कोरोना काल में हर माह खप रही माह 40 टन चाय पत्ती

पिछले आठ माह में चाय की खपत हुई दोगुनी कोरोना से बचने को ताजनगरी के लोगों ने खूब पी चाय

By JagranEdited By: Publish:Wed, 16 Dec 2020 05:55 AM (IST) Updated:Wed, 16 Dec 2020 05:55 AM (IST)
कोरोना काल में हर माह खप रही माह 40 टन चाय पत्ती
कोरोना काल में हर माह खप रही माह 40 टन चाय पत्ती

गौरव भारद्वाज, आगरा: कोरोना से बचने को ताजनगरी के लोगों ने हर जतन किया। काढ़ा, गर्म पानी के साथ चाय की भी खूब चुस्कियां लीं। इससे चाय की पत्ती का खपत दोगुनी तक हो गई। सर्दी बढ़ने पर खपत और बढ़ने की संभावना है।

कोरोना संक्रमण से बचाव को लोगों ने चाय पीना खूब पसंद किया। इसका असर यह हुआ कि चाय पत्ती की खपत बढ़ गई। कोरोना संक्रमण से पहले शहर में एक माह में करीब 20 टन चाय की पत्ती की खपत होती थी। अप्रेल के बाद चाय की मांग लगातार बढ़ती गई। मई, जून, जुलाई में गर्मी होने के बाद भी चाय पत्ती की मांग करीब दोगुना हो गई। बेलनगंज स्थित चाय के थोक कारोबारी किशोर कुमार तोसनीवाल ने बताया कि पिछले सात-आठ माह में चाय की पत्ती की मांग में जबरदस्त बढ़ोतरी हुई है। इसका कारण कोरोना से बचाव को लोगों ने चाय पीना ज्यादा पसंद किया। पिछले सालों की बात करें तो गर्मियों में चाय की खपत में ज्यादा अंतर नहीं आता था, लेकिन इस बार चाय की मांग दोगुने तक बढ़ी है। अब सर्दियां आ गई हैं तो खपत और बढे़गी। पूरे शहर में एक माह में करीब 40 टन चाय की खपत हो रही है। ब्रांडेड चाय की खपत ज्यादा

शहर में चाय का थोक कारोबारी व डिस्ट्रीब्यूटर की संख्या करीब 50 है। थोक कारोबारी के पास खुली चाय की पत्ती बिकती है, जबकि डिस्ट्रीब्यूटर पैक्ड चाय की सप्लाई दुकानों और मॉल में करते हैं। आगरा में खुली से ज्यादा पैकेट बंद चाय की बिक्री होती है। चाय कारोबारियों के अनुसार हर माह करीब 15 टन खुली चाय की पत्ती बिकती है, जबकि ब्रांडेड चाय की पत्ती की खपत करीब 25 टन है। खुली चाय ढाबे, चाय की दुकान वाले लोग ही खरीदते हैं, जबकि ब्रांडेड चाय हर घर में जाती है। चाय के दामों में आई गिरावट

गर्मी में चाय की खपत बढ़ने से चाय के दामों में करीब 100 रुपये किलो तक की तेजी आ गई थी, लेकिन पिछले डेढ़ माह में चाय के दामों में करीब 50 रुपये किलो तक की गिरावट आई है। चाय कारोबारियों का कहना है कि गर्मी में आसाम में चाय के बागानों में काम नहीं हुआ था, ऐसे में खपत बढ़ने और उत्पादन घटने से दामों में तेजी आई। अब उत्पादन सही हो रहा है और आवक बढ़ी है। इससे दाम में कमी आई है।

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