95 साल का सफर, कई मील के पत्थर

डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का आज 95वां स्थापना दिवस -उत्तर भारत का पहला हिदी विद्यापीठ डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में ही हुआ था स्थापित - आकाशवाणी के लिए हुआ करती थी रिकार्डिंग

By JagranEdited By: Publish:Wed, 30 Jun 2021 11:59 PM (IST) Updated:Wed, 30 Jun 2021 11:59 PM (IST)
95 साल का सफर, कई मील के पत्थर
95 साल का सफर, कई मील के पत्थर

आगरा, जागरण संवाददाता। वर्ष 1996 तक आगरा विश्वविद्यालय के नाम से विख्यात रहे डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय का गुरुवार को 95वां स्थापना दिवस मनाया जा रहा है। इन 95 सालों में विश्वविद्यालय ने देश को अनेक ऐसे छात्र दिए हैं, जो विभिन्न क्षेत्रों में नामचीन रहे हैं। कालांतर में कई विश्वविद्यालय भी इसी से निकले हैं। उत्तर भारत की पहली हिदी विद्यापीठ भी यहीं स्थापित हुई। कभी यहां आकाशवाणी के लिए भी रिकार्डिंग हुआ करती थी। विश्वविद्यालय के 95 साल के सफर में कई मील के पत्थर खड़े हुए, आइए डालते हैं एक नजर.. -1953 से कन्हैयालाल माणिकलाल मुंशी हिदी तथा भाषा विज्ञान विद्यापीठ (केएमआइ) हिदी भाषा और भाषा विज्ञान के उच्चतर अध्ययन और अनुसंधान के क्षेत्र में उत्तर भारत के सर्वप्रथम संस्थान के रूप में कार्य कर रहा है।

- 1200 साल पुराना अद्भुत संग्रह केएमआइ के ही हस्तलेखागार में है। जिनमें मुगलकालीन सिक्के और नक्शे खास हैं।

- पूरे भारत से पाठालोचन के लिए यहां छात्र व शोधार्थी आते हैं। पाठालोचन इस बात का वैज्ञानिक अनुसंधान या विवेचन करता है कि किसी साहित्यिक कृति के संदिग्ध अंश का मूलपाठ वास्तव में कैसा और क्या रहा होगा।

- 1960 के आसपास भाषा विज्ञान केंद्र में बनी लैब में आकाशवाणी के लिए रिकार्डिंग हुआ करती थी।

- 1927 में विश्वविद्यालय के साथ स्थापित हुई सेंट्रल लाइब्रेरी में एक लाख 72 हजार से ज्यादा किताबें हैं, जिसमें जर्नल और थीसिस भी शामिल हैं। इसके पोर्टल पर दो करोड़ से ज्यादा किताबें और तीन हजार से ज्यादा ई रिसर्च जर्नल उपलब्ध हैं। 'इनफिलिबनेट' और 'शोधगंगा' जैसी दुनिया की चर्चित ऑनलाइन लाइब्रेरी के साथ इसे जोड़ा गया है। संपर्क न्यूज क्लिपिग लिक में दुनिया भर के 2500 अखबार, 4000 पत्रिकाएं उपलब्ध हैं।

- भारतीय कला एवं संस्कृति को प्रोत्साहन देने के लिए उत्कृष्टता केंद्र (सेंटर आफ एक्सीलेंस) स्थापित किया जाना तय है। प्रदेश सरकार ने मंजूरी दे दी है। सिविल लाइंस रोड स्थित संस्कृति भवन में केंद्र स्थापित होगा। पहले चरण में पर्यटक गाइड का प्रशिक्षण कार्यक्रम संचालित करने का निर्देश दिया गया है। इस केंद्र में ब्रज, अवध, बुंदेलखंड आदि के पारंपरिक दर्शन, ललित कलाओं का श्रव्य और ²श्य प्रदर्शन शिक्षण, सामाजिक चेतना में उन्हें स्थान दिलाने और प्रशिक्षुओं को इन लोक कलाओं के माध्यम से आत्मनिर्भर बनाने का कार्य किया जाएगा। केंद्र में रासलीला, स्वांग, सांझी, हस्त कौशल आदि प्रादेशिक और पारंपरिक कलाओं पर शोध कार्य भी किया जाएगा। इससे कलाओं और कलाकारों को बढ़ावा मिलेगा। फिल्म, टीवी और डिजिटल माध्यमों से पाठ्यक्रम भी शुरू किए जाएंगे।

- 27 रोजगारपरक पाठ्यक्रमों को पिछले साल यूजीसी से मान्यता मिली है।

विश्वविद्यालय के प्रसिद्ध पूर्व छात्र

मोती लाल नेहरू, शंकरदयाल शर्मा, गुलजारी लाल नंदा, चौधरी चरण सिंह, अटल बिहारी वाजपेयी, ह्दयनाथ कुंजरू, मुलायम सिंह यादव, अजीत डोभाल, राजेंद्र यादव, अशोक अंजुम, शंकरलाल द्विवेदी, राजबब्बर, गणेश प्रसाद पांडेय, ह्रदय बिहारी माथुर, श्याम सुंदर कपूर आदि। वर्तमान स्थिति-

-2 मंडल, आठ जिले, 1100 कालेज संबद्ध

- 3 परिसर, जिनमें पालीवाल पार्क, खंदारी और छलेसर।

- 126 पाठ्यक्रम और 38 विभाग।

- एसएन मेडिकल कालेज भी संबद्ध है।

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