कमी को देखते हुए आशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता कमान संभाल रही हैं। थर्मामीटर व आक्सीमीटर से न सिर्फ कोरोना के शुरुआती लक्षणों की जांच कर रही हैं बल्कि उन्हें दवा भी उपलब्ध करा रही हैं। इस काम में 1380 अाशा व आंगनबाड़ी कार्यकर्ता लगी हैं। इतने ही रोजगार सेवक व युवक मंडल दल के सदस्य भी लगे हैं।
कोरोना के 85 फीसद से अधिक मरीजों को हल्का संक्रमण होता है और वे घर पर ही ठीक हो जाते हैं। इसे देखते हुए प्रत्येक गांव में थर्मामीटर और ऑक्सीमीटर उपलब्ध कराए गए हैं। जिससे कि बुखार की जांच के साथ-साथ मरीज के आक्सीजन स्तर पर नजर रखी जा सके। ग्राम प्रधान की अध्यक्षता में बनी निगरानी समिति में गांव का लेखपाल, ग्राम पंचायत सचिव, राेजगार सचिव, आशा कार्यकर्ता, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता व युवक मंडल दल का सदस्य शामिल हैं। इनके माध्यम से कोरोना संक्रमितों को तो दवाएं पहुंचाई ही जा रही हैं, जिनमें लक्षण भी हैं, उन्हें भी निशुल्क दवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं। सभी समितियों को 10-10 किट उपलब्ध कराई गई हैं। इसके साथ ही ग्रामीणों को जागरूक भी किया जा रहा है। होम आइसोलेशन में यदि मरीज को लाभ नहीं मिल रहा है तो उनके और बेहतर उपचार के लिए प्रत्येक गांव में आइसोलेशन सेंटर बनाए जा रहे हैं।इसके लिए प्रत्येक गांव के प्राथमिक विद्यालय को चिह्नित किया जा रहा है। लगभग 60 फीसद विद्यालयों में मूलभूत सुविधाएं भी दुरुस्त कर ली गई हैं। जरूरत पड़ने पर पंचायत घर में भी आइसाेलेशन सेंटर बनाए जाएंगे।