Ambedkar University Agra: विश्वविद्यालय में 25 हजार से ज्यादा डिग्रियों पर हुए हस्ताक्षर, छात्रों के घरों पर भेजी जा रही

Ambedkar University Agra 2015 से 2019 तक की डिग्रियों के लंबित आवेदन किए निस्तारित। अब बिना आवेदन वाली डिग्रियों को किया जा रहा तैयार। एक महीने में 25 हजार से ज्यादा डिग्रियों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। डिग्रियों को हर रोज 100-150 की संख्या में प्रेषित किया जा रहा है।

By Tanu GuptaEdited By: Publish:Thu, 28 Jan 2021 07:55 AM (IST) Updated:Thu, 28 Jan 2021 07:55 AM (IST)
Ambedkar University Agra: विश्वविद्यालय में 25 हजार से ज्यादा डिग्रियों पर हुए हस्ताक्षर, छात्रों के घरों पर भेजी जा रही
डिग्रियों को हर रोज 100-150 की संख्या में प्रेषित किया जा रहा है।

आगरा, जागरण संवाददाता। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय ने डिग्रियों के लंबित आवेदनों का निस्तारण करने के लिए 25 हजार से ज्यादा डिग्रियों पर हस्ताक्षर करवा तैयार करा दी हैं। यही नहीं, एक कदम और आगे बढ़ाते हुए उन डिग्रियों को भी तैयार कराना शुरु कर दिया है, जिनके आवेदन ही नहीं आए हैं।

विश्वविद्यालय में 2015 से 2019 तक के लंबित आवेदनों को गंभीरता से लेते हुए परीक्षा नियंत्रक डा. राजीव कुमार ने कुलपति प्रो. अशोक मित्तल के निर्देशों पर योजना बनाई। 12 कर्मचारियों को चुना गया और पत्र जारी किया गया कि वे हर रोज छलेसर परिसर में जाकर डिग्रियों को तैयार करेंगे, हस्ताक्षर करेंगे। पिछले लगभग एक महीने में 25 हजार से ज्यादा डिग्रियों पर हस्ताक्षर हो चुके हैं। इन डिग्रियों को हर रोज 100-150 की संख्या में प्रेषित किया जा रहा है। अब विश्वविद्यालय उन डिग्रियों को भी तैयार करवा रहा है, जिनके आवेदन छात्रों ने किए ही नहीं हैं। 2015 की एेसी लगभग 2500, 2016 की 3500 की डिग्रियां तैयार हो चुकी हैं। अब 2017 की डिग्रियां तैयार की जाएंगी।

इससे पहले कुलपति ने हेल्प डेस्क की कार्यप्रणाली में भी बदलाव किए थे। हेल्प डेस्क पर कर्मचारियों को स्पष्ट निर्देश दिए गए कि आवेदन करने वाले हर छात्र को पूरी जानकारी दी जाएगी। आवेदन के नियम और तरीका भी बताया जाएगा।आवेदन करने के दस से 15 दिनों में छात्र को डिग्री और अंकतालिका भेज दी जाएगी।

हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि डिग्री और अंकतालिका को लेकर चली आ रही समस्या समाप्त हो जाए। तैयार डिग्रियों को हर रोज छात्रों के घरों पर प्रेषित किया जा रहा है।

- प्रो. अशोक मित्तल, कुलपति 

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