Ambedkar University Agra: आंबेडकर विश्वविद्यालय की कार्यशैली से छात्रों के साथ कालेज संचालक भी परेशान

डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय में इस साल कालेजों के माध्यम से नहीं भरवाए गए परीक्षा फार्म। स्वकेंद्र के शासनादेश को नहीं माना नहीं होती सुनवाई। छात्र परीक्षा फार्म भरवाने में मोहलत दिए जाने की मांग को लेकर करते रहे आंदोलन नहीं हुई सुनवाई।

By Prateek GuptaEdited By: Publish:Sun, 25 Jul 2021 08:50 AM (IST) Updated:Sun, 25 Jul 2021 08:50 AM (IST)
Ambedkar University Agra: आंबेडकर विश्वविद्यालय की कार्यशैली से छात्रों के साथ कालेज संचालक भी परेशान
आंबेडकर विवि में आंदोलन करते छात्र संगठनों के कार्यकर्ता।

आगरा, जागरण संवाददाता। डा. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय की मुख्य परीक्षाओं से इस बार छात्रों के साथ-साथ कालेज संचालक भी संतुष्ट नहीं हैं। हजारों छात्र परीक्षा फार्म भरने से वंचित रह गए। कालेज संचालकों को इस साल परीक्षा फार्म भरवाने में शामिल ही नहीं किया गया। छात्राओं के परीक्षा केंद्र दूर बना दिए गए हैं। विश्वविद्यालय में शिकायतों की सुनवाई नहीं हो रही है। छात्रों के साथ कालेज संचालक भी परेशान हैं।

इस साल कालेज संचालकों के साथ धोखाधड़ी की गई है। परीक्षा के समय कुलपति कार्य विरत कर दिए गए। नए अधिकारी आ गए। हम किसे अपनी समस्या बताएं। कोरोना में हाल बेहाल थे, बाकी कसर विश्वविद्यालय ने पूरी कर दी है। जब हमारे माध्यम से फार्म ही नहीं भरवाए गए, तो अब रिकवरी कालेजों से क्यों निकाली जा रही है। विश्वविद्यालय में कोई काम नहीं हो रहा है। बच्चों के साथ हम भी परेशान हैं।

- ब्रजेश यादव, अध्यक्ष, सेल्फ फाइनेंस कालेज एसोसिएशन

पहले परीक्षा फार्म कालेजों के माध्यम से भरे जाते थे, इस साल छात्रों से आनलाइन भरवाए गए। छात्रों को नेटबैकिंग, डेबिट कार्ड, क्रेडिट कार्ड से फीस भरने पर अलग से शुल्क देना पड़ा। यही नहीं, कालेजों को पता ही नहीं है कि किस छात्र ने फार्म भर दिया, किसने नहीं भरा, फिर हम डाटा कहां से देंगे।

- संजीव सिंह, चेयरमैन, उत्तम इंस्टीट्यूट

इस साल छात्रों ने सीधा विश्वविद्यालय की वेबसाइट पर आनलाइन परीक्षा फार्म भरे। इससे पहले वे कालेज की फीस भरने आए ही नहीं। हमें तो बहुत नुकसान हुआ है। कोरोना काल में वैसे ही छात्रों की संख्या में काफी गिरावट आई है, ऐसे में विश्वविद्यालय की यह कार्यप्रणाली हमारे लिए घातक सिद्ध हो रही है।

- वरूण सिकरवार,निदेशक, रघुकुल महाविद्यालय

हर राज्य विश्वविद्यालय ने शासनादेश को माना है, केवल हमारा विश्वविद्यालय ही ऐसा है जिसने शासनादेश को ही अनदेखा कर दिया है। छात्राओं के लिए स्पष्ट निर्देश हैं कि स्वकेंद्र बनाए जाएं। एक नहीं, छात्राओं के दर्जनों ऐसे कालेज हैं, जिनके परीक्षा केंद्र कई किलोमीटर दूर बना दिए गए हैं।लिखित शिकायत की थी, लेकिन विश्वविद्यालय में सुनवाई नहीं हुई।

- अमरीष यादव, निदेशक, ओम डिग्री कालेज

वेबसाइट ने नहीं दिया साथ

इस साल आनलाइन परीक्षा फार्म भरवाए गए, इस बीच कई बार वेबसाइट क्रैश हुई। सर्वर डाउन हुआ, फीस अटक गई। छात्र राहुल कुमार ने बताया कि तीन बार विश्वविद्यालय की वेबसाइट खोलने की कोशिश की, हर बार सर्वर डाउन होता था। रोहिताश सिंह की फीस तीन दिन बाद उसके एकाउंट में ही वापस आ गई। रवि यादव ने बताया कि विश्वविद्यालय की वेबसाइट खोलने में काफी समय खराब हुआ, मेरा घर गांव में है। नेटवर्क की दिक्कत रही। समय निकल गया और फार्म भरने से रह गया।

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