आलू-सरसों के खेतों में बरसा अमृत
किसान बोले अब नमी की कमी नहीं पर सता रहा कोहरे का डर
आगरा, जागरण संवाददाता। जिले में अचानक मौसम बदला और कहीं तेज तो कहीं रिमझिम बारिश हुई। खेतों के लिए बारिश का अमृत माना जा रहा है। किसानों का मानना है कि इस बारिश से खेतों में अब नमी की कमी नहीं रहेगी। यदि घना कोहरा पड़ा तो आलू की फसल को नुकसान हो सकता है।
शुक्रवार को जिले में कई स्थानों पर बारिश हुई। देर रात तक रुक-रुककर इस बारिश को गांव रोहता के किसान रविन्द्र सिंह कुशवाहा मुफीद मनाते है। उनका कहना है कि यह बारिश आलू की फसल के लिए उपयोगी है। कारण अभी कई स्थानों पर आलू की बुआई चल रही है और इस बारिश ने जमीन की नमी दूर कर दी है, लेकिन अब घना कोहरा पड़ा तो नुकसान हो सकता है। 10 बीघा आलू की खेती कर रहे रविन्द्र का कहना है कि यदि मौसम सही रहा तो इस बार आलू की अच्छी फसल होगी। रोहता में ही चार बीघा में आलू की खेती कर रहे चेतन स्वरूप का कहना है कि विगत दिनों हुई बारिश के कारण अगैती फसल को बड़ा नुकसान हुआ है। पिछैती फसल की बोवाई में भी देरी हुई है। अगैती फसल के नुकसान का असर खोदाई पर भी देखने को मिलेगा, लेकिन इस बारिश से पिछैती फसल बेहतर होने की उम्मीद है। बिचपुरी के किसान राजेंद्र सिंह ने बताया कि आलू की अगैती फसल करते हैं, जिसकी बोवाई अक्टूबर के प्रथम सप्ताह में की थी। विगत दिनों बारिश के कारण क्यारियों में पानी भर गया, जिससे पूरी फसल बर्बाद हो गई है। अब पिछैती बोवाई की है, लेकिन शुक्रवार को हुई बारिश
फायदा पहुंचाएगी। एत्मादपुर के किसान महेश का भी यही कहना है। 20 बीघा में सरसों की खेती कर रहे पंचगाई खेड़ा गांव निवासी अवधेश का कहना है कि यह बारिश किसानों के लिए उपयोगी है। ये है जिले की स्थिति
जिले में 72 हजार हेक्टेअर में आलू की बोवाई होती है, 10 फीसद किसान अगैती फसल करते हैं। वहीं, 90 फीसद किसान पिछैती फसल करते हैं। पिछैती फसल 110 दिन में तैयार होती है, जिसे किसान शीतगृह में भंडारित कर देते हैं। वहीं अगैती फसल 90 दिन में तैयार हो जाती है, जिसकी खोदाई दिसंबर अंत या जनवरी शुरुआत में होती है। जिले में 60 हजार बीघा में सरसों की खेती होती है। एक हेक्टेयर में 260 से 290 कुंतल आलू और एक हेक्टेयर 22 से 28 कुंतल सरसों होती है।
शुक्रवार को हुई बारिश आलू व सरसों उत्पादकों के लिए उपयोगी है। घन कोहरा जरूर आलू उत्पादकों के लिए सही नही है।
डा. आरएस चौहान, वरिष्ठ वैज्ञानिक, कृषि विज्ञान केंद्र