New Education Policy 2020: कालेज स्तर पर होगा एक क्रियान्वयन समिति और 10 प्रकोष्ठ का गठन

New Education Policy 2020 राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुरूप पाठयक्रम लागू कराने की है तैयारी। विश्वविद्यालय कुलपति ने संबद्ध महाविद्यालय प्राचार्यों के साथ की वर्चुअल बैठक। बैठक में आगामी सत्र से प्रारंभ होने वाले स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम को लागू करने पर चर्चा हुई।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Fri, 07 May 2021 01:04 PM (IST) Updated:Fri, 07 May 2021 01:04 PM (IST)
New Education Policy 2020: कालेज स्तर पर होगा एक क्रियान्वयन समिति और 10 प्रकोष्ठ का गठन
विश्वविद्यालय कुलपति ने संबद्ध महाविद्यालय प्राचार्यों के साथ की वर्चुअल बैठक।

आगरा, जागरण संवाददाता। राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 के तहत शासन द्वारा लागू संशोधित पाठ्यक्रम को नए सत्र से लागू किया जाना है। शुरुआत विश्वविद्यालय से संबद्ध महाविद्यालयों में होनी है। इसी उद्देश्य से डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. अशोक मित्तल ने गुरुवार को संबद्ध राजकीय और अनुदानित महाविद्यालयों के प्राचार्यों के साथ आनलाइन बैठक की। इसमें आगामी सत्र से प्रारंभ होने वाले स्नातक स्तर के पाठ्यक्रम को लागू करने पर चर्चा हुई।

कुलपति का कहना था कि हमें इसी सत्र से राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 की भावना के अनुरूप स्नातक स्तर के पाठ्यक्रमों को लागू करना है। इनमें महाविद्यालयों के प्राचार्यो की भूमिका अहम होगी। सभी प्राचार्य अपने महाविद्यालय में राष्ट्रीय शिक्षा नीति को लागू करने के लिए एक क्रियान्वयन समिति बनाएं, राज्य सरकार की मंशा के अनुरूप 10 प्रकोष्ठों का गठन भी कर लें और तत्काल विश्वविद्यालय की टास्क फोर्स के संयोजक प्रोफेसर वीके सारस्वत को इससे अवगत कराएं। कुलपति ने प्राचार्य परिषद अध्यक्ष डा. यशपाल सिंह को सभी राजकीय और अनुदानित महाविद्यालयों के प्राचार्य का एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाने के लिए नामित किया, जिससे सूचनाएं समय से प्राचार्यों को मिल सकें। प्रथम वर्ष में नहीं होगी दिक्कत कुलपति का कहना था कि इस पाठ्यक्रम को प्रथम वर्ष में लागू करने में ज्यादा समस्या नहीं होगी, क्योंकि सभी महाविद्यालयों में पर्याप्त संसाधन हैं। समस्या सिर्फ समय सारिणी निर्धारित करने वाली समिति को आ सकती है, क्योंकि प्रथम वर्ष में विद्यार्थी जो तीन मुख्य विषय लेगा, उसमें से दो मुख्य विषय उसके संकाय के होंगे और एक विषय उसके संकाय के अन्य विभाग का या अन्य संकाय का भी हो सकता है। जैसे बीएस.सी. के एक विद्यार्थी ने दो मुख्य विषय भौतिक विज्ञान और रसायन विज्ञान लिए और तीसरा मुख्य विषय इतिहास या हिंदी या समाजशास्त्र भी ले सकता है, उस स्थिति में समय सारिणी अत्यंत सावधानी से व्यवस्थित करननी होगी। विद्यार्थियों के लिए होगा सुविधाजनक कुलपति ने बताया कि था इस चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम की यही विशेषता है कि इसमें प्रत्येक वर्ष के बाद निकास और पुन: प्रवेश की व्यवस्था है। किन्ही कारणों से विद्यार्थी एक वर्ष के बाद अपनी पढ़ाई सुचारू नहीं कर पाता, तो उसे 'सर्टिफिकेट इन फैकल्टी' का प्रमाण-पत्र दिया जाएगा। दूसरे वर्ष के बाद अध्ययन छोड़ने वाले विद्यार्थी को डिप्लोमा और तीन वर्ष पूर्ण करने पर उसे बैचलर डिग्री प्रदान की जाएगी। साथ ही विद्यार्थी के बहुमुखी विकास के लिए उसे तीन मुख्य विषयों के अलावा फाउंडेशन, माइनर/ वैकल्पिक, वोकेशनल और पाठ्य सहगामी पाठ्यक्रमों भी पढ़ने होंगे। विश्वविद्यालय टास्क फोर्स सदस्य डा. वीके सिंह ने इस पाठ्यक्रम के तकनीकी पहलुओं की जानकारी दी। मुख्य, वैकल्पिक, फाउंडेशन, वोकेशनल आदि विषयों में पूर्ण किए जाने वाले क्रेडिट का विवरण दिया। वेब रजिस्ट्रेशन होगा अहम टास्क फोर्स संयोजक प्रो. वीके सारस्वत ने बताया कि इस पाठ्यक्रम को लागू करने में वेब रजिस्ट्रेशन की भूमिका अहम होगी। प्रत्येक कालेज को अपने यहां उपलब्ध संसाधनों, पढ़ाए जाने वाले मुख्य विषयों व वोकेशनल विषयों, विषयवार छात्रों की संख्या का विवरण विश्वविद्यालय को उपलब्ध कराना होगा, जिसके आधार पर विद्यार्थी को प्रवेश मिलेगा। जल्द ही इस प्रकार की बैठकें नोडल केंद्रवार होंगी और स्ववित्तपोषित कालेजों को भी इससे अवगत कराया जाएगा। चित्रगुप्त कॉलेज, मैनपुरी के प्राचार्य डा. शेरपाल के प्रश्न पर डा. वीके सिंह ने बताया कि शुल्ककी स्थिति प्रवेश लेते समय ही स्पष्ट हो जाएगी। आवेदन करते समय ही विधार्थी के सामने सभी विषय व शुल्क की जानकारी आ जाएगी।

बैठक का संचालन में प्रो. वीके सारस्वत और इंजीनियर नमन गर्ग ने किया। इस दौरान प्रो. मनोज श्रीवास्तव, प्रो. अजय तनेजा, प्रो. पीके सिंह, डा. वीके सिंह, डा. एसपी सिंह, डा. शील मिश्रा, डा. मीरा अग्रवाल, डा. नीता गुप्ता, डा. वंदना सारस्वत, डा. विनीता गुप्ता, डा. लकी गुप्ता, डा. यशपाल सिंह, डा. निर्मला यादव, डा. पीके वार्ष्णेय, डा. शेरपाल आदि मौजूद रहे। 

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