रकम डूबने पर बीसी संचालक ने कर ली खुदकुशी

ताजगंज के सेमरी गांव की घटना सुसाइड नोट में लिखा अपना दर्द कोरोना क‌र्फ्यू काल में लाटरी उठाने वालों ने नहीं जमा कीं किस्त

By JagranEdited By: Publish:Thu, 10 Jun 2021 12:28 PM (IST) Updated:Thu, 10 Jun 2021 12:28 PM (IST)
रकम डूबने पर बीसी संचालक ने कर ली खुदकुशी
रकम डूबने पर बीसी संचालक ने कर ली खुदकुशी

आगरा, जागरण संवाददाता। ताजगंज के सेमरी गांव में बीसी संचालक ने खुदकुशी कर ली। वह लाटरी डालने वालों की नीयत में खोट आने और किस्त जमा न करने से कर्ज में डूब गए थे। बीसी संचालक ने खुदकुशी से पहले कई पेज का सुसाइड नोट लिखा है। अपने अंतिम संस्कार से पहले सुसाइड नोट पुलिस को देने की लिखा है।

सेमरी के रहने वाले हरभान सिंह की उम्र 46 साल थी। वह सेमरी का ताल पर ही स्टेशनरी की दुकान करते थे। वह करीब 20 साल से बीसी का काम कर रहे थे। लाटरी डालने वालों को समय पर भुगतान करने से इलाके में उनकी अच्छी साख थी। स्वजन के अनुसार उनकी रकम डूबने का सिलसिला एक साल पहले कोरोना काल से शुरू हुआ। लाकडाउन के चलते सदस्यों ने लाटरी उठा ली, लेकिन किस्त देना बंद कर दिया। इधर, जिन सदस्यों ने लाटरी नहीं उठाई थी। वह समय पूरा होने के बाद अपनी रकम देने का दबाव बनाने लगे। इस पर हरभान सिंह ने कई सदस्यों को अपने पास से रकम दी।

स्वजन के अनुसार हरभान की 30 लाख रुपये से ज्यादा रकम डूब गई थी।उधर, लोगों का रकम देने का दबाव बढ़ता रहा था। इस पर उन्होंने किस्त न देने वालों को अपनी परेशानी बताई, लेकिन सभी ने हाथ खड़े कर दिए। इससे हरभान सिंह अवसाद का शिकार हो गए थे। वह बुधवार की रात को करीब आठ बजे दुकान से घर लौटे थे। खाना खाने के बाद अपने कमरे में चले गए। देर रात अचानक उन्हें उल्टियां होने लगीं, हालत बिगड़ने पर स्वजन पास के अस्पताल लेकर गए। वहां से उन्हें नामनेर चौराहे के अस्पताल के लिए रेफर कर दिया गया। यहां उपचार केदौरान उनकी मौत हो गई। सीओ सदर राजीव कुमार ने बताया कि हरभान सिंह ने कई पेज का सुसाइड नोट लिखा है। स्वजन यदि तहरीर देते हैं तो कार्रवाई की जाएगी।

किस्त मांगो तो जेल भिजवाने और खेत बिकवाने की देते हैं धमकी

हरभान ने अपने सुसाइड नोट में लिखा है कि किसी से किस्त की रकम मांगो तो वह जेल भिजवाने और खेत बिकवाने की धमकी देने लगता है। जो सदस्य किस्त नहीं देते थे। उनकी रकम भी वह अपने पास से दे रहे थे। उन्हें ज्यादा मुनाफा नहीं था, केवल 50 रुपये प्रति सदस्य से लेते थे। उन्होंने किसी की कमेटी के पैसा अपने पास नहीं रखा है।मेरी सारी जमा पूंजी लाटरी डालने वाले सदस्य हड़प गए। अगर कोई मेरे परिवार से कुछ कहता है तो वह मेरे प्राण लेने का दोषी होगा। प्रशासन से उम्मीद है कि वह मेरे परिवार की मदद करेगा।

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